Vitt vidheyak

संविधान का अनुच्छेद 112 वित्त विधेयक को परिभाषित करता है। जिन वित्तीय प्रस्ताव को सरकार आगामी वर्ष के लिए सदन में प्रस्तुत करती है उन वित्तीय प्रस्ताव को मिलाकर वित्त विधेयक का निर्माण होता है।

इस प्रकार जब धन विधेयक में कानूनी प्रावधान जोड़ दिए जाते हैं तो उसे  Vitt vidheyak कहा जाता है।

वित्त विधेयक को केवल लोकसभा में प्रस्तुत किया जाता है और वित्त विधेयक के संबंध में राज्यसभा तथा लोकसभा को वही शक्तियां प्राप्त हैं जो धन विधेयक और विनियोग विधेयक के संबंध में है ।

वित्त विधेयक को पारित करने में तथा अधिनियमित करने में इस प्रक्रिया का पालन किया जाता है जिसका अनुकरण धन विधेयक तथा विनियोग विधेयक के संबंध में किया जाता है।

Vitt vidheyak kya hai 

Vitt vidheyak ऐसे विधेयक को कहते हैं जो राजस्व या व्यय संबंधित हो वित्त विधेयकों में किसी धन विधेयक के लिए संविधान में उल्लेखित एक से अधिक विषयों के साथ साधारण विधान के उपबंध भी सम्मिलित किए जाते हैं।

समानता वित्त् विधेयको को दो भागों में बांटा जा सकता है।

1) ऐसे विधेयक जिनमें केवल अनुच्छेद 110 (धन विधेयक) में उल्लेखित विषयों के बारे में ही उपबंध या प्रावधान नहीं है, बल्कि उसमें कुछ अन्य विषय भी सम्मिलित हैं। अनुच्छेद 117(1)

2) ऐसे विधेयक जिन में भारत की संचित निधि से व्यय से संबंधित उपबंध या प्रावधान किए गए हैं । अनुच्छेद 117 (3)

Vitt vidheyak के लिए विशेष प्रक्रिया

प्रथम प्रकार के वित्त विधेयक अनुच्छेद 117(1) धन विधेयक की तरह ही राष्ट्रपति की सिफारिश से केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है ।

जबकि द्वितीय प्रकार के वित्त विधेयक अनुच्छेद 117(3) को एक साधारण विधेयक की तरह किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है और उसे पेश करने के लिए राष्ट्रपति की सिफारिश की आवश्यकता भी नहीं है।

किंतु दोनों सदनों में इस पर विचार किए जाने के लिए राष्ट्रपति की सिफारिश अनिवार्य है।

दोनों प्रकार के Vitt vidheyak के बारे में राज्यसभा को वही शक्तियां प्राप्त हैं जो एक सामान्य विधेयक के बारे में होती है।

वह विधेयक को संशोधित या ना मंजूर कर सकती है लेकिन द्वितीय प्रकार के वित्त विधेयक राज्यसभा द्वारा तभी पारित किया जा सकता है जब राष्ट्रपति ने इस पर विचार करने की सिफारिश की हो।

वित्त विधेयक को एक साधारण विधेयक के समान ही राज्यसभा में सभी अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है तथा दोनों सदनों में असहमति होने की दशा में संयुक्त बैठक के द्वारा विधेयक पर आम सहमति निर्मित की जाती है।

वित्त विधेयक को के मामले में अनुमति देने के लिए राष्ट्रपति के पास तीन विकल्प होते हैं।

i) अनुमति देना

ii) अनुमति नहीं देना और

iii) पुनर्विचार के लिए संसद को लौटाना

वित्त विधायक को पारित करना

लोकसभा के नियम 219 के अधीन वित्त विधेयक का अर्थ वह विधेयक है जो अगले वित्त वर्ष के लिए भारत सरकार के वित्तीय प्रस्ताव को कार्यान्वित करने के उद्देश्य से प्रस्तुत किया जाता है और इसमें किसी भी काल के पूरक वित्तीय प्रस्ताव को कार्यान्वित करने का विधेयक सम्मिलित होता है ।

विनियोग विधेयक के विपरीत वित्तीय विधेयक के मामले में किसी कर को अस्वीकार या काम करने के लिए संशोधन रखे जा सकते हैं।

कर संग्रह अधिनियम 1931 के अनुसार वित्तीय विधेयक को 75 दिन के भीतर अधिनियमित अर्थात संसद से पारित और राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत हो जाना चाहिए ।

यहां यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि वित्तीय विधेयक बजट के आय पक्ष को वैधानिकता प्रदान करता है और बजट अधिनियम की प्रक्रिया को पूरा करता है।

vitt vidheyk article

संविधान के अनुच्छेद 110, 112 और अनुच्छेद 117 में वित्त विधेयकों के विषय में उपबंध दिए गए हैं।

Leave a Comment