Lok nritya. भारत के विभिन्न प्रदेशों में प्रचलित प्रमुख लोक नृत्य ।

भारत विविध संस्कृति वाला देश है खान-पान रहन-सहन वस्त्र त्योहार संगीत नृत्य आदि में पूरे देश में व्यापक विविधता पाई जाती है प्रत्येक राज्य की नृत्य में अपनी लोक शैली है ।

इस लेख के माध्यम से जानने का प्रयास करेंगे की भारत के राज्यों के lok nritya कौन-कौन से हैं, और उनकी क्या विशेषताएं हैं।

असम

असम राज्य के प्रचलित lok nritya निम्नलिखित है बिहू, नागानृत्य, नटपूजा, कलिंगापाल, खेल गोपाल, महारास, बोईसाजू, झुमुरा, बुगूरूमबा, बिछुआ, अंकियानाट, होब्जानई, तबल, चौगवी आदि।

अरुणांचल प्रदेश

मुखौटा नृत्य, युद्ध नृत्य, आदि

आंध्र प्रदेश

मरदाला, वतकम्मा, कुम्मी, सिद्धि, मधुरी, घंटा मर्दाला, छड़ी आदि।

बिहार

पवरिया, सोहराई ,माघा, जातरा, चेकवा, झीका, डाँगा, विदेशिया, बरबो बरवाहन, जटजटिन, सुझरी, माघी आदी।

झारखंड

छउ, सरहुल, करमा, जाया, मुका,घुमकुड़िया, कीर्तनिया, विदायत, बैमा, जदूर आदि।

गोआ

झागोर, खोल, दकनी आदि।

गुजरात

गरबा, डांडियारास, गणपति भजन, लास्या, झकोलिया, पणिहारी नृत्य, रासलीला, दीपक नृत्य, टिप्पनी, भवई आदि।

हरियाणा और पंजाब

भांगड़ा, गिद्दा, कीकली, डफ, धमान, सॉन्ग आदि।

हिमाचल प्रदेश

छारवा, छपेली, चंबा, महाथू, थाली, झैँता जद्दा, सांगला, डांगी, डंडानाच, धमान आदि।

कर्नाटक

यक्षगान, भूतकोला, करगा, कुनिता, वीरगास्से आदि।

केरल

ओटम, कुड़ीओटम, कालीअट्टम, कैकोट्टकली, थुलाल, भद्रकषि,ओटमतुल्लान, टप्पतिकाली, पादयानी आदि।

मध्यप्रदेश

गौडो, टपाली, नवराती, दिवारी, रीना, चैत, गोन्यो, भगोरिया, डागला, पाली, हेरूदन्न, सिगमड़िया, आदि।

छत्तीसगढ़

विल्मा, हुलको, सुआ, मादरी, छेरिया, पंडवानी सुआ, पंथी, चंदैनी, राउत नाच, करमा, ककसार, गौर नृत्य, गेंड़ी, हुलकी पाटा, सरहुल, सैला, दमनच नृत्य आदि।

महाराष्ट्र

लावनी, मौनी, लेजम, गौरीचा, गफ़ा, ललिता, दहीकला, तमाशा, कोली, बोहदा, पोवाड़ा, आदि।

मणिपुर

राखाल, महारास, बसंतरास, लाइ हरीवा, नटरास, थांगटा, पुंगलोचोन, की तलम आदि।

मेघालय

थांगला

मिजोरम

चेरोकान, पखुपिला आदि।

नागालैंड

खैवा, युद्ध नृत्य, नूरालिम, लिम, कुमी नागा चोंग आदी।

उड़ीसा

छउ, डंडानाट, सवारी, अया, संचार, गरुड़ वाहन, जदूर, मुदारी, चंगुनाट, घुमरा पेका आदि।

राजस्थान

घापाल, घूमर, बगरिया, शंकरिया जिंदाद, गणगौर, पनिहारी, गोपीका लीला, डांडिया कृष्ण नृत्य, चेरी, चंग, फूंदी, गीदड़ , कामड़ आदि।

