इस लेख मेंडीडवाना एक परिचयडीडवाना का इतिहासवर्तमान डीडवानाजलवायुयातायात एवं पहुंच मार्गडीडवाना झील |
राजस्थान में स्थित नाम दो महत्वपूर्ण स्थानों के लिए जाना जाता है पहला Didwana नगर और दूसरा डीडवाना झील
इस लेख में हम डीडवाना तहसील नगर और Didwana लेक के बारे में जानेंगे
डीडवाना नगर राजस्थान राज्य के नागौर जिले में स्थित है एक तहसील मुख्यालय भी है। राजस्थान की राजधानी जयपुर से मात्र 160 किलोमीटर और देश की राजधानी दिल्ली से 360 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, नागौर जिले का यह स्थान सामरिक दृष्टि से प्राचीन काल से ही बड़ा महत्वपूर्ण रहा है ,तो सबसे पहले जानते हैं,यहां का इतिहास।
Didwana का इतिहास
शहर का ज्ञात इतिहास लगभग 2 हजार वर्ष पूर्व का है, जो शिलालेखों के रूप में प्राप्त हुआ है। इन्हीं शिलालेखों में से एक के अनुसार इस शहर के स्थान पर पहली शताब्दी ईस्वी की शुरुआत में आभा नगरी नाम का एक शहर बसा हुआ था, जो लगभग 300 से 400 वर्षों तक अस्तित्व में था, उस समय की रियासतों के मध्य हुई लड़ाई में इस शहर का विनाश हो गया। शिलालेख के अनुसार इस क्षेत्र के धनाढ्य शासक डीडूशाह ने वर्तमान नगर को अपने नाम से बसाया था जो कालांतर में डीडवाना कहलाया।
प्राचीन काल से ही यह स्थान हिन्दू और जैन धर्म का प्रमुख केंद्र रहा है, इस स्थान पर हुई खुदाई में जैन मूर्तियां प्राप्त हुई है। जैन मुनि सिंहसेंन सूरी द्वारा सकलतीर्थ माला की रचना 12वीं शताब्दी में की गई थी, जिसमें डीडवाना का उल्लेख है। प्राचीन काल में यहां के शासक यशो भद्र को जैन दर्शन और दीक्षा का उपदेश विख्यात जैन मुनि श्री दत्त सूरी ने दिया था, इसी प्रेरणा से यशो भद्र ने चौबीसा हिमालय नामक विशाल जैन मंदिर की स्थापना करवाई थी ।
इसके के बाद 12 वीं शताब्दी में मुस्लिम आक्रमणकारियों का युग आरंभ होता है। जब तराइन के तीसरे युद्ध में मुस्लिम लुटेरा मोहम्मद गौरी ने, धोखे से पृथ्वीराज चौहान को हराकर इस क्षेत्र पर अपना कब्जा जमा लिया ।
इसके बाद मुगल शासक कुतुबुद्दीन ऐबक और उसके बाद उसके दामाद इल्तुतमिश के अधिकार में यह क्षेत्र कुछ समय के लिए रहा, इसके बाद इल्तुतमिश की पुत्री रजिया सुल्तान दिल्ली की शासिका बनी और यह क्षेत्र उसके कब्जे में चला गया ।
चित्तौड़गढ़ के राजा महाराणा कुंभा ने भी इस क्षेत्र को जीता और नमक उत्पादन करने वाली डीडवाना झील के नमक पर कर लगाया। जिसका उल्लेख मशहूर कीर्ति स्तंभ पर भी है, इसके बाद मुगलों ने अपना वर्चस्व इस स्थान पर जमाया, मुगल शासक हुमायूं को हराने के बाद शेरशाह सूरी ने भी इस स्थान पर कब्जा जमाना चाहा, जिसके लिए उसे जोधपुर के राजा राव मालदेव के सेनापति राव कुंपा से युद्ध करना पड़ा था ।
अकबर के काल में मुगलों के सैनिक ठिकानों और चौकिया यहां पर स्थापित की गई थी। मुगलों के ही समय डीडवाना में मस्जिदों का भी निर्माण हुआ था, मुगल स्थाई रूप से यहां शासन नहीं कर पाए मुगल शासक जहांगीर के समय यह जोधपुर राज्य के अधीन चला गया परवर्ती मुगल बादशाहों के समय में जब मराठा शक्तिशाली हो गए, तब कुछ समय के लिए यह स्थान मराठों के भी अधीन था। 1708 ईस्वी में जोधपुर और फिर जयपुर राज्य का संयुक्त शासन भी इस स्थान पर था, स्वतंत्रता से पूर्व यह जोधपुर राज्य का हिस्सा था 1950 में जब जोधपुर राज्य का राजस्थान में विलय हुआ तब से यह नागौर जिले में सम्मिलित है और एक तहसील मुख्यालय है ।
