Chakrawat kise khate hain :–
Chakrawat दो शब्दों के मेल से बना है पहला चक्र दूसरा वात् ऐसी प्राकृतिक घटना के लिए प्रयोग होता है जो गोलाई में घूमता हो वात् का शाब्दिक अर्थ है हवा इस प्रकार चक्रवात का अर्थ हुआ गोल घूमने वाली हवा
वायुमंडल में पवन की अनियंत्रित गति को जो गोलाकार आकार में होती है को चक्रवात या साइक्लोन कहते हैं, चक्रवात के बीच में कम दबाव का क्षेत्र होता है और पवन केंद्र से बाहर की ओर तेज गति से घूमती है,
जिससे चक्रवात के बाहरी हिस्से में हवा का दबाव अधिकतम होता है, जब हवा केंद्र से बाहर की ओर तेज गति से चलती है तो चक्रवात ना सिर्फ अपने स्थान पर गोल घूमता है अपितु लंबी दूरियां तय भी करता है |
Chakrawat का आकार :–
चक्रवात का आकार अनिश्चित होता है लेकिन, गोल घेरे में वायु राशि के घूमने के कारण आमतौर पर गोल अंडाकार या अंग्रेजी के “V” अक्षर के समान होता है, और चक्रवात के का घेरा कुछ मीटर से सैकड़ों किलोमीटर
तक हो सकता है ऊषण कटिबंधीय चक्रवात अपेक्षाकृत आकार में बड़े और तेज गति वाले होते हैं, वहीं अमेरिका के टॉरनेडो ऐली में आने वाले चक्रवात आकार में छोटे पर रफ्तार या वेग में बहुत तेज होते हैं ।
Chakrawat के प्रकार :–
चक्रवात की उत्पत्ति स्थान के आधार पर मुख्यता निम्न भागों में बांटा जा सकता है ।
1 उष्णकटिबंधीय चक्रवात ।
2 शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात
3 मेसोस्केल ।
1 उष्णकटिबंधीय चक्रवात
कुछ नहीं कटिबंधीय चक्रवात ओं की उत्पत्ति कर्क और मकर रेखा के बीच होती है क्योंकि इस क्षेत्र में दोनों उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध से आने वाली
व्यापारिक पवनों का फैलाव होता है दोनों व्यापारिक पवने के बीच वाले दल को अंतरा कृष्ण कटिबंधीय वाताग्र या अंतरा उष्णकटिबंधीय मिलन तल के नाम
से जाना जाता है इस कटिबंध में दोनों ओर से आने वाली हवाओं या वायु राशियों के तापमान कोई विशेष अंतर नहीं होता इस प्रकार के अधिकांश चक्रवातो
में दाब की अधिकता धीमी होती है जिसके कारण इन्हें वायु तंत्र का स्पष्ट विकास नहीं हो पाता है किंतु यह चक्रवात बहुत भयंकर और विनाशकारी स्वरूप
के होते हैं
इस प्रकार के चक्रवातो की उत्पत्ति मुख्यता महासागरों के उष्णकटिबंधीय भागों में होती है जहां तापमान वर्ष भर ऊंचा रहता है इन क्षेत्रों की वायु राशियों के तापमान में ऊपर से नीचे की ओर तापमान में कमी देखी जाती
है जिससे परिणाम स्वरूप सम्वहन की क्रिया तीव्रता से होती है |
उष्णकटिबंधीय चक्रवात के व्यास 40 से 50 किलोमीटर तक न्यूनतम और 150 से 750 किलोमीटर तक अधिकतम पाए जाते हैं इनके केंद्र में कम वायुदाब का क्षेत्र होता है जिसे चक्रवात की आंख कहा जाता है इस भाग में
हवाओं के नीचे उतरने के कारण यह भाग शांत रहता है सभी प्रकार की उष्णकटिबंधीय चक्रवातो में उसके केंद्र या आंख के चारों ओर वायु की अधिकतम गति होती है |
महासागरों के ऊपर इन चक्रवातो की गति सर्वाधिक होती है जबकि स्थलीय धरातल पर इनकी गति धीरे-धीरे कम होकर, यह समाप्त हो जाते हैं और इन्हें बने रहने के लिए जल वाष्प कि लगातार आपूर्ति आवश्यक है जो
