बजट के द्वारा सरकार अपने आय और व्यय को नियोजित करती है, बजट को संसद के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है और सांसद उस पर व्यापक विचार विमर्श के बाद उसे पारित करती है अर्थात वह कार्यपालिका को आय और व्यय का अधिकार देती है।
तकनीकी रूप से बजट के कई भाग होते हैं जिनमें Dhan vidheyak, विनियोग विधेयक, वित्त विधेयक प्रमुख हैं।
सरकार के आय और व्यय, विभिन्न विधेयकों के माध्यम से ही संसद में प्रस्तुत होते हैं और इन विधेयकों के लिए एक विशेष प्रक्रिया का पालन किया जाता है।
इस लेख में हम जानने का प्रयास करेंगे कि धन विधेयक क्या है।
Dhan vidheyak kya hai
धन विधेयक क्या है इस प्रश्न का उत्तर धन विधेयक की परिभाषा में है।
धन विधेयक की परिभाषा
धन विधेयक ऐसे विधेयक को कहा जाता है जिसमें निम्नलिखित विषयों में से सभी या किसी के संबंध में प्रावधान किया गया हो।
A) किसी कर को लगाने समाप्त करने काम करने विनियमित या परिवर्तन करने से संबंधित हो।
B) भारत सरकार द्वारा धन उधार लेने का या कोई प्रत्यावर्ती देने का विनिमय अथवा भारत सरकार द्वारा अपने ऊपर ली गई या ली जाने वाली किन्हीं वित्तीय बाध्यताओं से संबंधित विधि का संशोधन।
C ) भारत की संचित निधि या आकस्मिक निधि की अभिरक्षा ऐसी किसी निधि में धन जमा करना अथवा उसमें से धन निकालने का प्रावधान।
D) भारत की संचित निधि पर किसी व को भारत में घोषित करना या व्यक्ति धनराशि को बढ़ाने से संबंधित प्रावधान।
E ) भारत के लोक लेखा या भारत की संचित निधि में धन प्राप्त करना अथवा ऐसे धन की अभिरक्षा या उसका निर्गमन अथवा संघ या राज्य के लेखाओं की सम परीक्षा या उपयुक्त विषयों से संबंधित किसी विषय का प्रावधान।
Dhan vidheyak के संबंध में विशेष प्रक्रिया
धन विधेयक के संबंध में सांसद द्वारा एक विशेष प्रक्रिया का पालन किया जाता है और इसके ही अंतर्गत धन विधेयकों को संसद के समक्ष रखा और पारित किया जाता है धन विधेयक को की प्रक्रिया निम्नलिखित है।
i) धन विधेयक लोकसभा में प्रस्तुत किया जाता है क्योंकि यह विधेयक राज्यसभा में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।
ii) धन विधेयक लोकसभा द्वारा पारित किए जाने के पश्चात राज्यसभा में भेजा जाता है।
iii) राज्यसभा धन विधेयक की प्राप्ति की तारीख से 14 दिन की अवधि के भीतर विधेयक को अपनी सिफारिशें सहित लोकसभा को लौटा देती है और ऐसा होने पर लोकसभा राज्यसभा की सभी या किन्हीं सिफारिश को स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है।
iv) लोकसभा राज्यसभा की सिफारिश को मानने के लिए बाद नहीं है वह राज्यसभा की सिफारिश को स्वीकार्य अथवा अस्वीकार कर सकती है।
v) यदि लोकसभा राज्यसभा की किसी सिफारिश को स्वीकार कर लेती है तो Dhan vidheyak राज्यसभा की सिफारिश सहित दोनों सदनों द्वारा पारित माना जाता है।
vi) यदि राज्यसभा लोकसभा द्वारा प्रेषित धन विधेयक की प्राप्ति के 14 दिन के अंदर वापस नहीं करती तो उक्त अवधि की समाप्ति के बाद धन विधेयक को संसद द्वारा पारित माना जाता है।
Dhan vidheyak के संबंध में किए जाने वाली विशेष प्रक्रिया का अध्ययन करने से यह ज्ञात होता है कि धन विधेयकों के संबंध में लोकसभा को असीमित अधिकार प्राप्त हैं और राज्यसभा इन विधेयकों पर लोकसभा को मात्र सुझाव ही दे सकती है।
राष्ट्रपति की अनुमति
सभी विधेयकों को दोनों सदनों द्वारा पारित किए जाने के पश्चात राष्ट्रपति की अनुमति के लिए भेजा जाता है।
राष्ट्रपति उन पर अपनी अनुमति अथवा स्वीकृति देता है या फिर उसे पुनर्विचार के लिए संसद को वापस भेज सकता है, परंतु Dhan vidheyak के संबंध में राष्ट्रपति द्वारा इस विधेयक की स्वीकृति के पश्चात ही संसद में प्रस्तुत किया जाता है अर्थात धन विधेयक पर राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति प्राप्त होती है।
Dhan vidheyak का निर्धारण
कोई विधेयक धन विधेयक है अथवा नहीं इसका अंतिम निर्णय लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा किया जाता है और यह निर्णय अंतिम होता है।
लोकसभा अध्यक्ष द्वारा प्रमाणित होने पर ही कोई धन विधेयक राज्यसभा को तथा राष्ट्रपति को भेजा जाता है।
Dhan vidheyek article
संविधान के अनुच्छेद 110 में धन विधेयक को परिभाषित किया गया है।
अनुच्छेद 111 में राष्ट्रपति द्वारा धन विधेयक पर पूर्व स्वीकृत की व्यवस्था की गई है।
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