Chattan

Chattan kise kahate hain :–

पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत जिसे हम मिट्टी (soil) कहते हैं कि नीचे एक और कठोर परत पाई जाती है जिसे हम

Chattan (Rock) कहते हैं।

पृथ्वी के अंदर पाई जाने वाली यह कठोर परत कई प्रकार की हो सकती है यह परत ग्रेनाइट और बालुका पत्थर

की भांति अत्यंत कठोर हो जा फिर चिका (clay) और रेत की भांति नरम या फिर चाक और लाइमस्टोन की

भांति रंध्र से युक्त यह सभी चट्टान कहे जाते हैं।

चट्टानों की रचना विभिन्न प्रकार के खनिजों के योग से होती है इस प्रकार प्रत्येक चट्टान में एक से अधिक

प्रकार के खनिज पाए जाते हैं।

पृथ्वी की सत्ता या क्रश में 100 से अधिक तत्व पाए जाते हैं लेकिन उसके लगभग 98% भाग की संरचना में 8

तत्वों का ही प्रमुख योगदान होता है।

इसके अतिरिक्त पृथ्वी की क्रेस्ट में 2000 खनिज पाए जाते हैं लेकिन इनमें से मात्र छह खनिज भी प्रमुख रूप

से इसमें विद्यमान है इन खनिजों में

1)फेल्सपार (Felspar)

2)  क्वाटज़ या स्फटिक (Quartz)

3) पैराक्सिस (Pyroxenes)

4) एम्फिबोलस (Amphiboles)

5) अभ्रक (Mica)

6) ओलिवीन (Olivine) प्रमुख हैं।

उपर्युक्त 36 तत्वों के अलावा और भी कुल 24 खनिज ऐसे हैं जिनसे पृथ्वी के कृष्ण की अधिकांश चट्टानों का

निर्माण हुआ है इन खनिजों को ही Chattan निर्माता खनिज कहा जाता है चट्टानों के निर्माण में योगदान करने

वाले यह खनिज विभिन्न तत्वों के ऑक्साइड हैं जैसे क्वाटज़, हेमेटाइट, मैग्नेटाइट आदि सिलीकेट जैसे

फेल्सपार अभ्रक आदि और कार्बोनेट जैसे कैल्साइट डोलोमाइट आदि है।

खनिज

Chattan के प्रकार :–

चट्टानों का वर्गीकरण विभिन्न आधार पर किया जाता है।

A) बनावट की प्रक्रिया के आधार पर चट्टानों का वर्गीकरण।

i) आग्नेय शैल (Igneous rock)

ii) अवसादी या परतदार चट्टान (Sedimentary rock)

iii) कायांतरित चट्टान (Metamorphic rock)

सामान्य आधार पर चट्टानों के प्रकार :–

i) रवेदार Chattan (Crystaline Rock) जैसे आग्नेय Chattan

ii) परतदार चट्टान (Clastic Rock) जैसे अवसादी Chattan

आग्नेय शैल (Igneous rock)

आग्नेय (Igneous) शब्द लैटिन भाषा के इग्निस से बना है जिसका अर्थ आज होता है आग्नेय शैल की रचना

धरातल की नीचे स्थित गर्म और तरल मैग्मा की ठंडा होने और ठोस रूप लेने के परिणाम स्वरुप होती है।

आग्नेय चट्टानों में लोहा तथा मैग्नीशियम युक्त सिलीकेट खनिजों की अधिकता होती है पृथ्वी की उत्पत्ति के

पश्चात सर्वप्रथम इन्हीं चट्टानों का निर्माण होने के कारण इन्हें प्राथमिक शैल भी कहा जाता है।

रूपांतरित या अवसादी चट्टानें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इन्हीं चट्टानों से निर्मित हुई है ज्वालामुखी उद्गार के

समय भूगर्भ से निकलने वाला लावा जब भू सतह पर फेल कर ठंडा हो जाता है तो आग्नेय शैलो का निर्माण

होता है यह चट्टान कठोर होती है जो रविदास या दानेदार भी होती है अग्नि चट्टानों की परतों का पूर्णता अभाव

पाया जाता है अत्यधिक संघा होने के कारण इन चट्टानों पर रासायनिक अक्षय का बहुत ही कम प्रभाव पड़ता है

लेकिन तांत्रिक और भौतिक अक्षय से यह चट्टान प्रभावित होती है इन चट्टानों में जीवाश्म नहीं पाए जाते और