वर्तमान Didwana
यह स्थान राजस्थान के मध्य उत्तरी भाग में स्थित है, जो समुद्र तल से 336 मीटर या लगभग 1102 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। अरावली पर्वत के पश्चिमी भाग में यह स्थान है। जैसा कि शहर के इतिहास में हमने देखा कि इस स्थल पर मनुष्य की बसाहट अत्यंत प्राचीन काल से ही है। कई रियासतों और राजाओं ने यहां शासन किया था मध्यकाल में 11 वीं शताब्दी तक यह स्थान राजस्थान की प्रमुख व्यापारिक केंद्रों में से एक था। यहां उत्पादित होने वाला नमक सारे देश में भेजा जाता था, वर्तमान डीडवाना भी व्यापारिक केंद्र के रूप में विख्यात है यहां स्थित झील Didwana राजस्थान की दूसरी सबसे बड़ी नमकीन पानी की झील है ।
Didwana जलवायु
जैसा कि हमें ज्ञात है कि, संपूर्ण राजस्थान की जलवायु उष्णकटिबंधीय जलवायु के अंतर्गत आती है और अरावली के पश्चिम भाग तो पूरी तरह से उष्ण और शुष्क क्षेत्र है। डीडवाना पश्चिम दिशा में कुछ दूरी के बाद थार का मरुस्थल भी शुरू होता है जिससे उसका प्रभाव भी देखा जा सकता है ।
अरावली पर्वत श्रृंखला के पश्चिम में स्थित क्षेत्र वृष्टि छाया क्षेत्र के अंतर्गत आता है, और वर्षा के बादल इस स्थान तक नहीं पहुंच पाते हैं, उत्तर पश्चिम मानसून और पश्चिमी विक्षोभ से कुल मिलाकर मात्र 35 से 40 सेंटीमीटर वर्षा वर्ष भर में यहां पर होती है, जिससे यह सूखा और गर्म इलाका है ।
तापमान में व्यापक असमानता यहां पाई जाती है। गर्मियों में जहां तापमान 45 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है, वहीं सर्दियों में 4 डिग्री सेंटीग्रेड तक यह नीचे भी गिर जाता है। इस प्रकार डीडवाना गर्मियों में अत्यंत गर्म और सर्दियों के मौसम में सर्द बना रहता है।
यातायात और पहुंच मार्ग
यह स्थान यातायात के सभी साधनों से संपन्न है, पूर्व में अरावली पर्वतमाला होने के बावजूद यह स्थान सड़क, वायु और रेल द्वारा देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है ।
सड़क मार्ग
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 65 से इस शहर से होकर जाती है, जो लाडनू से प्रारंभ होकर भीम तक कुल 224 किलोमीटर लंबी है । हनुमानगढ़ किशनगढ़ मेगा हाईवे पर डीडवाना मध्य स्थान पर स्थित है। नगर में सड़कों का जाल है और पर्याप्त संख्या में ओवर ब्रिज या फ्लाइवे बने हुए हैं। दिल्ली जोधपुर रेल मार्ग पर दो फ्लाईओवर ब्रिज है ।और एक कुचामन नागौर बाईपास पर भी फ्लाईओवर बना हुआ है ।
रेल मार्ग
दिल्ली से जोधपुर की ओर जाने वाली रेलों के लिए Didwana एक महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है। जोधपुर रेल मंडल के अंतर्गत कार्यरत है, यहां पर बनने वाले नमक को सारे देश में रेल के माध्यम से ही पहुंचाया जाता है जिसके लिए शहर से लगभग 4.5 किलोमीटर की दूरी पर बालिया में नमक लदान के लिए स्टेशन की स्थापना की गई है ।
वायु मार्ग
सबसे निकटतम हवाई अड्डा जयपुर का सांगानेर यहां से एक-दो घंटे की बस या टैक्सी यात्रा करके डीडवाना आसानी से पहुंचा जा सकता है |
अब जानते हैं Didwana तहसील को आंकड़ों के रूप में ।
1 |
