भारत का राष्ट्रीय मिठाई जलेबी को माना जाता है। समस्त भारतीय उपमहाद्वीप में यह मिठाई बड़े चाव से बनाई और खाई जाती है और इसका मुख्य कारण कम समय, कम लागत में इस मिठाई का तैयार हो जाना है।
भारत में इस मिठाई को लोक स्वीकृति के आधार पर राष्ट्रीय मिठाई माना जाता है। भारत में जलेबी कई प्रकार से बनाई और खाई जाती है।
आमतौर पर जलेबी को मैदा और शक्कर की चासनी के मेल से बनाया जाता है।
उत्तर भारत में बनने वाली जलेबी का घोल 1 दिन पहले तैयार कर दिया जाता है और उसमें खमीर लगने से उसका स्वाद हल्का खट्टा और चाशनी के कारण मीठा हो जाता है। इस प्रकार हल्का खट्टा और मीठे का मेल इस मिठाई को अनोखा स्वाद प्रदान करते हैं।
मैदे के अलावा पनीर, खोया और उड़द से भी जलेबी का निर्माण किया जाता है, लेकिन इन सभी के स्वाद में व्यापक भिन्नता होती है और इन्हें कई अलग-अलग नामों से भी पुकारा जाता है जैसे पनीर जलेबी, खोया जलेबी और इमरती।
जलेबी की कई विशेषताएं हैं, यह मिठाई अत्यंत आकर्षक होती है, दूसरे शब्दों में कहें तो विभिन्न रंगों के प्रयोग से इसे आकर्षक बनाया जाता है।
इसे तैयार होने में अत्यंत कम समय लगता है, निर्माण सामग्री मैदा, तेल, शक्कर किफायती और कम दामों में हमेशा बाजार में उपलब्ध होते हैं।
कुछ इतिहासकारों के अनुसार जलेबी भारतीय व्यंजन नहीं है उनके अनुसार जलेबी शब्द का उद्भव फारसी शब्द जलिबिया से हुआ है, और इस मिठाई का विवरण अरब देशों जैसे ईरान आदि में सैकड़ों वर्षो से मिलता है।
भारत में राष्ट्रीय मिठाई के रूप में स्थापित होने के पीछे मुख्य कारण इसकी सर्वव्यापकता है। जलेबी छोटे से छोटे मिठाई की दुकान हो या बड़ी से बड़ी दुकान सभी में उपलब्ध होती है
विवाह समारोह हो, जन्मदिन की पार्टी हो या मृत्यु भोज हर स्थान पर इस मिठाई की उपस्थिति देखी जा सकती है। देश के मध्य भाग मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ में सुबह के नाश्ते में पोहा जलेबी का दूसरा विकल्प ही नहीं है।
भारत में जलेबी का राष्ट्रीय मिठाई होना उचित ही है। परंतु हमें इस तथ्य को भी ध्यान में रखना होगा कि जलेबी को राष्ट्रीय मिठाई का दर्जा किसी सरकारी आधिकारिक स्वीकृति से प्राप्त नहीं हुआ है बल्कि, इसे लोक स्वीकृति से राष्ट्रीय मिठाई का दर्जा प्राप्त है।