इनका विस्तार अधिकांशत ज्वालामुखी क्षेत्र में होता है

आग्नेय शैल के प्रकार(Types of Igneous rock)
1) उत्पत्ति की प्रक्रिया के आधार पर (According to Process of Origin)

i) आंतरिक आग्नेय शैल (Intrusive Igneous rock)

इसका निर्माण धरातल के नीचे कुछ गहराई पर मैग्मा के ठोस रूप लेने के कारण होता है डोलेराइट और माइका

पेगमेटाइट इस प्रकार के शैलो के उदाहरण हैं।

आंतरिक आग्नेय शैलो के दो सामान्य प्रकार हैं

A) पतलीय आग्नेय शैल (Plutonic Igneous rock)

B) मध्यवर्ती आग्नेय शैल (Hypabyssal)

A) पतलीय आग्नेय शैल (Plutonic Igneous rock)

भू सतह से अधिक गहराई पर मैग्मा के ठोस बनने में अधिक समय लगता है इसमें कणों का आकार अधिक

बड़ा होता है ऐसे चट्टानों को पाताली आग्नेय शैल कहते हैं ग्रेनाइट पाताली आग्नेय शैल का उत्कृष्ट उदाहरण

है।

ii) बाह्य आग्नेय शैल (Extrusive Igneous Rock)

इन्हें ज्वालामुखी शैल भी कहते हैं क्योंकि इसका निर्माण तरल मैग्मा के पृथ्वी की सतह पर फैलने और ठंडा

होने के कारण होता है इस प्रकार के शहरों में कानों का आकार छोटा होता है कभी-कभी इनके कार्ड इतने छोटे

होते हैं कि उन्हें पहचाना भी नहीं जा सकता है और यह कांच जैसे दिखाई देते हैं बेसाल्ट महीन कणों वाले बहन

वेदी अथवा वाहे अग्नि शैल का उदाहरण है इन चट्टानों का उपयोग सड़क निर्माण में होता है इस प्रकार के खेल

के क्षरण से उपजाऊ काली मिट्टी का निर्माण होता है जिसे रेगर कहते हैं प्रायद्वीपीय भारत के पश्चिमोत्तर

भाग में बहिरवादी अग्नि शहरों से निर्मित है जिसे दक्कन ट्रैप के नाम से जाना जाता है और इस प्रकार के शहर

के दो उदाहरण हैं

A) विस्फोटक प्रकार (Explosive type)

इस प्रकार से निर्मित सेल में ज्वालामुखी विस्फोट के द्वारा तरल मैग्मा और लव भू सतह पर फेल कर ठंडा

होता है और इसका निर्माण होता है।

B) शांत प्रकार (Quiet type)

इस प्रकार से निर्मित सेल का निर्माण तब होता है जब बिना किसी ज्वालामुखी क्रिया के भू सतह से लावा

निकलकर चारों ओर फैल जाता है

2) कणो के आकार पर (According to Tex-ture)

i) बहुत बड़े आकार के कणो वाली पेगमैटिटिक (Pegmatitic)

ii) बड़े आकार के कणो वाली फैनेरिटिक (Phaneritic)

iii) सूक्ष्म आकार के कणो वाली एफेनिटिक (Aphanitic)

iv) बिना कणो वाली ग्लॉसी (Glassy)

v) मिश्रित कणो वाली पार फाईरिटिक (Porphyritic)

3 रासायनिक संरचना के आधार पर (According to Chemical Constitution)

i) अम्लीय आग्नेय चट्टान

जिन चट्टानों में सिलिका की मात्रा अधिक होती है उन्हें अम्लीय अग्नि शैल कहा जाता है सिलिका की मात्रा

अधिक होने के कारण इन चट्टानों का रंग हल्का होता है।

ii) बेसिक या आधारी आग्नेय Chattan

जिन चट्टानों में सिलिका की मात्रा कम होती है उन्हें क्षारीय अथवा आधारी आग्नेय शैल कहते हैं इन चट्टानों में

ऑक्साइड की मात्रा अधिक होती है तथा यह अधिक सघन और गहरे रंग के होते है।

पातालीय आग्नेय शैल

पातालीय आग्नेय शैल का निर्माण भूगर्भ में अत्यधिक गहराई में होता है जहां की तापमान अधिक होने से

धीरे-धीरे मैग्मा के ठंडा होने के कारण इनमें क्रिस्टल अधिक बनते हैं इस प्रकार के चट्टानों का उदाहरण ग्रेनाइट

है।

मध्यवर्ती Chattan

इस प्रकार की चट्टानों का निर्माण ज्वालामुखी उद्गार के समय लावा के मार्ग में पड़ने वाले दरारों छिद्रों और

