संसदीय समितियां। Parliamentary committees. स्थाई, तदर्थ समितियां । प्रकार, कार्य

संसदीय समितियां क्या होती हैं –:

 संसद की आम बैठक हंगामेदार और वाद-विवाद से भरी होती है जिसमें रचनात्मक कार्य होने की बजाएं शक्ति प्रदर्शन और संसद के कार्यों को विपक्ष द्वारा बाधित करने का प्रयास किया जाता है।

ऐसी दशा में संसद अपना अधिकतर कार्य समितियों के माध्यम से करती है, और इन समितियों को कुछ ऐसे कार्यों को निपटाने के लिए गठित किया जाता है जिसमें जिनके लिए विशेषज्ञों तथा व्यापक विचार विमर्श की आवश्यकता नहीं होती।

भारत में समिति प्रणाली का विकास वैदिक काल से ही हो गया था लेकिन आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्था में इनका शुरुआत मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड के 1919 के भारत सरकार अधिनियम में सर्वप्रथम दिखाई देते हैं।

हालांकि उस समय इन समितियों को इतनी स्वतंत्रता नहीं थी जितनी आज उपलब्ध है । वर्तमान समय की समितियों की तुलना में उस समय की समितियों को कम विशेषाधिकार तथा शक्तियां प्राप्त थी।

भारतीय संविधान के लागू होने के बाद संसदीय समितियां कुछ हद तक लघु संसद के रूप में कार्य करती है। संसदीय समितियों का गठन संसद द्वारा निर्मित प्रक्रिया तथा कार्य संचालन के नियमों के अधीन होता है।

संसदीय समितियों का गठन यद्यपि संविधान में संसदीय समितियों के बारे में विशेष रूप से कोई उपबंध नहीं किया गया है,किंतु अनुच्छेद 118(i) के अंतर्गत दोनों सदनों द्वारा निर्मित नियमों के अधीन इन समितियों का गठन किया जाता है।

संसदीय समितियों का गठन या तो लोकसभा के सदस्यों द्वारा या राज्यसभा के सदस्यों द्वारा या दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा किया जा सकता है ।

जब लोकसभा के सदस्यों से किसी समिति का गठन हो तो या तो सदस्य लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा नामजद किए जाते हैं या लोकसभा के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं, और जब राज्यसभा के सदस्यों से समिति का गठन होता है तब या तो राज्यसभा सभापति द्वारा सदस्य नामजद किए जाते हैं, या राज्यसभा सदस्यों द्वारा चुने जाते है।

समिति का गठन निश्चित अवधि के लिए किया जाता है, और उसके सदस्य समिति में बने रहने तक सदस्य बने रहते हैं, लेकिन कोई सदस्य इसके पूर्व भी त्यागपत्र देकर समिति से अलग हो सकता है।

संसदीय समितियों के प्रकार –:

संसदीय समितियां दो प्रकार की होती है।

स्थाई समितियां।
तदर्थ समितियां।

स्थाई समितियां –:

इन समितियों का गठन नियमित आधार पर होता है। समय समय पर संसद के अधिनियम और उपबंध हो अथवा लोकसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियम के अनुसरण के अनुरूप इन समितियों का गठन होता है।

इन समितियों का कार्य अनवरत प्रकृति का होता है। वित्तीय समितियां विभागों से संबद्ध समिति तथा कुछ अन्य समितियां स्थाई समितियों की श्रेणी में आती हैं।

तदर्थ समितियां –:

तदर्थ समितियां किसी विशिष्ट प्रयोजन के लिए गठित की जाती है, और जब अपना कार्य समाप्त कर लेती है, और अपना प्रतिवेदन संसद के पटल पर प्रस्तुत कर देती है, तब उनका अस्तित्व समाप्त हो जाता है ।

प्रमुख तदर्थ समितियां विधायकों से संबंधित प्रवर तथा संयुक्त समितियां है। रेल अभी समय समिति, संसद भवन परिसर में खाद्य प्रबंधन समिति, संयुक्त समिति इत्यादि तदर्थ समितियों की श्रेणी में आती है।

संसदीय समितियों का कार्य क्या है –:

समितियां अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले मंत्रालयों या विभागों के विषय में निम्न कार्य करती हैं।

i) अनुदान की मांगों पर विचार करना ।

ii) ऐसे विधायकों की जांच करना जो सभापति राज्यसभा अथवा अध्यक्ष लोक सभा द्वारा यथास्थिति सौंपे गए हो ।

iii) विभागों के वार्षिक प्रतिवेदनो पर विचार करना।

iv) सभा में प्रस्तुत राष्ट्रीय आधारभूत दीर्घ अवधि नीति संबंधी दस्तावेजों जो राज्यसभा के सभापति या लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा समिति को सौपे गए हो पर विचार करना।

