राष्ट्रीय पक्षी मोर पर 10 लाइन

भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर अथवा मयूर है यह अत्यंत सुंदर होता है। जो सारे भारत में पाया जाता है इस लेख में हम भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर पर 10 लाइन जानेंगे।

1) 26 जनवरी 1965 को मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया था।

2) मोर के पंख अत्यंत आकर्षक और सुंदर होते हैं जो उनके शिकार की मुख्य वजह भी बनते हैं।

3) मोर सर्वाहारी जीव है जो कीड़े मकोड़ों के अलावा सांपों का भी शिकार और भक्षण करते हैं।

4) मोर का वैज्ञानिक नाम Pavo Gristatus (पैवो क्रिस्टेट्स) है।

5) मोर और मोरनी (मादा मोर) मोर के आकार में अंतर होता है मोरनी की अपेक्षा मोर का आकार बड़ा होता है।

6) मोर पक्षी प्रजाति का होने के बावजूद बहुत दूर और ऊंचाई तक नहीं उड़ सकता है यह छोटी दूरी तक उड़ सकता है।

7) मोर की औसत आयु 20 से 25 वर्ष की होती है।

8) मोरनी एक बार में 4 से 6 अंडे देती है जिसमें 36 से 35 दिनों में मोर चूजे निकलते हैं।

9) पूरे भारत में मोर पाया जाता है आमतौर पर उत्तर प्रदेश, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, बिहार और महाराष्ट्र राज्य में इनकी आबादी पर्याप्त संख्या में है।

10) भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत मोर की हत्या और नुकसान पहुंचाने पर 7 साल तक की सजा का प्रावधान है।

प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में पशु पक्षियों के विशेष महत्व रहा है और उनको विशेष स्थान और आदर दिया जाता रहा है।

मयूर जिसे राष्ट्रीय पक्षी के रूप में मान्यता प्राप्त है का प्राचीन काल से महत्व रहा है भगवान के आभूषणों में मोर पंख का विशेष स्थान है

घर पर मोरपंख से सजावट की जाती है तथा इसे वास्तु दोष दूर करने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है।

मोर एक बड़े आकार का पक्षी है इसलिए अधिक ऊंचाई तक उड़ नहीं सकता मोर का आकार मोरनी के अपेक्षा बड़ा होता है जहां मोर 25 से 30 किलो का होता है वही मोरनी 20 से 25 किलो की हो सकती है।

मोर की आवाज अत्यंत तेज और कर्कश होती है जिसे 3 से 4 किलोमीटर की दूरी से भी सुना जा सकता है।

मोर के सुंदर पंख उनकी हत्या और शिकार की मुख्य वजह होते हैं यद्यपि भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत इसे संरक्षण प्राप्त है फिर भी चोरी-छिपे इनका शिकार और हत्या की जाती है ।

यह तब तक नहीं रोकी जा सकती जब तक कि मोर पंख का खुले आम व्यापार पर प्रतिबंध न लगाया जाए जैसा कि अन्य वन्य जीवों के अंगों के व्यापार पर होता है।

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