जिला प्रशासन

इस लेख में ।

जिला प्रशासन

जिला प्रशासन का महत्व

जिलाधीश कार्यालय

जिला प्रशासन की संरचना/ जिला स्तर के अधिकारी

जिला प्रशासन के अधीन कार्यरत अधीनस्थ प्रशासन

जिला प्रशासन :–

*  जिला भारतीय प्रशासन का प्रारंभिक भौगोलिक इकाई है।

*  ऑक्सफोर्ड शब्दकोश में ‘जिला’ को ‘विशिष्ट प्रशासकीय उद्देश्य के लिए चिन्हित क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया गया है।

*  मुगल शासन के दौरान जिला को ‘सरकार कहा जाता था, तथा उसका प्रमुख एक सैन्य अधिकारी होता था, जिसका नियंत्रण सूबेदार के हाथ में था।

* संविधान में अनुच्छेद 233 में ही जिला शब्द का एक बार प्रयोग किया गया था, इसके अतिरिक्त संविधान में कहीं भी जिला शब्द का प्रयोग नहीं किया गया था।

* संविधान के 73 वें और 74 वें संशोधन अधिनियम 1992 के बाद संविधान में भाग IX और IX A जोड़ा गया जहां जिला शब्द का प्रयोग कई बार किया गया है, यह भाग पंचायत और नगर निगम के संबंध में है।

*  जिला प्रशासन लोक प्रशासन का वह भाग है, जो जिले के राजनीतिक सीमा के अंतर्गत शासन प्रबंधन का कार्य करता है।

*  भारत में प्रशासन की क्षेत्रीय इकाई के रूप में जिले का प्राचीन इतिहास रहा है,जो मौर्य काल से शुरू होता है इसके बाद के लगभग सभी कार्यों में इसकी जानकारी अलग-अलग नामों से दर्ज है।

*  मुगल काल के दौरान जिलों को सरकार कहा जाता था और इसके प्रमुख को करोड़ी फौजदार कहते थे, सैन्य अधिकारी सूबेदार के सीधे नियंत्रण में कार्य करते थे।

*  आज का जिला प्रशासन और जिलाधीश के पद का विकास भारत में अंग्रेजों के शासन काल में हुआ था, वर्ष 1772 में गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने इस पद का सृजन किया था।

*  इसके बाद लगातार जिलाधीश के अधिकार और कार्यों में वृद्धि होती गई सन 1787 में जिलाधीश को राजस्व संग्रहण के अतिरिक्त नागरिक न्याय और मजिस्ट्रेट के कार्य की जिम्मेदारी भी दे दी गई थी, उस समय

जिलाधीश अति शक्तिशाली अधिकारी था, और उसे लिटिल नेपोलियन भी कहा जाने लगा था।

*  स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जिलाधीश कार्यालय के अधिकार और दायित्व में व्यापक बदलाव देखने को मिला है जिसके मुख्य कारण निम्न है।

(i) ‘पुलिस स्टेट’ की जगह ‘कल्याण स्टेट’ लाए जाने के कारण सरकारी कार्यों और गतिविधियों में विस्तार।

(ii) केंद्र और राज्य स्तर पर संसदीय प्रणाली की सरकार अपनाए जाने के कारण सरकार के स्वरूप में परिवर्तन।

(iii) सरकार के लक्ष्यों और उद्देश्यों में बदलाव अर्थात औपनिवेशिक शोषण की जगह कल्याण अभिमुखीकरण |

(iv) स्थानीय प्रशासन की इकाई के रूप में पंचायती राज का आविर्भाव।

(v) विधायिका को कार्यपालिका से अलग किया जाना।

(vi) लोगों में राजनीतिक जागरूकता बढ़ाना।

(vii) जिलों में बड़ी संख्या में विभागों का आविर्भाव और विकास |

(viii) आई.सी.एस की जगह आई.ए.एस का गठन।

(ix) दबाव बनाने वाले ग्रुपों और राजनीतिक दलों की भूमिका और प्रभाव ।

(x) बड़े शहरों में कानून और व्यवस्था संबंधी प्रशासन के लिए आयोग प्रणाली का प्रादुर्भाव ।

जिला प्रशासन का महत्व –:

जिला प्रशासन राज्य सरकार और जनता के मध्य एक कड़ी के रूप में कार्य करता है

जिला प्रशासन द्वारा सभी तरह की नागरिक सुविधाएं और सरकार की योजनाएं जनता तक पहुंचती है।