डीडवाना का क्षेत्रफल |
1646.66 वर्ग किलोमीटर |
2 |
जनसंख्या |
329 706 |
3 |
शहरी जनसंख्या |
13.55 % |
4 | ग्रामीण जनसंख्या |
86.45 % |
5 |
गांव की संख्या |
172 /आबाद गांव 170 |
6 |
अनुसूचित जाति जनसंख्या |
18.14 % |
7 | अनुसूचित जनजाति जनसंख्या |
.15 % |
8 | जनघनत्व |
200 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर |
9 |
लिंगानुपात |
1000-975 |
10 | धार्मिक जनसंख्या |
77.70 % हिंदू/22.07 % मुस्लिम/0.19 % जैन/0.3 % ईसाई और सिख |
11 |
डीडवाना नगर की जनसंख्या |
44675 |
डीडवाना की संपूर्ण जानकारी के बाद अब जानते हैं डीडवाना झील के बारे में।
Didwana झील
नागौर जिले के डीडवाना तहसील में स्थित यह झील राजस्थान की खारे पानी की झीलों में दूसरा स्थान रखती है जो लगभग 3 से 5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है ।
राजस्थान में खारे पानी की झील मुख्यता प्राचीन टेथिस सागर के अवशेष है। लाखो वर्ष पूर्व यह भूभाग महादीपीय विस्थापन के कारण समुद्र से बाहर आ गया था। उस टेथिस सागर के अवशेष आज राजस्थान में खारे पानी की झील के रूप में दृश्य मान है
सांभर, पंचप्रदा, लूणकरणसर, फलोदी, तालछापर, आदि इसी प्रकार की झीलों के उदाहरण है।
डीडवाना झील के तल में नमकीन काली कीचड़ पाई जाती है ,नमक बनाने के लिए ब्राईन विधि का प्रयोग किया जाता है। जिसमें जल को क्यारियों में वाष्पीकरण द्वारा सुखाया जाता है और नमक बनाया जाता है।
राजस्थान स्टेट केमिकल्स वर्क लिमिटेड की स्थापना 1960 में डीडवाना में की गई थी, जो बड़ी मात्रा में नमक का उत्पादन करके उसे जापान निर्यात करता है ।
इस झील का नमक अन्य झिलों के नमक से इस मायने में अलग है कि, डीडवाना झील के नमक में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होने के कारण यह खाने योग्य नहीं है, इसलिए इसका प्रयोग उद्योगों जैसे कागज, चमड़ा और कांच में होता है ।
पर्यटन
- राजस्थान की मीठे पानी की झीलों में पर्यटन के मुख्य आकर्षक केंद्र बने हुए हैं जहां पर पर्यटकों की बड़ी संख्या पहुंचती है। खारे पानी एकमात्र झील सांभर है, जहां पर्याप्त संख्या में पर्यटक आते हैं, इसका मुख्य कारण इस झील की ख्याति पहुंच मार्ग और पर्यटन की सुविधाओं का विकास है। डीडवाना झील पर स्थानीय पर्यटक ही थोड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
इस झील पर पहुंचने के लिए पहले डीडवाना नगर तक पहुंचना होगा जिसका उल्लेख इस लेख में पूर्व में किया जा चुका है, आवागमन की पर्याप्त सुविधा यहां पर उपलब्ध है।
धार्मिक स्थल
- नगर के समीप ही पढ़ाया माता का प्रसिद्ध मंदिर जो डीडवाना नगर से 12 किलोमीटर की दूर डीडवाना झील के स्टेशन मारवाड़ बालिया से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
मंदिर से प्राप्त शिलालेखों से ज्ञात होता है कि इस मंदिर का निर्माण भैंसा सेठ द्वारा विक्रम संवत 902 में कराया गया था ।
मुस्लिम आक्रमणकारी औरंगजेब के समय इस मंदिर की मूर्तियों को खंडित कर दिया गया था परंतु ग्रह गर्भ ग्रह की मूल मूर्ति सुरक्षित बनी हुई थी।
इस मंदिर में बड़ी संख्या में हिंदू श्रद्धालु पहुंचते हैं और माता के दर्शनों का लाभ प्राप्त करते हैं ।
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