Alberuni कौन था :–
Alberuni महान इतिहासकार गणितज्ञ लेखक वैज्ञानिक और यात्री था। 11वीं शताब्दी में उसने भारत की यात्रा की थी और यहां की सामाजिक राजनीतिक और भौगोलिक परिस्थितियों की विस्तार से व्याख्या और विवरण अपनी पुस्तक में लिखा था।
Alberuni के विवरण को प्रामाणिक माना जाता है और ऐतिहासिक संदर्भों में प्रयोग भी किया जाता है।
Alberuni के आरंभिक जीवन और कार्यकलापों के संबंध में विस्तृत और स्पष्ट जानकारी का अभाव है।
प्रारंभिक जीवन मध्य एशिया में बीता जहां के राजनीतिक परिवेश का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा।
ऐसा अनुमानित है कि आरंभ में वह ख्वारिज्म के मेमुनिद वंश के शासकों के संरक्षण में था।
उसके बाद वह जुरजेन (कैस्पियन सागर के दक्षिण पूर्व स्थिति) में शम्सुल माली कबूस वासमगीर के दरबार में कुछ समय तक रहा और उसने अपनी पहली पुस्तक अथरूल बाकीयाँ अल कुरुत अल खलिया उसको समर्पित की।
इसके बाद वह वापस ख्वारिज्म आ गया 1017 ईस्वी में महमूद गजनबी द्वारा ख्वारिज्म पर आक्रमण और अधिकार कर लेने के बाद Alberuni युद्ध बंदी के रूप में गजनी ले जाया गया जहां उसने अपने जीवन का अधिकांश समय व्यतीत किया।
सुल्तान महमूद गजनबी के शासनकाल में 1030 ईस्वी के लगभग उसने अपने विख्यात पुस्तक किताब उल हिंद अथवा तहकीक ए हिंद की रचना की किंतु अप्रत्याशित रूप से इस पुस्तक में सुल्तान महमूद का उल्लेख बहुत कम किया गया है।
Alberuni की शिक्षा दीक्षा :–
Alberuni की शिक्षा दीक्षा कब और कहां हुई यह स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है लेकिन वह अनेक भाषाओं का ज्ञाता और विद्वान था।
तथा उसने अनेक पुस्तक लिखी वह ख्वारिजमी, हिब्रू, सिरिक, संस्कृत, ग्रीक, अरबी और फारसी भाषा का ज्ञाता था।
Alberuni किसके साथ भारत आया :–
गजनी उस समय सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र था इसी प्रभाव से Alberuni में भारतीय ज्ञान विज्ञान सामाजिक व्यवस्था में उत्सुकता बढ़ी।
गजनी में पहले से उपलब्ध भारतीय साहित्य और भारतीयों से संपर्क ने उसमें भारत के प्रति जिज्ञासा जागृत की और वह महमूद गजनबी के साथ 1017 से 1020 के मध्य भारत आया।
यहां पंजाब में वर्षों तक रहा और ज्ञान प्राप्त कर उसने भारतीय सामाजिक सांस्कृतिक जीवन ज्ञान विज्ञान और विविध विषयों पर अपना विचार किताब उल हिंद में लिखा।
Alberuni ka janm kahan hua tha :–
अलबरूनी का पूरा नाम अबू रेहान मोहम्मद इब्न अहमद अथवा अल-बिरूनी था। उसका जन्म मध्य एशिया में ख्वारिज्म (खीवा) में हुआ था। उसके जन्म की तिथि 973 ईसवी मानी जाती है अलबेरूनी ईरानी मूल का था।
Alberuni लिखित पुस्तकें :–
अरबी भाषा में उसने अनेक पुस्तकों की रचना की जिसमें से दो उपलब्ध है।
1) अथरुल बकियाँ और
2) किताब उल हिंद
भारतीय इतिहास के लिए किताब उल हिंद एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्रोत है यह 80 अध्यायों और अनेक उप अध्यायों में विभक्त है ।
Alberuni का विवरण महमूद गजनबी के भारतीय आक्रमण से पूर्व अथवा 11वीं शताब्दी के भारतीय सामाजिक जीवन पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालता है।
वह ना सिर्फ सामाजिक संगठनों का उल्लेख करता है बल्कि भारतीय हिंदुओं के रहन-सहन, भोजन, वस्त्र, प्रथाएं, त्यौहार, धर्म-दर्शन, कानून ,अपराध दंड, ज्ञान-विज्ञान, खगोल शास्त्र, गणित, चिकित्सा, रसायन, दर्शन इत्यादि का भी उल्लेख किया है।
