इस लेख में
1) मूल कर्तव्य क्या है |
2) मूल कर्तव्यों की विशेषताएं |
3) 11 मूल कर्तव्यों का विवरण |
4) मूल कर्तव्यों का वर्गीकरण |
5) मूल कर्तव्यों की आवश्यकता |
6) मूल कर्तव्य और मौलिक अधिकार |
7) मूल कर्तव्य और नीति निर्देशक तत्व |
8) मूल कर्तव्यों की आलोचना |
मौलिक कर्तव्य क्या है |
मौलिक कर्तव्य वे दायित्व है जो नागरिकों के लिए राष्ट्र के प्रति निर्धारित किए गए हैं। जिन्हें प्रत्येक नागरिक को पालन करना होता है, संविधान में कर्तव्यों का वर्णन किया गया है, और इनके पालन करने का निर्देश देश के
सभी नागरिकों को दिया गया है, मूल कर्तव्य भारतीय संविधान के भाग 4 के अनुच्छेद 51 क में वर्णित है |
किस देश के संविधान से मौलिक कर्तव्य लिया गया है |
जैसा की हमे ज्ञात है की भारतीय सविधान के एक बड़ा भाग विश्व के कई देशों के सविधान ( ब्रिटेन, जर्मनी , सयुक्त राज्य अमेरिका , रूस, आयरलेंड, जापान,कनाडा,फ़्रांस,आस्ट्रेलिया,साउथ अफ्रीका ) से प्रेरित होकर
शामिल किया गया है | मौलिक कर्तव्यों को रूस के सविधान से प्रेरित माना जाता है |
अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने 29 मई 1976 को नई दिल्ली में अपनी बैठक में संविधान में जो ऐतिहासिक कमी (मूल कर्तव्यों को सविधान मे सम्मिलित नहीं करना ) रह गई थी , के संबंध में पार्टी अध्यक्ष द्वारा संवैधानिक
सुधार पर गठित सरदार स्वर्ण सिंह समिति से अपनी राय देने के लिए कहा इस समिति ने संविधान में 8 मूल कर्तव्यों को शामिल करने की सिफारिश की, जिसके आधार पर 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा संविधान में 10 मूल कर्तव्य जोड़े गए |
मूल कर्तव्य की विशेषताएं |
* मूल कर्तव्य मूल् प्रारंभिक संविधान का भाग नहीं था |
* मूल कर्तव्य को संविधान के 42 में संशोधन द्वारा वर्ष 1976 मे जोड़ा गया था |
* संविधान का 42 वां संशोधन सरदार स्वर्ण सिंह समिति द्वारा सुझाया गया था |
* मूल कर्तव्य का प्रावधान सोवियत रूस के संविधान से प्रेरित माने जाते हैं |
* 42 वें संविधान संशोधन द्वारा संविधान में कुल 10 कर्तव्य को जोड़ा गया था |
* संविधान के 86 वा संविधान संशोधन द्वारा वर्ष 2002 में 11वें कर्तव्य को जोड़ा गया |
11 मौलिक कर्तव्य कौन कौन से हैं | मौलिक कर्तव्य कितने हैं |
1) संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज, तथा राष्ट्रगान का आदर करें |
2) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें और उसका पालन करें |
3) भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण रखें |
4) देश की रक्षा करें तथा आवश्यकता होने पर राष्ट्र की सेवा करें |
5) भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करें, स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध प्रथाओं का त्याग करें |
6) हमारी सामूहिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करें |
7) प्राणी मात्र के लिए दया भाव रखें तथा प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत झील,वन, नदी और वन्य जीव है कि रक्षा एवं संवर्धन करें |
8) मानववाद, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, तथा ज्ञानअर्जन एवं सुधार की भावना का विकास करें |
9) हिंसा से दूर रहे तथा सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें |
10) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्ट की ओर आगे बढ़ने का सतत प्रयास करें, जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊंचाइयों को छू ले |
11) 6 से 14 वर्ष तक की आयु वाले अपने यथास्थिति बालक या प्रतिपाल के लिए शिक्षा का अवसर प्रदान करें
सविधान के किस संशोधन मे मौलिक कर्तव्य को जोड़ा गया |
मूल कर्तव्यों को दो बार संविधान संशोधन करके जोड़ा गया है | पहला संविधान संशोधन 42वां जो कि 1976 में किया गया था के तहत कुल 10 मूल कर्तव्यों को जोड़ा गया, इसके बाद 86 वा संविधान संशोधन द्वारा वर्ष
2002 में 11 वें मूल कर्तव्य को जोड़ा गया था |
मूल कर्तव्यों का वर्गीकरण |
संविधान में वर्णित मूल कर्तव्य को मुख्यता तीन वर्गों में बांटा जा सकता है |
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मूल कर्तव्यों की आवश्यकता
मूल कर्तव्य 1950 में लागू हुए संविधान का भाग नहीं था | इसे वर्ष 1976 में संविधान के 42 में संशोधन द्वारा जोड़ा गया था तो इन मूल कर्तव्यों की क्या आवश्यकता थी, और इन्हें क्यों जोड़ा गया यह समझने का प्रयास करते हैं |
1) भारतीय संविधान में व्यापक मूल अधिकार दिए गए हैं तो, संवैधानिक विद्वानों ने अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू बताया और मूल अधिकारों की ही तरह मूल कर्तव्य को संविधान में शामिल करने का सुझाव दिया |
2) मूल संविधान में राज्य और सरकारों को नागरिकों के प्रति उत्तरदाई और आदर्श नागरिक सेवाओं के लिए मूल अधिकार और नीति निर्देशक तत्वों का प्रावधान किया गया है, तो नागरिकों के लिए भी कुछ दायित्व या कर्तव्य निर्धारित होने चाहिए |
3) नागरिकों को उनके उत्तरदायित्व या कर्तव्यो का बोध कराने के लिए |
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मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य मे अंतर |
मूल कर्तव्यों को समझने के लिए हम उसकी मौलिक अधिकारों से तुलना करके बेहतर समझ सकते हैं, क्योंकि मौलिक अधिकार ही वह संवैधानिक तत्व है जिन्होंने मूल कर्तव्यों को संविधान में सम्मिलित करने के लिए प्रेरित किया था , क्योंकि अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं | निम्न टेबल के माध्यम से हम इन दोनों को समझने का प्रयास करेंगे |
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मूल कर्तव्य |
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मूल कर्तव्य और नीति निर्देशक तत्वों की तुलना |
संविधान की भाग 4 मे नीति निदेशक तत्वों और मूल कर्तव्य को रखा गया है, इसलिए दोनों के अंतर को समझ कर हम मूल कर्तव्यों को और बेहतर तरीके से समझ सकते हैं |
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मूल कर्तव्य |
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आलोचना
संवैधानिक विद्वान मूल कर्तव्यों में निम्न कमियां देखते हैं |
1) मूल कर्तव्यों को लागू करने के संबंध में संविधान मौन है |
2) एक ही तरह के शब्दों और वाक्यों का प्रयोग बार-बार हुआ है ऐसा लगता है जैसे मूल कर्तव्यों को अधिकतम करने का प्रयास किया गया है |
3) जिस भावना से इसे संविधान में सम्मिलित किया गया वह आज तक पूरा नहीं हो पाया है, क्योंकि संविधान में वर्णित समान नागरिक संहिता धारा 44 के लागू होने के बाद ही यह संभव हो पाएगा |
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