विश्व के प्राचीन और अनोखे धर्म में से एक धर्म Yahudi धर्म भी है इतिहासिक रूप से विश्व के सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक मेसोपोटामिया सभ्यता जो कि वर्तमान इराक और सीरिया में फैली हुई थी कि, सामी मूल की विभिन्न भाषाएं बोलने वाले अक्कादी, केनानी, आमोरी और असूरी आदि कई खानाबदोश कबीले उस क्षेत्र में निवास करते थे।
इन्हीं में से एक कबीले का नाम हिब्रू था, वह यहोवा को अपना ईश्वर और अब्राहम को आदि पितामह मानते थे।
हिब्रू कबीले की मान्यता थी की, यहोवा ने अब्राहम और उनके वंशजों को रहने के लिए इजराइल प्रदेश निर्धारित किया है।
प्रारंभ में गोशन में मिस्त्रीओं के साथ हिब्रूओ के अच्छे संबंध थे, परंतु कुछ समय के बाद दोनों में तनाव उत्पन्न होने लगा अतः मिस्त्री फराओ के अत्याचारों से परेशान होकर हिब्रू लोग मूसा के नेतृत्व में इजराइल की ओर चल पड़े, इस यात्रा को Yahudi इतिहास में निष्क्रमण कहा गया है।
इजराइल जाने के मार्ग पर ‘सिनाई’ पर्वत पर मूसा को ईश्वर का संदेश मिला कि “यहोवा” ही एकमात्र ईश्वर है अतः उसकी आज्ञा का पालन करें और उसके प्रति श्रद्धा रखें और 10 धर्म सूत्रों का भी पालन करें।
“मूसा” ने यह संदेश हिब्रू कबीले के लोगों को सुनाएं इसके बाद अन्य सभी देवी देवताओं को हटाकर सिर्फ “यहोवा” कि आराधना की जाने लगी।
इस प्रकार “यहोवा” की आराधना करने वाले Yahudi और उनका धर्म ‘यहूदत’ कहलाया।
Yahudi धर्म की मान्यता है कि, ईश्वर अपना संदेश पैगंबरों के माध्यम से प्रेषित करता है।
यहूदी लोग अब्राहम इसाक और जैकब को अपना पितामह पैगंबर मूसा को मुख्य पैगंबर तथा एलीजा, आयोस, होशिया, इजिया हजकिया इजकील जरेमियां आदि को अन्य पैगंबर मानते हैं।
Yahudi धर्म एकेश्वरवाद पर आधारित है उनका ईश्वर यहोवा अमूर्त, निर्गुण, सर्वव्यापी, न्याय प्रिय, कृपालु और कठोर अनुशासन प्रिय है अपनी आज्ञाओं के उल्लंघन होने पर वह दंड भी देता है।
इतना ही नहीं Yahudi लोग यहोवा कि आज्ञाओं में सैनिक कार्यो का भी संदेश पाते हैं यहोवा उनको धर्म की रक्षा के लिए सैन्य संघर्ष का भी आदेश देता है।
10 Yahudi धर्म सूत्र :–
यहूदी धर्म में 10 धर्म सूत्रों का विशेष महत्व है जिसका पालन करने पर यहोवा की अनंत कृपा प्राप्त होती है यह धर्म सूत्र निम्न है।
1) मैं स्वामी हूं तेरा ईश्वर, तुझे मिस्र की दासता से मुक्त कराने वाला।
2) तू अपने स्वामी और अपने प्रभु का नाम व्यर्थ नहीं लेगा।
3) मेरे सिवाय तू किसी दूसरे देवता को नहीं मानेगा।
4) सवाथ (अवकाश) का दिन सदैव याद रखना और उसे पवित्र रखना 6 दिन तू काम करेगा। किंतु सातवां दिन सवाथ का दिन है।
याद रखना कि 6 दिन तक तेरे ईश्वर ने आकाश पृथ्वी और सागर तथा उन सब में विद्यमान सभी कुछ की रचना की फिर सातवें दिन विश्राम किया था अतः यह प्रभु के विश्राम का दिन है इस दिन तो कोई भी काम नहीं कर सकता।
5) अपने माता-पिता का सम्मान करना उन्हें आदर देना ताकि ईश्वर प्रदत इस भूमि पर तू दीर्घायु हो सके।
6) तू परस्त्री या परपुरुष गमन नहीं करेगा।
7) तू हत्या नहीं करेगा।
8) तू चोरी नही करेगा।
9) तू अपने पड़ोसियों के खिलाफ झूठी गवाही नहीं देगा।
10) तू अपने पड़ोसी के मकान पड़ोसी की पत्नी पड़ोसी के नौकर या नौकरानी उनके बैल उसके गधे पर बुरी नजर नहीं रखेगा।
Yahudi धर्म ग्रंथ :–
यहूदियों के बीच अनेक धर्म ग्रंथ प्रचलित हैं जिनमें से कुछ प्रमुख निम्न है।
1) तोरा जो बाइबिल के प्रथम 5 ग्रंथों का सामूहिक नाम है और यहूदी लोगों के लिए इसे सीधे ईश्वर द्वारा मूसा को प्रदान की गई थी।
2) तालमुड़ जो यहूदियों के मौखिक आचार व दैनिक व्यवहार संबंधी नियमों टिकाओ तथा व्याख्याओं का संकलन है।
3) इलाका जो तालमुड़ का विधि संग्रह है।
4) अगाड़ा जिसमें धर्मकार्य धर्म कथाएं किस्से आदि संकलित है।
5) तनाका जो बाइबिल का हिब्रू नाम है।
रवी :–
यहूदी धर्म में पुरोहितों को रवी कहा जाता है।
सिनागौग :–
यहूदियों के पूजा स्थल या मंदिर को सिनागौग कहते है।
धर्मग्रंथ :–
यह सिनागौग में रखा कीकट की लकड़ी का स्वर्ण जड़ित एक पिटक है जिसमें 10 धर्म सूत्रों की प्रति रखी होती है इसे धर्म प्रतिज्ञा की नौका भी कहते हैं।
वर्तमान Yahudi धर्म :–
पूरे विश्व की यहूदी आबादी इस समय मुख्यतः इजराइल में निवासरत है और यह देश मात्र 95 लाख की आबादी वाला विश्व में सबसे विकसित देशों में से एक है।
सेना संगठन हो या कृषि व्यवस्था या अर्थव्यवस्था यह देश सभी मामलों में विश्व के कई विकसित देशों से आगे हैं।