तमिलनाडु

पिंनल, कोलाट्टम, कावड़ी, कडागम, कुम्मी, आदि।

उत्तर प्रदेश

रासलीला, नौटंकी, कजरी, झूला, छपेली आदि।

उत्तराखंड

कुमायूं, चाचरी, जांगर, थाली, जैता, झोरा, जद्दा, दिवाली नृत्य, आदि।

जम्मू कश्मीर

राउफ, हिकात, मंदजास आदि

लक्षद्वीप

परिचाकाली

पश्चिम बंगाल

गंभीरा, कीर्तन, मरसिया, ढाली, रामवेश, काठी, जात्रा, बाउल आदि।

राज्यों में प्रचलित  प्रमुख नृत्य शैलियां :–

डांडिया

मूलतः गुजरात राज्य का यह नृत्य अब अपनी अंतरराष्ट्रीय पहचान बना चुका है नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की स्तुति में किया जाने वाला भक्ति नृत्य है।

इसमें लकड़ी के स्टीक की मदद से समूह में स्त्री और पुरुषों द्वारा ताल में तेज भक्ति संगीत पर नृत्य किया जाता है। बड़े पंडालों में नृतकों की संख्या सैकड़ों में हो सकती है।

छऊ

मूलतः झारखंड और पश्चिम बंगाल में किया जाने वाला lok nritya है जिसमें नृतक मुखौटा पहने हुए रहता है और तेज ताल और भाव भंगिमाओं के साथ यह नृत्य किया जाता है नृत की पृष्ठभूमि धार्मिक और पौराणिक

कथाओं पर आधारित होती है। नृतक की भाव भंगिमा बहुत तेजी से बदलती है यह तेज लय और गति का नृत्य है। इस नृत्य को भी अब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्यति मिलने लगी है।

बिहू नृत्य

बिहू नृत्य का प्रचलन पूर्वोत्तर भारत के असम राज्य में है इसका प्राचीन रूप आरण्यक नृत्यों की परंपरा से जुड़ा हुआ है आसाम की मीरी तथा कचारी या कछारी जनजातियों में प्रचलित यह नृत्य वर्ष में तीन बार आयोजित होता है।

बोहाग बिहू

आमतौर पर अप्रैल माह में नववर्ष के स्वागत के रूप में वर्ष के प्रथम दिन यह नृत्य किया जाता है।

माघ बिहू

धान की फसल के पक जाने पर सुख एवं समृद्धि के सूचक के रूप में यह lok nritya उत्सव होता है।

वैशाख बिहू

बसंत उत्सव के समय आनंद के प्रतीक के रूप में यह lok nritya उत्सव आयोजित होता है इसका धर्म से कोई संबंध नहीं है

गड़वा नृत्य

इस नृत्य का प्रचलन आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम जिले में है स्त्री एवं पुरुष दोनों इस lok nritya में भाग लेते हैं।

नृत्य में साथ साथ घेरा बनाकर उसमें वाद्य यंत्रों की लय ताल के साथ नृत्य किया जाता है इस नृत्य में कभी-कभी स्त्रियां खुद जोड़ा बनाकर नृत्य करती हैं।

रउफ़

जम्मू कश्मीर राज्य का सबसे प्रसिद्ध lok nritya है इस नृत्य उत्सव का आयोजन फसलों की कटाई संपन्न होने के बाद स्त्रियों द्वारा किया जाता है इसमें नाचने वाली ग्रामीण स्त्रियां दो पंक्तियों में आमने-सामने खड़े होकर एक दूसरे के गले में बाहें डालकर नृत्य करती है।

इसकी गति पर गीत की लय का काफी प्रभाव रहता है जबकि इसके आयोजन में किसी भी प्रकार की वाद्य यंत्रों का प्रयोग नहीं होता है।

