वित्त आयोग।राज्य वित्त आयोग क्या है। 15 वित्त आयोग । वित्त आयोग के कार्य ।

संवैधानिक संस्थाओं में वित्त आयोग का विशेष महत्व है संविधान के अनुच्छेद (Article) 280 में वित्त आयोग (Finance Commission) का उल्लेख किया गया है।

संविधान लागू होने के बाद प्रथम वित्त आयोग का गठन वर्ष 1951 में के सी नियोगी की अध्यक्षता में किया गया था, जिसने अपनी रिपोर्ट वर्ष 1953 में राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के समक्ष प्रस्तुत की  थी।

वित्त आयोग की विशेषताएं –:

1) संविधान का अनुच्छेद 280 वित्त आयोग के संबंध में है।

2) वित्त आयोग एक अर्ध न्यायिक ,सलाहकारी, संवैधानिक संस्था है।

3) राष्ट्रपति द्वारा प्रत्येक 5 वर्षों के अंतराल पर नए आयोग का गठन किया जाता है।

4) वित्त आयोग की संगठनात्मक संरचना में एक अध्यक्ष और 4 सदस्य होते हैं।

5) 4 सदस्यों में से 2 सदस्य पूर्णकालीन जबकि 2 सदस्य अंशकालीन होते हैं।

6) सलाहकारी संस्था वित्त आयोग की सलाह सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं है।

वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की अहर्ताएं (योग्यताएं)–:

वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की योग्यता क्या होगी, इसका निर्धारण करने का अधिकार संसद को दिया गया है।

संसद में इसके लिए 1951 वित्त आयोग अधिनियम 1951 पारित किया जिसके बाद में 1955 में संशोधित किया गया, इस अधिनियम के अनुसार अध्यक्ष और सदस्य के लिए निम्न मानदंड निर्धारित किए गए हैं।

1) अध्यक्ष ऐसे व्यक्ति को नियुक्त किया जाएगा जिसे सार्वजनिक मामलों का अनुभव हो।

2) आयोग का सदस्य ऐसे व्यक्तियों को नियुक्त किया जाएगा जो उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या उसके नियुक्ति की योग्यता रखता हो।

3) आयोग का सदस्य वह व्यक्ति होगा जो सरकार के वित्त और लेखों का विशेषीकृत ज्ञान रखता हो।

4) सदस्य वह व्यक्ति होगा जो वित्तीय मामलों और प्रबंधन में वृहद अनुभव रखता हो।

5) आयोग के सदस्यों को अर्थशास्त्र का विशेष ज्ञान होना चाहिए।

वित्त आयोग के कार्य–:

वित्त आयोग संसद द्वारा दिए गए अधिकार का प्रयोग करके अपनी प्रक्रिया स्वयं निर्धारित करता है ।संविधान के अनुच्छेद 280 के अंतर्गत वित्त आयोग के निम्न कार्य निर्धारित किए गए हैं।

1) करो की कुल प्राप्तियो का केंद्र और राज्यों के मध्य अनुपातिक विभाजन के सिद्धांतों का सुझाव राष्ट्रपति को देना।

2) वह सिद्धांत जिससे केंद्र द्वारा राज्यों को दी जाने वाली सहायता राहत राशियां (भारत की संचित निधि से दी जाने वाली राशि के अतिरिक्त) नियंत्रित होनी चाहिए।

3) राज्य की संचित निधि की वृद्धि हेतु मापदंडों की आवश्यकता है। जिससे राज्य वित्त आयोग द्वारा दिए गए सूझाओं के आधार पर पंचायतों और नगर पालिकाओं के स्रोतों की प्रतिपूर्ति हेतु सुझाव (यह कार्य 1982 के 73 वें और 74 वें संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया था)।

4) राष्ट्रपति द्वारा निर्देशित सुदृढ़ (मजबूत) वित्त के व्यवस्था के लिए निर्दिष्ट किए गए किसी अन्य विषय में राष्ट्रपति को सुझाव देना,।

5) आयोग अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत करता है।

6) राष्ट्रपति, रिपोर्ट को इसके परामर्श के आधार पर किए गए कार्यों की एक विस्तृत विवरणिका के साथ दोनों सदनों के समक्ष रखता है।

वित्त आयोग अध्यक्ष, नियुक्ति वर्ष, क्रियान्वयन अवधि, की list –:

वित्त आयोग क्र.
अध्यक्ष
आयोग नियुक्ति वर्ष
क्रियान्वयन अवधि

पहला ( 1 )