नली में ही उसके जमकर दोस्त हो जाने से होता है इनका निर्माण पृथ्वी की सतह के नीचे ही होता है किंतु भू

चरण अथवा अपरदन के कारण कभी-कभी यह भू सतह पर भी दिखाई देते हैं यह धरातल के नीचे

निम्नलिखित रूपों में पाए जाते हैं।

i) बैथोलिथ (Batholith)

इनका निर्माण पर्वती क्षेत्रों में सक्रिय ज्वालामुखी ओ द्वारा होता है धरातल के नीचे काफी खड़े ढाल वाले गुंबद

आकार रूप में लावा का जमाव होता है अपरदन के कारण इनकी ऊपरी सतह दिखाई देती है किंतु आधार

अत्यंत गहराई में भूगर्भ के अंदर होता है।

ii) लैकोलिथ (Laccolith)

इस प्रकार के चट्टानों का निर्माण परतदार चट्टानों के बीच में गुम अदाकार रूप में उत्तल ढालों के बीच लावा के

जमाव होने से होता है

iii) फैकोलिथ (Phacolith)

ज्वालामुखी उद्गार के समय वलित पर्वतों के उत्थान और पतन के सहारे होने वाले लावा के जमाव से

फैकोलिथ आकर के चट्टानों का निर्माण होता है।

iv) लोपोलिथ ( lopolith)

जब लावा का जमाव धरातल के नीचे अवतल ढाल वाली छिछली बेसिन में होता है तब उसके आकार को

लोपोलित कहा जाता है।

v) सिल (Sill)

ज्वालामुखी उद्गार के समय जब लावा कायंतरित या अवसादी चट्टानों की परतों के बीच पहुंचकर ठंडा हो जाता

है तब उस आकृति को सिल कहते हैं इसके जमाव की मोटाई काफी अधिक होती है इससे अलग पतली सिल को

शीट कहा जाता है।

vi) डाइक (Dyke)

डाइट सिल तथा शीट से अलग लंबवत और पतले रूप में मिलने वाले लावा के जमाव हैं यह कुछ सेंटीमीटर से

कई मीटर तक की मोटी परत में हो सकता है अपने समीपवर्ती शैलो की अपेक्षा इस पर अपरदन का प्रभाव कम

पड़ता है और इसी कारण कभी-कभी यह धरातल के ऊपर भी दिखाई दे जाते हैं।

ii) अवसादी या परतदार Chattan (Sedimentary rock)

अपक्षय एवं अपरदन के विभिन्न साधनों द्वारा प्रारंभिक स्थानों के विघटन वियोजन एवं Chattan के अवशेषों

के परिवहन तथा किसी स्थान पर जमाव के फल स्वरुप अवसादी शैल का निर्माण होता है इन शेरों की रचना

पर आधार होती है इसलिए इन्हें परतदार शैली भी कहते हैं इनका निर्माण जल अथवा फल दोनों भागों में हो

सकता है इनके निर्माण में चट्टान अवशेषों के साथ ही जीवाश्म और वनस्पतियों का भाग होता है जीवाश्म की

उपस्थिति से चट्टान विशेष के समय का भी आसानी से पता लगाया जा सकता है संपूर्ण भू पृष्ठ के लगभग

75% भाग पर अवसादी शैल ओ का विस्तार है जबकि वो पृष्ठ की बनावट में इसका योगदान सिर्फ 5% ही है

यह सेल रविदास नहीं होती है किंतु इसमें पढ़ते पाई जाती हैं इनमें संधियां तथा जोड़ बहुतायत से मिलते हैं यह

कोमल स्वभाव वाली चट्टाने है तथा इन पर अपरदन की क्रियाओं का विशेष प्रभाव पड़ता है जल अवसादी

जमाव के लिए उपयुक्त परिस्थिति प्रदान करता है इसलिए अधिकांश अवसादी शैल जल की नीचे ही निर्मित

होती है पौधों और पशुओं के अवशेषों से उत्पन्न जैव पदार्थ भी प्रसादी शहरों के निर्माण में सहयोगी होते हैं

कोयला और चूने का पत्थर जैविक उत्पत्ति वाली अवसादी हेलो के अच्छे उदाहरण है बालू मिट्टी बजरी तथा

रोड़ी अवसाद के ही रूप है हवा द्वारा दूर तक उड़ा कर ले गए वहीं रेत के कणों से निर्मित अवसादी शैल का