भारत में प्रचलित विभिन्न संबंधों यहां तक की भौगोलिक स्थिति महत्वपूर्ण नगरों और उनकी दूरी का परिचय भी किताब उल हिंद से मिलती है।
Alberuni का विवरण :–
अलबरूनी ने भारतीय समाज और हिंदुओं की स्थिति का व्यापक विवरण अपनी पुस्तक में दिया है।
उसके अनुसार हिंदू मुसलमानों से पूर्णता भिन्न थे दोनों को एक दूसरे से अलग रखने में संस्कृत भाषा का महत्वपूर्ण योगदान था।
इसका कारण यह था कि संस्कृत भाषा अत्यंत जटिल थी हिंदुओं का सामान्य जन और पढ़ा लिखा हुआ दोनों ही इस भाषा का प्रयोग करता था परंतु मुसलमान इससे अपरिचित थे।
धार्मिक मामलों में भी भारतीय मुसलमानों से भिन्न थे भारतीय, विदेशियों और मुसलमानों को मलेच्छ मानते थे तथा उनके साथ कोई संबंध नहीं रखते थे उनके साथ खानपान विवाह और अन्य सामाजिक संपर्कों पर प्रतिबंध था।
हिंदू अपने से बाहर के किसी भी व्यक्ति को भले ही वह उनका धर्म स्वीकार करने को तैयार हो अपनी समाज में सम्मिलित नहीं करते थे।
हिंदुओं के तौर तरीके और व्यवहार मुसलमान से भिन्न थे हिंदू अपने बच्चों को मुसलमान का नाम लेकर डराया करते थे।
जब से मुसलमान का भारत में आगमन बढ़ा, हिंदुओं का विरोध भी उनके प्रति बढ़ता गया अलबरूनी भारतीयों के राष्ट्रीय चरित्र का उल्लेख करते हुए लिखता है।
हिंदुओं में यह दृढ़ विश्वास है कि उनके देश के समान और कोई भी देश नहीं है कोई ऐसा राष्ट्र नहीं है कोई राजा उनके राजा के समान नहीं है तथा अन्य कहीं भी विज्ञान उनके विज्ञान के समान नहीं है।
साथ ही अलबरूनी ने यह भी लिखा है कि भारतीयों के पूर्वज इतनी संकीर्ण विचारों के नहीं थे जितना वर्तमान पीढ़ी है भारतीय घमंडी और आत्माभिमानी है।
इसके अलावा अलबरूनी ने भारतीय समाज में व्याप्त वर्ण व्यवस्था और ब्राह्मणों की स्थिति, आश्रमों की व्यवस्था, खान पान, रहन-सहन, विवाह व अन्य सामाजिक नियम, मृतक संस्कार की प्रथा, उपवास और व्रत, तीर्थ यात्रा, उत्सव और त्यौहार, हिंदू प्रथाएं, लेखन पद्धती और वर्णमाला आदि पर भी विस्तार से लिखा है।
भौगोलिक और राजनीतिक विवरण :–
अलबरूनी के यात्रा विवरण से भारत की भौगोलिक स्थिति पर भी प्रकाश पड़ता है भारतीय क्षेत्रों का वर्णन करते हुए उसने कन्नौज के बारे में लिखा है कि इसे और इसके आसपास के क्षेत्रों को मध्य देश के नाम से जाना जाता था ।
कन्नौज गंगा के पश्चिम में था यह राजनीतिक केंद्र था यह एक बड़ा और प्रसिद्ध नगर था परंतु अब यह पतनोन्मुख था क्योंकि राजधानी यहां से स्थानांतरित कर बारी (गंगा के पूर्व, कन्नौज से 4 दिनों की यात्रा की दूरी पर) बसाई गई थी।
अन्य प्रमुख स्थानों में सिंध मथुरा थानेश्वर प्रयाग अयोध्या बनारस खजुराहो उज्जैन ग्वालियर कलिंजर गुजरात धार सोमनाथ और अणहिलवाड़ा कश्मीर मकराना समुद्र तट स्वर्णदीप नेपाल तिब्बत आदि का उल्लेख भी करता है।
इस विवरण में वह कन्नौज को केंद्र मानकर अनेक स्थानों की दूरी व दिशा का भी उल्लेख करता है।
वह पुराणों में वर्णित सात दीपों (जम्बूद्वीप, शकद्विप, कुशद्वीप, क्रोचद्विप, सलमलद्वीप, गोमेद द्विप, तथा पुष्करद्विप) एवं उनकी विशेषताओं का भी उल्लेख करता है।
Alberuni द्वारा वर्णित नदियों में प्रमुख है सिंधु, सरस्वती, गोमती, गंडक, झेलम, व्यास, शतद्रु, गंगा, सरयू आदि।
Alberuni की मृत्यु
14 दिसंबर 1048 ईस्वी को 75 वर्ष की आयु में Alberuni की मृत्यु गजनी अफगानिस्तान में हो गई थी।