महासागरों के ऊपर ही संभव होती है स्थल भाग में यह जलवाष्प नहीं मिल पाने के कारण इनका अंत हो जाता है साथ ही स्थलीय भाग में घर्षण के बढ़ने से भी इनकी गति कम होती है और अंत में निम्न वायुदाब क्षेत्र शीघ्रता
से भर जाने के कारण चक्रवात समाप्त हो जाते है
2 शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात :–
शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में ध्रुवीय क्षेत्रों से आने वाली ठंडी और भारी तथा दूसरी ओर से प्रचलित पछुआ भवनों के रूप में विभिन्न स्वभाव वाली पवनों का मिश्रण होता है किंतु यह पवन या हवाएं आपस में स्वभाव की भिन्नता
जैसे तापमान और आद्रता में भिन्नता के कारण अपने विशिष्ट गुणों को बनाए रखती हैं जिनकी वजह से इनके बीच वाताग्र का निर्माण होता है और इनी गर्म और ठंडी हवाओं के प्रभाव से शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातओं की
उत्पत्ति होती है|
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात प्रचलित पवनों की दिशा में पश्चिम से पूर्व की ओर आगे बढ़ती है चक्रवात में निम्न वायुदाब का केंद्र होता है अतः इसमें बाहर से भीतर की ओर हवाओं की गति पाई जाती है केंद्रीय भाग में पहुंचने
वाली हवाएं ऊपर उठकर पुनः बाहर की ओर चली जाती हैं जिससे इसके केंद्र में सदैव निम्न वायुदाब का एक क्षेत्र बना रहता है |
उष्ण वाताग्र या गर्म हवाओं के क्षेत्र में निरंतर सागरी क्षेत्रों से उष्ण और आद्र हवाएं चलती रहती हैं जिसकी ठंडी एवं भारी हवाओं से मिलने पर ऊपर उठ जाने से काले घने बादलों का निर्माण होता है, और उस क्षेत्र में भारी
वर्षा और हिमपात होता है |
मेसोस्केल
इस प्रकार के संवहन या हवाओं की गति और चक्रवात आमतौर पर उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका यूरोप और एशिया में निर्मित होते हैं, जो दोपहर और शाम के दौरान इनका निर्माण आमतौर पर होता है |
इस तरह की चक्रवात में छोटे-छोटे भंवर आपस में मिलकर एक बड़ा आकार ले लेते हैं लेकिन इनका आकार उष्णकटिबंधीय चक्रवातो से छोटा ही होता है, अपने निर्माण से कई घंटों बाद तक यह अस्तित्व में बने रह सकते
हैं, इनका निर्माण जमीन के गर्म होने से होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका के महान मैदान में निर्मित होने वाले चक्रवात ( टारनेदो एली ) सारे विश्व में कुख्यात है।
चक्रवात का निर्माण :–
चक्रवात का निर्माण क्यों और कैसे होता है यह महत्वपूर्ण प्रश्न है, हालांकि इसके निर्माण के कारणों पर आधुनिक वैज्ञानिक शोध निरंतर जारी है परंतु अभी तक हुई शोधों के आधार पर वैज्ञानिकों के अनुसार चक्रवात के
निर्माण के पीछे मुख्य कारण हवाओं के तापमान में परिवर्तन है, एक गर्म और सूखे दिन में जब सूर्य के तापमान से किसी विशिष्ट क्षेत्र की हवा को गर्म कर देती है तो ऐसी हवा अपने नजदीक की हवा से हल्की हो जाती है
और हल्की हवा भारी हवा के ऊपर पहुंचने का प्रयास करती है जिससे हल्की हवा ऊपर की ओर उठ जाती है और उसके स्थान पर शून्य या वैक्यूम का निर्माण हो जाता है जिसे भरने के लिए आसपास की हवा उसकी और