संसद की स्थाई वित्तीय समितियां –:

संसद की स्थाई वित्तीय समितियों की संख्या 3 है।

1) प्राक्कलन समिति।
2) लोक लेखा समिति।
3) सरकारी उपक्रमों से संबंधित समिति।

विभागों से संबद्ध स्थाई समितियां –:

विभागों से संबद्ध स्थाई समितियों की संख्या 24 है। जिनकी क्षेत्राधिकार में भारत सरकार के सभी मंत्रालय विभाग आते हैं ।

इनमें से प्रत्येक समिति में 31 सदस्य होते हैं 21 लोकसभा से और 10 राज्य सभा से, जिन्हेंलोकसभा के अध्यक्ष तथा राज्यसभा के सभापति द्वारा नाम निर्दिष्ट किया जाता है। इन समितियों का कार्यकाल 1 वर्ष के लिए होता है ।

यह स्थाई  समितियां निम्न है –: 

1) वाणिज्य संबंधी समिति।

2) गृह कार्य संबंधी समिति।

3) मानव संसाधन विकास संबंधी समिति।

4) उद्योग संबंधी समिति।

5) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर्यावरण एवं वन संबंधी समिति।

6) परिवहन पर्यटन और संस्कृति संबंधी समिति।

7) स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संबंधी समिति।

8) कार्मिक लोक शिकायत विधि और न्याय संबंधी समिति।

9) रक्षा संबंधी समिति।

10) सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी समिति।

11) कृषि संबंधी समिति।

12) ऊर्जा संबंधी समिति।

13) वित्त संबंधी समिति।

14) विदेशी मामलों संबंधी समिति।

15) श्रम संबंधी समिति।

16) खाद्य नागरिक आपूर्ति और सार्वजनिक वितरण संबंधी समिति।

17) पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस संबंधी समिति।

18) शहरी विकास संबंधी समिति।

19) रेल संबंधी समिति।

20) रसायन और उर्वरक संबंधी समिति।

21) जल संसाधन संबंधी समिति।

22) ग्रामीण विकास संबंधी समिति।

23) सामाजिक न्याय और अधिकारिता संबंधी समिति।

24) कोयला और इस्पात संबंधी समिति।

इन 24 समितियों में से 16 समितियों को लोक सेवा सभा सचिवालय द्वारा  सेवा प्रदान की जाती है वही 8 समितियों को राज्यसभा सचिवालय द्वारा सचिवालय सेवा प्रदान की जाती है।

उपरोक्त 24 स्थाई समितियों के अतिरिक्त निम्न अन्य 16 स्थाई समितियां भी कार्यरत हैं।

1)  विशेषाधिकार समिति।

2) सभा की बैठकों में सदस्यों की अनुपस्थिति संबंधी समिति।

3) महिलाओं को शक्तियां प्रदान करने संबंधी समिति।

4) सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति।

5)  कार्य मंत्रणा समिति।

6) याचिका समिति।

7) सभा पटल पर रखे गए पत्रों संबंधी समिति।

8) गैर सरकारी सदस्यों के विधायकों तथा संकल्पों संबंधी समिति।

9) आवास समिति।

10) सामान्य प्रयोजना समिति।

11) अधीनस्थ विधान संबंधी समिति।

12) नियम समिति।

13) अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के कल्याण संबंधी समिति।

14) ग्रंथालय् समिति।

15) संसद सदस्यों के वेतन तथा भक्तों से संबंधित संयुक्त समिति।

16) लाभ के पदों संबंधी संयुक्त समिति।

 तदर्थ समितियां –:

इन सभी समितियों में सदस्य संख्या, कार्यकाल और निर्वाचन की प्रक्रिया अलग-अलग होती है ।

1) संसद भवन परिसर में सुरक्षा संबंधी संयुक्त समिति ।

2) लाभ के पद संबंधित संवैधानिक और विधिक स्थिति की जांच करने संबंधी समिति।

3) लोकसभा के सदस्यों के कदाचार की जांच करने संबंधी समिति।

4) संसद भवन परिसर में राष्ट्रीय नेताओं और सांसद वेदों की मूर्तियां तस्वीरें लगाने संबंधी समिति।

5) संसद भवन परिसर में खाद्य प्रबंधन संबंधी समिति।

6) संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना समिति।

7) आचार समिति।

8) रेल अभी समय समिति।

9) संसद सदस्यों तथा लोकसभा सचिवालय के अधिकारियों को कंप्यूटर उपलब्ध कराने संबंधी समिति।

इस प्रकार इन समितियों के माध्यम से संसद प्रशासन पर नियंत्रण स्थापित करती है साथ ही इन समितियों के माध्यम से बिना किसी वाद विवाद के आम सहमति से निर्णय लिए जाते हैं

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