जिला प्रशासन में कई विभाग कार्य करते हैं जो केंद्रीय और राज्य सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन करते हैं।

जिला प्रशासन का मुखिया कलेक्टर या जिलाधिकारी होता है जो सभी विभागों के मध्य समन्वय स्थापित करता है।

जिला प्रशासन में राजस्व संग्रहण विकासात्मक गतिविधियां प्रारंभिक स्तर से संचालित होती हैं।

जिलाधीश कार्यालय

जिला प्रशासन में जिलाधीश का कार्यालय महत्वपूर्ण भूमिका में होता है जिलाधीश कार्यालय में विभिन्न विभाग कार्यरत रहते हैं।

जो जिलाधीश के सीधे नियंत्रण और पर्यवेक्षण में कार्य करते हैं सामान्यतः निम्न विभाग या अनुभाग जिला प्रशासन के अंतर्गत जिलाधीश कार्यालय में कार्यरत होते हैं।

(i) लेखा अनुभाग।

(ii) नागरिक आपूर्ति अनुभाग।

(iii) विकास कार्य अनुभाग।

(iv) चुनाव अनुभाग।

(v)  स्थापना/व्यवस्था अनुभाग।

(vi)  सामान्य अनुभाग।

(vii) भूमि अधिग्रहण अनुभाग।

(viii) भूमि रिकॉर्ड अनुभाग।

(ix) भूमि सुधार अनुभाग।

(x)  पंचायत अनुभाग।

(xi) प्रोटोकॉल अनुभाग।

(xii) जन संपर्क अनुभाग।

(xiii)  आवास अनुभाग।

(xiv)  राजस्व अनुभाग।

(xv)   आसूचना अनुभाग।

(xvi)   न्यायिक अनुभाग।

(xvii). पुनर्वास अनुभाग।

(xviii). पंजीकरण अनुभाग।

(xix)  साख्यिकीय(आँकड़ा) अनुभाग।

(xx)  परिवहन अनुभाग।

जिला प्रशासन की संरचना/ जिला स्तर के अधिकारी –:

राज्य में संचालित अधिकांश विभागों का प्रतिनिधित्व जिला स्तर पर होता है। जिला प्रशासन में प्रत्येक विभाग का एक प्रमुख नियुक्त होता है।

जिला स्तर के इन विभागों के प्रमुख अधिकारी तकनीकी या विशेषज्ञ वर्ग के लोकसेवक होते हैं ।

विभागों के प्रमुख अधिकारी राज्य के कार्मिक विभाग से संबद्ध प्रमुखों निदेशालय के प्रमुख निदेशक या आयुक्त और जिलाधिकारी के प्रत्यक्ष नियंत्रण और निर्देशन में कार्यरत होते हैं।

यह सभी अधिकारी आमतौर पर राज्य प्रशासनिक सेवा से चयनित और प्रशिक्षित होते हैं ।

जिला प्रशासन के सुचारू संचालन के लिए निम्न विभागों के पदाधिकारियों की नियुक्ति होती है।

S.N.

विभाग का नाम विभाग प्रमुख का पदनाम

1

राजस्व और सामान्य प्रशासन विभाग जिलाधीश / उपायुक्त/जिला मजिस्ट्रेट
2 पंजीकरण विभाग

पंजीयक /उप पंजीयक

3

पुलिस पुलिस अधीक्षक
4 उत्पाद शुल्क

उत्पाद शुल्क अधीक्षक/जिला उत्पाद शुल्क अधिकारी

5

मेडिकल (आयुर्विज्ञान) सिविल सर्जन / जिला चिकित्सा अधिकारी
6 जन स्वास्थ्य

जिला स्वास्थ्य अधिकारी

7

वन जिला वन अधिकारी
8 शिक्षा

विद्यालय निरीक्षक/जिला शिक्षा अधिकारी

9

सहकारिता सहायक रजिस्ट्रार, कोऑपरेटिव सोसाइटी
10 कृषि

सहायक कृषि निदेशक/जिला कृषि अधिकारी

11

उद्योग धंधे सहायक निदेशक उद्योग/जिला उद्योग अधिकारी
12 न्यायिक (न्याय मामले)

जिला न्यायाधीश / जिला और सत्र न्यायाधीश

13

समाज कल्याण समाज कल्याण अधिकारी/पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी
14 कारागार