तेज गति से बढ़ती है और आपस में टकरा कर तेजी से घूमने लगती है यदि इन हवाओं के तापमान में भिन्नता हो तो घूमने की गति और बढ़ जाती है और यह एक चक्रवात का रूप ले लेती है|
चक्रवात में हवाये अंदर के निम्न दाब से बाहर के उच्च दाब की ओर बहती है इन हवाओं में आद्रता प्रचुर मात्रा में होती है जिससे वर्षा वाले काले घने बादलों का निर्माण होता है साथ ही बादलों में पॉजिटिव और नेगेटिव
आवेशित बादल के कणों के कारण तेज बिजली कड़कती है और धरती पर गिरती है साथ ही पर्याप्त मात्रा में बारिश भी होती है उष्णकटिबंधीय चक्रवात और शीतोष्ण कटिबंध चक्रवात के निर्माण में कुछ भिन्नता अवश्य पाई
जाती है किंतु फिर भी मुख्य कारण भिन्न तापमान वाली हवाओं या भिंन्न वाताग्र वाली क्षेत्रों के आपस में मिलने से होता है |
Chakrawat पर कारिआयालिस् बल का प्रभाव :–
पृथ्वी अपने अक्ष पर गोल घूम रही है पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर घूर्णन गति करने पर पृथ्वी की ओर चारों ओर स्थित वायु मंडल भी इस गति से प्रभावित होता है | पृथ्वी की
घूर्णन गति के कारण उत्तरी गोलार्ध में हवाएं अपनी दाईं ओर मुड़ जाती हैं, और दक्षिणी गोलार्ध में बाई और मूड जाती हैं, इस प्रभाव से चक्रवातो को और बल मिलता है, इस
प्रभाव का सबसे पहले अध्ययन जी जी करियालीस ने किया था इसलिए इसे कोरियालिस बल कहा जाता है | इसी प्रभाव के कारण वायु का प्रवाह यह संचार उत्तरी गोलार्ध में
घड़ी की सुईयों के प्रतिकूल या एंटी क्लॉक वाइज और दक्षिणी गोलार्ध में घड़ी की सुई की दिशा में या क्लॉक वाइज होता है।
चक्रवातो पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव
आधुनिक वैज्ञानिक शोधों से यह स्पष्ट हो गया है कि, ग्लोबल वार्मिंग और ग्रीन हाउस के प्रभाव से चक्रवात के निर्माण और गति में बढ़ोतरी हुई है |
इस प्रभाव से जैसे-जैसे पृथ्वी गर्म हो रही है, वायुमंडल में हवाओं के तापमान में भिन्नता भी बढ़ रही है और वायुमंडल के वायु राशियों के मध्य तापमान में परिवर्तन होने से ही
बड़े-बड़े चक्रवतो का जन्म होता है, वैज्ञानिकों का अनुमान है कि जैसे-जैसे ग्लोबल वार्मिंग और ग्रीन हाउस का प्रभाव पड़ेगा वैसे वैसे Chakrawat की संख्या और तीव्रता में वृद्धि होगी।
प्रतिचक्रवात
प्रति चक्रवात की प्रकृति और विशेषताएं चक्रवात से पूर्णता विपरीत होती है | इसके केंद्र में उच्च वायुदाब का क्षेत्र होता है जबकि बाहरी क्षेत्र में निम्न वायुदाब पाया जाता है,
जिसके कारण हवाएं केंद्र से बाहर की ओर प्रवाहित होती है जो चक्रवात की प्रकृति के उल्टी होती है | भूमध्य रेखा क्षेत्रों में प्रति चक्रवात नहीं पाए जाते किंतु उपोष्ण
कटिबंध वाले उच्च वायुदाब के क्षेत्रों में प्रतिचक्रवात का निर्माण आमतौर पर होता है, प्रतिचक्रवात में वाताग्र नहीं बनते तथा इनमें चक्रवातो के विपरीत मौसम साफ और
सुहावना होता है, यदि आकार की बात करें तो यह भी चक्रवातो की तरह गोलाकार या इंग्लिश के V अक्षर के होते हैं और इनका व्यास चक्रवतो की तुलना में कई गुना
