संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में संसद सर्वोच्च स्थान रखती है, और संसदीय व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए, संसद निम्न कार्य करती है।
1) केंद्रीय कार्यपालिका (मंत्रिपरिषद) पर नियंत्रण लगाना |
2) देश के लिए विधि (कानून) का निर्माण करना |
3) देश की वित्त व्यवस्था पर नियंत्रण लगाना |
किसी भी देश की सफलता का आधार सुचारू और मजबूत वित्त व्यवस्था है, हमारे देश में संसद वित्त व्यवस्था पर नियंत्रण लगाने के लिए अधिकृत है जो इस कार्य के लिए वह विभिन्न माध्यमों और संस्थाओं का सहयोग
प्राप्त करती है ।
वित्त व्यवस्था पर नियंत्रण लगाने के लिए संसद को अधिक विशेषज्ञता और गंभीर विचार-विमर्श की आवश्यकता होती है, संसद की सामान्य सभा में होने वाली बहस शक्ति प्रदर्शन, राजनीतिक बहस और विरोध का स्थान
बन कर रह जाती है।
जिन विषयों पर अधिक गंभीरता से विचार विमर्श की आवश्यकता होती है उसे संसद समितियों के माध्यम से करती है।
संसद में समितियां मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं ।
1) स्थाई समिति |
2) तदर्थ समिति |
1) स्थाई समिति |
संसद की स्थाई वित्तीय समितियों की संख्या 3 है |
1) प्राक्कलन समिति |
2) लोक लेखा समिति और |
3) सरकारी उपक्रम समिति |
प्राक्कलन समिति
संसद की स्थाई वित्त समितियों में प्राक्कलन समिति प्रमुख स्थान रखती है, यह समिति संसद को वित्त व्यवस्था में नियंत्रण लगाने में मददगार होती है।
प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष और सदस्यों का चुनाव |
1) समिति में सदस्यों की संख्या 30 होती है (30 सांसद सदस्य)।
2) सभी सदस्य लोकसभा से होते हैं।
3) लोक सभा द्वारा एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा प्रतिवर्ष सदस्यों का चुनाव किया जाता है।
4) समिति का अध्यक्ष चुने हुए सदस्यों में से लोकसभा अध्यक्ष द्वारा नियुक्त किया जाता है।
5) यदि लोकसभा का उपाध्यक्ष इस समिति का सदस्य है तो वह स्वत ही इस समिति का अध्यक्ष नियुक्त हो जाता है।
प्राक्कलन समिति क्या है
प्राक्कलन समिति संसद की ऐसी स्थाई वित्तीय समिति है जो बजट का सूक्ष्म अध्ययन करके वित्तीय प्रशासन मितव्ययता कुशलता दक्षता सुधार तथा वैकल्पिक नीतियों के संबंध में सुझाव देती है, इसलिए इसे “स्थाई
मितव्ययिता समिति” के नाम से भी जाना जाता है।
प्राक्कलन समिति के कार्य
इस वित्तीय समिति के प्रमुख कार्य निम्न है।
1) वार्षिक वित्तीय विवरण बजट अनुमानों की जांच कर यह सुझाव देना कि उसमें शामिल नीति से मितव्ययता संगठन में सुधार कार्य कुशलता या प्रशासनिक सुधार किए जा सकते हैं।
2) वित्तीय प्रशासनिक दक्षता एवं मितव्ययता बढ़ाने के संबंध में वैकल्पिक नीतियों का सुझाव देती है।
3) यह समिति इस तथ्य की भी जांच करती है कि बजट अनुमानों में शामिल नीति की सीमाओं में रहकर धन खर्च किया गया है।
4) यह समिति सुझाव देती है कि संसद में किस रूप में प्राक्कलन (Estimates) प्रस्तुत किए जाएं।
इस प्रकार यह समिति बजट पर अपना व्यापक प्रभाव डालती है, और संसद को वित्त व्यवस्था पर नियंत्रण लगाने के लिए व्यापक सुझाव और आधार भी देती है।
Read More : संसद मनीकंट्रोल | संसद वित्त व्यवस्था पर नियंत्रण कैसे करती है |
3 thoughts on “Estimate committee. ( प्राक्कलन समिति ) ।”