कारागार अधीक्षक

15

श्रम सहायक श्रम आयुक्त/जिला श्रम अधिकारी
16 लोक निर्माण

कार्यकारी अभियंता

17 नागरिक आपूर्ति/राशन व्यवस्था

जिला खाद्य और नागरिक आपूर्ति अधिकारी

जिला प्रशासन के अधीन कार्यरत अधीनस्थ प्रशासन

जिला स्तर पर कार्यरत जिला प्रशासन का मुखिया जिलाधीश होता है जिला स्तर पर होने वाले विभिन्न कार्यों में जिलाधीश की सहायता करने के करने वाले अधिकारियों का क्रम निम्न अनुसार होता है

अनुमंडल   (उप संभाग)–: 

भूमि राजस्व कानून एवं क्रिमिनल प्रोसिजर कोड के अंतर्गत एक जिला की राजस्व एवं प्रशासन की सुविधा के लिए कई क्षेत्रों में विभक्त किया जाता है। इन क्षेत्रों को अनुमंडल कहते हैं।

विभिन्न राज्यों में इन क्षेत्रों एवं इनके प्रमुख को अलग-अलग नाम से बुलाते है।

अनुमंडल अधिकारी संघ लोक सेवा या राज्य लोक सेवा का अधिकारी हो सकता है तथा इसकी नियुक्ति एवं नियंत्रण राज्य सरकार द्वारा होता है।

जिलाधिकारी की तरह वह एक क्षेत्रीय अधिकारी होता है। जिसके कार्य विविध है।

उसके पास राजस्व, कार्यकारी एवं मैजिस्ट्रेट का अधिकार होता है।

. एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं राज्य सरकार का आधिकारिक प्रतिनिधि होने के नाते उसे प्रमंडल में सरकार के सभी विभागों के क्रियाकलापों पर नजर रखना होता है।

. एक तरफ वह राजस्व मामले में जिलाधिकारी एवं तहसीलदार के बीच कड़ी का काम करता है, वहीं दूसरी तरफ कानून व्यवस्था मामलों में भी जिला मैजिस्ट्रेट एवं थाना प्रभारी के बीच पुल का काम करता है।

वह जिलाधिकारी का मुख्य सहायक होता है एवं उसके समक्ष अनुमंडल के प्रशासन संबंधी कार्यों के लिए उत्तरदायी होता है।

अनुमंडल दो प्रकार के होते हैं- आफिस एवं टूरिंग।

तहसील –:

• एक प्रमंडल भी कई प्रशासकीय इकाईयों में विभक्त होता है।

• एक तहसील प्रशासन के कई रूपों जैसे राजस्व भूमि रिकार्ड, . कोषागार का प्राथमिक इकाई है।

इसे ‘लघु जिला’ भी कहते हैं क्योंकि इसमें कई विभागों के कार्यालय अवस्थित होते हैं।

• तहसीलदार राज्य सिविल सेवा से जुड़ा होता है एवं एक राजपत्रित अधिकारी होता है।

• वह तहसील में राजस्व वसूली एवं कानून व्यवस्था लागू करने के लिए जिम्मेवार होता है।

  उप तहसील  (अंचल )–:

प्रत्येक तहसील राजस्व प्रशासन में सुविधा की दृष्टि से इकाईयों में बटा होता है।

• राजस्व प्रशासन के क्रम में अंचलाधिकारी प्रथम पदा निरीक्षक होता है।

• वह अपने अंदर गाँवों का राजस्य प्रशासन एवं भूमि रिकार्ड का निरीक्षण करता है। • सामान्यतः यह जिलाधिकारी द्वारा नियुक्त होता है।

 ग्राम –:

• एक गाँव सभी राज्यों में सभी प्रशासकीय एवं वित्तिय प्रयोजनों का सबसे छोटा इकाई होता है।

तमिलनाडु में ग्राम मुखिया गाँव का सर्वप्रमुख पदाधिकारी होता है।

• महाराष्ट्र में इसके समकक्ष पदाधिकारी लेबल कहे जाते हैं।

उत्तर प्रदेश में इस तरह का कोई पदाधिकारी नहीं होता।

• पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा एवं मध्य प्रदेश में पटवारी राजस्व एवं जमीन का हिसाब-किताब रखता है।

विभिन्न राज्यों में वह अलग-अलग नरमों से जाना जाता है। मसलन, उत्तर प्रदेश में ‘लेखपाल, तमिलनाडु में ‘कामम’ या ‘कनक’ एवं महाराष्ट्र में तलटी के नाम से।

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