अधिक होता है और यह बड़े क्षेत्र पर फैले होते हैं |
Chakrawat के नाम :–
Chakrawat के नाम रखने की परंपरा पुरानी नहीं है ऐसा माना जाता है कि, सर्वप्रथम अमेरिकी महाद्वीप के नाविकों ने 1950 के दशक में तूफानों के नाम अपनी प्रेमिकाओं के नाम पर रखने की शुरुआत की थी |
कुछ समय के पश्चात 60 और 70 के दशक से महिला पुरुष फूल जानवरों पक्षियों पेड़ों के नाम भी चक्रवातो को दिया जाने लगा,चक्रवात को नाम देने की क्या आवश्यकता है या क्यों चक्रवाती को विशेष नाम दिए जाने की
परंपरा की शुरुआत हुई, इस विषय में विचार करते हैं।
1) भविष्य में Chakrawat के प्रभाव और पहचान देने के लिए |
2) चक्रवात के आने पर आम जनता मौसम विभाग और सरकार के मध्य संवाद स्थापित करने की सहूलियत के लिए नामकरण आवश्यक है |चक्रवातो के नाम कैसे रखे जाते हैं यह भी महत्वपूर्ण प्रश्न है किसी तेज गति से
घूमती हुई हवा को चक्रवात तब माना जाता है जब उसकी गति 34 नॉटिकल मील प्रति घंटा से ज्यादा हो।
हिंद महासागर में उठने वाले चक्रवातो के नाम वर्णमाला क्रम के अनुसार 8 देश (बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, मालदीव, म्यामार्, ओमान, थाईलैंड ) द्वारा निर्धारित करने की परंपरा 2004 से प्रारंभ हुई है। विश्व
मौसम संगठन और एशिया प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक कमीशन ने चक्रवाती तूफानों का नामकरण करने की शुरुआत की थी। इस प्रकार आने वाले चक्रवातो के नाम उपर्युक्त देशों द्वारा पहले ही
सुझाव दिए गए होते हैं।
Chakrawat से होने वाली हानि :–
Chakrawat अपनी गति वर्षा और वेग के प्रभाव से व्यापक जन और धन हानि करते हैं, चक्रवात से निम्न हानियां होती हैं।
1) Chakrawat के प्रभाव से बरसात की अधिकता होने पर बाढ़ और जलभराव से फसलों को व्यापक नुकसान होता है और खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।
2) तेज हवाओं के प्रभाव से बड़े पेड़ खंभे और दूरसंचार के माध्यम धरा शाही हो जाते हैं अथवा क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और सड़क परिवहन और संचार में बाधा उपस्थित होती है |
3) चक्रवात के बाद आई बाढ़ के परिणाम स्वरूप खाने पीने की चीजों और जल आपूर्ति में बाधा होती है जिससे बीमारियों और महामारीयो का खतरा बढ़ जाता है आमतौर पर चक्रवात से प्रभावित क्षेत्रों के लोग जल और
जल जनित रोगों से व्यापक प्रभावित होते हैं।
4) चक्रवात पर नजर रखने और चक्रवात के आने पर लोगों के लिए बचाव के उपाय करने पर बहुत सारा धन खर्च होता है |
Chakrawat से बचाव :–
चक्रवातो को रोका नहीं जा सकता है तो बचाव् का मुख्य उपाय मात्र यह है कि, चक्रवातो के मार्ग से हट जाया जाए। चक्रवातो की तीव्रता में वृद्धि ग्रीनहाउस प्रभाव या ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ी हुई है,तो हमें ग्रीन हाउस गैसों
का उत्सर्जन रोकना होगा, जिससे ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम किया जा सके।
Chakrawat के आने पर निम्न बचाव के उपाय किए जा सकते हैं |
1) ऐसे घरों से दूर चले जाएं जिनके आसपास ऊंचे ऊंचे पेड़ या खंबे हो।