सबसे बढ़िया उदाहरण लोयस का पठार है जो चीन में पाया जाता है सेंधा नमक जिप्सम तथा सोरा रासायनिक

विधि से बनी अवसादी शैल ही है भारतीय उपमहाद्वीप में गंगा और सिंधु नदी का जल और मैदान भी अवसादी

जमाव से ही निर्मित हुआ है हॉर्स आदि शहरों में 80% सेल 12% बलुआ पत्थर और 8% चूने का पत्थर होता है

इन शहरों के अनेक रंग होते हैं सभी अवसादी शैल परतदार होती है और उनकी परतें 6:30 स्तरों में बनती हैं इन

शहरों के पर तुम के बीच कुछ जीवाश्म भी मिलते हैं हालांकि अवसादी सालों में आर्थिक महत्व वाले खनिज

कम पाए जाते हैं किंतु लोह अयस्क फास्फेट इमारती पत्थर कोयला और सीमेंट बनाने वाले पदार्थों के स्रोत

इन्हीं अवसादी सालों में ही पाए जाते हैं सूक्ष्म समुद्री जीवो के सड़ने से बनने वाले खनिज तेल भी अवसादी

सालों में ही पाए जाते हैं

अवसादी शैलों का वर्गीकरण

1 निर्माण में भाग लेने वाले पदार्थों के अनुसार वर्गीकरण

A) यांत्रिक क्रियो द्वारा अथवा Chattan रेत से निर्मित अवसादी शैल जैसे

(i)बालुका पत्थर

(ii)जल से निर्मित बलूका शैल

(iii) कांग्लोमेरेट अथवा गोलाश्म

(iv) चिका मिट्टी

(v)सेल तथा

(vi) लोएस

B) जैविक तत्वों से निर्मित जैसे

( i)चुने का पत्थर

(ii)कोयला और

(iii)पीट

C) रासायनिक तत्वों से निर्मित जैसे

(i)खड़िया मिट्टी

(ii)शैल खड़ी या जिप्सम और

(iii) नमक की चट्टान

2 निर्माण में भाग लेने वाले साधनों के अनुसार वर्गीकरण

i) जलज शैल जैसे समुद्र के तल में निर्मित तलछट शैल

ii) झील के ताल में निर्मित होने वाले तलछट शैल

iii) नदी के अंदर निर्मित होने वाले शैल

3 चट्टानों का रचना सामग्री के आधार पर वर्गीकरण

i) चट्टानों के रेत से निर्मित

ii) रासायनिक पदार्थ से निर्मित शैल

iii) कार्बनिक पदार्थों से निर्मित

chattan

रूपांतरित अथवा कायान्तरित शैल

जब अग्नि और अवसादी सेल में तापमान और दबाव के कारण

उनकी रूप में परिवर्तन या रूपांतरण हो जाता है तो ऐसे रूपांतरित

या कायंतरित शैल का निर्माण होता है रूपांतरण की क्रिया के दौरान प्रारंभिक Chattan के संगठन तथा स्वरूप में

परिवर्तन हो जाता है और उसकी पहचान समाप्त हो जाती है अग्नि और अवसादी चट्टानों के अतिरिक्त कभी-कभी

रूपांतरित चट्टानों का भी रूपांतरण हो सकता है जिसे अती रूपांतरण कहते हैं रूपांतरण का प्रमुख कारण होता है

तप दबाव और घुलना

रूपांतरण के प्रकार
1 भाग लेने वाले कारकों के आधार पर
i) तापीय रूपांतरण
ii) गतिक रूपांतरण
iii) जलीय रूपांतरण
iv) तापीय जलीय रूपांतर

2 क्षेत्र के अनुसार वर्गीकरण
i) संस्पर्शीय रूपांतरण
ii) क्षेत्रीय रूपांतरण

अग्नि चट्टानों के रूपांतरण से बने शैल

i) ग्रेनाइट —– नीस
ii) बेसाल्ट —– एम्फिबोलाइट
iii) बेसाल्ट —– सिस्ट

अवसादी चट्टानों के रूपांतरण से बने शैल
i) शैल —— स्लेट
ii) चुना पत्थर —– संगमरमर
iii) चाक और डोलोमाइट —– संगमरमर
iv) बालुका पत्थर —– क्वार्टजाइट

रूपांतरित चट्टानों के पुनः रूपांतरण से बने शैल
i) स्लेट —— फाइलाइट
ii) फाइलाइट —– सिस्ट
iii) गैबो —– सरपेन्टाइन
iv) कांगलोमेरेट—– क्वार्टजाइट

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