के.सी. नियोगी 1951 1952-1957
दूसरा ( 2 ) के. संथानम 1956

1957-1962

तीसरा ( 3 )

ए.के. चंद्रा 1960 1962-1966

चौथा ( 4 )

डॉ. पी.वी. राजमन्नार 1964 1966-1969
पाँचवां ( 5 ) महावीर त्यागी 1968

1969-1974

छठा ( 6 ) पी. ब्रह्मानंद रेड्डी 1972

1974-1979

सातवाँ ( 7 )

जे.पी. शेलट 1977 1979-1984
आठवाँ (  8 ) वाई.पी. चौहान 1982

1984-1989

नौवाँ (9 )

एन.के.पी. साल्वे 1987

1989-1995

दसवाँ  (10 ) के.सी. पंत 1992

1995-2000

ग्यारहवाँ (11 )

प्रो. ए.एम. खुसरो 1998 2000-2005
बारहवाँ ( 12 ) डॉ. सी. रंगराजन 2003

2005-2010

तेरहवाँ ( 13 )

डॉ. विजय एल. केलकर 2007 2010-2015
चौदहवां ( 14 )  डॉ. वाई.वी. रेड्डी 2012

2015-2020

पंद्रहवां ( 15 )

एन. के. सिंह  2017

2021-2026

विवाद –:

भारत का संविधान वित्त आयोग को, भारत के राजकोषीय संघवाद को संतुलित करने वाले तराजू के रूप में देखता है।

जब तक केंद्र और राज्यों में एक ही दल की सरकार थी तब तक वित्त आयोग द्वारा सुझाए गए सिद्धांतों को लेकर कोई विवाद नहीं था, लेकिन जब से केंद्र और राज्यों में अलग-अलग दल की सरकारों का गठन हुआ है, तब से वित्त आयोग द्वारा सुझाए गए सिद्धांतों पर विवादों की मुहर लग गई है।

जब 11 वें वित्त आयोग ने अपनी रिपोर्ट दी तो राष्ट्रीय स्तर पर यह विवाद उठा कि अंशो का हस्तांतरण कैसे होगा। इसके पूर्व के अंतर्राजीय विभाजन को नियंत्रित करने वाले पांच के स्थान पर अब 6 तथ्य निर्धारित किए गए हैं।

1 जनसंख्या।

2 आय्।

3 क्षेत्र।

4 मूल संरचना की सूची।

5 कर।

6 राजकोषीय अनुशासन (नया जोड़ा गया है)।

राज्य वित्त आयोग क्या है/ राज्य वित्त आयोग–:

वर्ष 1992 में संविधान के 73 वें और 74 वें संशोधन द्वारा स्थानीय निकायों को स्वायत्तता देने के लिए राज्य वित्त आयोग के गठन का प्रावधान किया गया था।

संविधान के अनुच्छेद 243 (I) और 243(Y) में यह प्रावधान है कि राज्य सरकार की आय का राज्य और स्थानीय स्वायत्त निकायों के मध्य बंटवारे का सामान्य सिद्धांत निर्धारित करने का सुझाव राज्य वित्त आयोग देगा राज्यपाल द्वारा प्रत्येक 5 वर्षों में गठित राज्य वित्त आयोग का निम्न कार्य होगा।

1) राज्य की संचित निधि से राज्य के सहायता प्राप्त संस्थाओं (पंचायत और नगरी निकाय) को धन आवंटन की अनुशंसा करना।

2) वित्तीय मामलों के केंद्र और राज्य सरकारों के मध्य एक कड़ी के रूप में कार्य करना।

3) राज्य सरकार द्वारा कर फीस टोल इत्यादि से प्राप्त राशि को राज्य के पंचायती राज संस्थाओं और नगरीय निकायों के मध्य आवंटन का सिद्धांत का सुझाव देना।

4) राज्य वित्त आयोग द्वारा पंचायतों और नगरीय निकायों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करना।

15 वित्त आयोग–:

15वें वित्त आयोग का गठन श्री एन के सिंह की अध्यक्षता में किया गया है।

सदस्य पूर्णकालिक –श्री शशिकांत दास

सदस्य पूर्णकालिक –डॉ अनूप सिंह

सदस्य अंशकालीन –डॉ रमेश चंद्र

सदस्य अंशकालीन –डॉ अशोक लहरी

सचिव –श्री अरविंद मेहता

15 वे वित्त आयोग का गठन वर्ष 2017 में किया गया था। इस आयोग की सिफारिशों को वर्ष 2021 से वर्ष 2026 के मध्य लागू किया जाएगा।

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