2) जारी चेतावनी के अनुरूप घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले जाना चाहिए।
3) यदि चेतावनी हल्के या मध्यम तूफान की है तो घरों में ही रहना चाहिए बाहर खुले स्थानों में निकलने से बचना चाहिए।
4) प्रशासन की ओर से जारी होने वाली चेतावनी पर नजर और ध्यान बनाए रखना चाहिए और दिए गए निर्देशों का पालन करना चाहिए |
चक्रवात से होने वाले लाभ
यह बड़ा ही महत्वपूर्ण प्रश्न है कि जो Chakrawat व्यापक मात्रा में नुकसान पहुंचाते हैं, क्या उनसे कोई लाभ भी मिलता है | तो इसका उत्तर है हां, निश्चित रूप से चक्रवात बहुत ज्यादा नुकसान करते हैं, और उनकी तुलना में मिलने वाला लाभ कम है, पर है।
Chakrawat से होने वाले लाभ क्षेत्र समय और परिस्थितियों पर निर्भर होते हैं कुछ सामान्य लाभ निम्न है।
1) सूखे क्षेत्रों में यह वर्षा की व्यापक मात्रा लेकर आते हैं, जैसा कि अमेरिका की टोरनैडो एली में होता है।
2) गर्म मौसमों में आने वाले चक्रवाती तूफान क्षेत्र को गर्मी से बड़ी राहत देते हैं, जैसा कि भारतीय उपमहाद्वीप में होता है।
3) भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा का मुख्य स्रोत मानसून की बारिश है कई बार बंगाल की खाड़ी में उठने वाले Chakrawat की वजह से मानसून को आगे बढ़ने में सहायता मिलती है।
4) बड़े चक्रवतो के प्रभाव से स्थानीय वाताग्र और आद्रता में परिवर्तन होता है जो पेड़ पौधे पक्षियों और जानवरों के लिए लाभदायक हो सकता है।
चक्रवात के वेग
Chakrawat को कुल 5 श्रेणियों में बांटा गया है, जो इनके हवा की रफ्तार के आधार पर निर्धारित होता है | श्रेणी एक का चक्रवात हानि रहित जबकि पांचवीं श्रेणी का चक्रवात भयंकर हानिकारक होता है, चक्रवात की तीव्रता को सैफिर सिम्पसन स्केल से मापा जाता है।
S.N. | श्रेणी |
स्पीड |
हानी |
1 | I | 90 TO 124 K.M. | तेज हवाएं चलती है और खड़ी फसलों को नुकसान होता है | |
2 | II | 125 TO 164 K.M. | खड़ी फसलों को नुकसान के साथ ही कमजोर पेड़ पौधे जमीन से उखड़ जाते हैं | |
3 | III | 165 TO 224 K.M. | बहुत तेज हवाएं चलती है और व्यापक मात्रा में पेड़ पौधे धारासायी हो जाते हैं | |
4 | IV | 225 TO 279 K.M. | बहुत तेज हवाएं चलती है व्यापक जन धन की हानि होती है संचार और आवागमन की सुविधाएं पूरी तरह से खत्म हो जाती है | |
5 | V | Above 280 K.M. | सबसे तीव्र गति का तूफान है जिससे व्यापक जनधन की हानि होने के साथ ही पूरा इलाका तबाह हो जाता है | |
चक्रवात के क्षेत्रीय नाम
विश्व के विभिन्न भागों में गोल गोल घूमने वाली हवाओं यानी Chakrawat को अलग अलग नाम से पुकारा जाता है कुछ नाम इस प्रकार है |
S.N. |
नाम | प्रभावित क्षेत्र |
1 |
टोरनैडो | संयुक्त राज्य अमेरिका और अफ्रीकी तट |
2 | हरिकेन |
कैरीबियन सागर |
3 |
टाइफून | दक्षिणी चीन सागर और जापान सागर |
4 | विली विली |
उत्तरी पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया |
5 | चक्रवात |
भारतीय उपमहाद्वीप और बंगाल की खाड़ी |
2 thoughts on “Chakrawat | क्या चक्रवात से लाभ भी है | चक्रवात, प्रतिचक्रवात में अंतर”