गरबा

गुजरात राज्य में प्रचलित स्त्रियों का सबसे महत्वपूर्ण  lok nritya है जो नवरात्रि के अवसर पर आयोजित होता है इसका उद्देश्य अंबा माता की आराधना करना है।

इसमें गरबा के प्रतीक के रूप में मिट्टी के एक घड़े में जिसके चारों ओर छिद्र होते हैं दीपक रखकर उसके चारों और गोल घेरा बनाकर तथा माथे पर दीपक युक्त मिट्टी का पात्र रखकर ताल और लय के साथ नृत्य किया जाता है।

भांगड़ा

पंजाब राज्य में प्रचलित lok nritya है जिसे वहां के पुरुषों द्वारा किया जाता है आमतौर पर इसका आयोजन उत्सव त्योहारों के अलावा फसलों के पक जाने पर भी होता है इसमें वाद्य यंत्रों एवं गायन के साथ-साथ पुरुषों की टोलियां एक लय पर नृत्य करती है।

पंथी नृत्य

पंथी छत्तीसगढ़ी सतनामी जाति का पारंपरिक lok nritya है त्यौहार पर सतनामी जैतखाम की स्थापना करते हैं और परंपरागत ढंग से पंथी गायन के साथ नृत्य होता है पंथी नाच की शुरुआत गुरु वंदना से होती है।

पंथी गीत का प्रमुख विषय गुरु घासीदास का चरित्र होता है । पंथी नाच के मुख्य वाद्य यंत्र मांदर और झांझ होते हैं पंथी तेज गति का नृत्य है नित्य का आरंभ विलंबित होता है परंतु तेज गति इसके चरम पर होती है और नृतकों की गति और नृत्य मुद्राएं तेजी से बदलती है।

गौर नृत्य (माड़िया नृत्य)

छत्तीसगढ़ के जनजातीय क्षेत्र बस्तर में मारिया जनजाति द्वारा जात्रा के नाम से वार्षिक पर्व मनाया जाता है यात्रा के दौरान गांव के युवक युक्तियां रात भर नृत्य करते हैं।

इस नृत्य के समय मारिया युवक गौर नामक जंगली पशु का सीग कौड़ियों में सजाकर अपने सिर पर धारण करते हैं इसी कारण इसे गौर नृत्य कहा जाता है।

युवतियां सिर पर पीतल का मुकुट पहनती है और नृत्य के दौरान गाती हुई सुंदर मुद्राएं बनाती है यह वर्षा काल में अच्छी फसल सूख एवं संपन्नता को केंद्र में रखकर किया जाता है इस नृत्य को मानव शास्त्री वेरियर एल्विन ने संसार का सबसे सुंदर नृत्य कहा था।

घुमर

राजस्थान में प्रचलित अत्यंत लोकप्रिय नृत्य है जिसे केवल स्त्रियां करती है तीज त्योहारों जैसे होली दुर्गा पूजा नवरात्रि तथा गणगौर एवं विभिन्न देवियों की पूजा के अवसर पर यह नृत्य समारोह आयोजित होता है स्त्रियां एक गोल घेरे में चक्कर लगाते हुए यह नृत्य लय और ताल के साथ संपन्न करती हैं।

विदेशिया

उत्तर प्रदेश और बिहार के भोजपुरी भाषी क्षेत्रों में यह प्रचलित लोक नृत्य है इसकी रचना भिखारी ठाकुर ने की थी जबकि वर्तमान समय में इस की तर्ज पर काफी नाटकों की रचना हुई है एवं उसका नृत्य एवं गायन के

माध्यम से प्रस्तुतीकरण भी हुआ है ।

इसका उद्देश्य मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक एवं पारिवारिक विषमताओं को उजागर करते हुए बुराइयों को समाप्त करने के लिए नीति एवं मर्यादा का उपदेश देना भी है।

1 thought on “Lok nritya. भारत के विभिन्न प्रदेशों में प्रचलित प्रमुख लोक नृत्य ।”

Leave a Comment