देश में सैकड़ों जलप्रपात है जिनकी अपनी अपनी विशेषताएं हैं, उनमें से चित्रकोट जलप्रपात की अपना ही विशिष्ट स्थान है, यह जलप्रपात छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 340 किलोमीटर दूर बस्तर जिले में स्थित है |
यदि इसकी स्थिति की और विस्तार से चर्चा करें तो रायपुर से 300 किलोमीटर की दूरी पर बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर से पश्चिम दिशा में 40 किलोमीटर दूर यह जलप्रपात स्थित है।
अत्यंत खूबसूरत यह जलप्रपात की दिशा पश्चिम की ओर होने के कारण, जलप्रपात पर इंद्रधनुष का निर्माण होता है, जो साफ और स्पष्ट दिखाई देता है जिसे निहारने के लिए लाखों पर्यटक हर वर्ष यहां पहुंचते हैं |
तो इस लेख में विस्तार से जानते हैं, चित्रकोट वाटरफॉल के बारे में |
चित्रकूट जलप्रपात की विशेषताएं –:
i) यह जलप्रपात भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात है |
ii) इसे भारत का नियाग्रा कहा जाता है , हालांकि यह तुलना अनुचित है |
iii) वाटरफॉल तक पहुंचने का मार्ग आसान है |
iv) वाटरफॉल पर्यटन की सभी सुविधाओं से परिपूर्ण है |
v) सभी मौसमों में वाटरफॉल तक पहुंचना सुलभ है |
vi) यहां साहसी खेलों के लिए विशेष व्यवस्था उपलब्ध है |
vii) नोका बिहार की भी सुविधा उपलब्ध है |
चित्रकोट जलप्रपात पहुंच मार्ग / चित्रकोट जलप्रपात कहा है –:
अधिकतर जलप्रपात या वाटरफॉल तक का पहुंच मार्ग दुर्गम होता है परंतु चित्रकोट वाटरफॉल का पहुंच मार्ग आसान और सुलभ है |
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से सड़क मार्ग और हवाई मार्ग से जगदलपुर पहुंचा जा सकता है रायपुर से जगदलपुर की दूरी 300 किलोमीटर है जो लगभग 8 घंटों में बसों द्वारा पूरी की जाती है और सैकड़ों बस इस मार्ग पर प्रतिदिन संचालित होती है वही हवाई मार्ग के लिए प्रतिदिन 2:30 बजे से एक फ्लाइट रायपुर से जगदलपुर के लिए उपलब्ध है |
यदि आंध्र प्रदेश के शहर विशाखापट्टनम की ओर से आया जाए तो दूरी लगभग 300 किलोमीटर ही है और बस या सड़क मार्ग और रेल मार्ग उपलब्ध है प्रतिदिन दो ट्रेन विशाखापट्टनम से जगदलपुर की ओर आती है।
उसी प्रकार सड़क मार्ग से सार्वजनिक परिवहन के बस प्राइवेट टैक्सी या जगदलपुर पहुंचने के लिए आसानी से उपलब्ध है |
यदि तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से जगदलपुर की ओर आना है तो यहाँ मात्र सड़क मार्ग ही उपलब्ध है और हैदराबाद से जगदलपुर के मध्य सार्वजनिक परिवहन के साधनों में बसों का संचालन नियमित किया जाता है 500 किलोमीटर की दूरी लगभग 10 घंटों में पूरी होती है |
कहां रुके –:
चित्रकूट वाटरफॉल के दीदार के लिए आप जगदलपुर या चित्रकूट में रुक सकते हैं, जगदलपुर में पर्याप्त संख्या में रेस्ट हाउस और लॉज उपलब्ध है साथ ही खाने के लिए रेस्टोरेंट और ढाबों की भी संख्या पर्याप्त है !
रहने के लिए बजट के अनुरूप सस्ते या महंगे लॉज जगदलपुर शहर में उपलब्ध हैं, जगदलपुर में रुकने पर आप जगदलपुर से टैक्सी या सार्वजनिक परिवहन के साधन बस इत्यादि से चित्रकूट पहुंच सकते हैं और दिन भर वाटरफॉल को घूम कर शाम तक वापस जगदलपुर भी आ सकते हैं |
इसके अतिरिक्त यदि आप वाटरफॉल के पास ही अपना ठिकाना बनाना चाहते हैं तो छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के रिजॉर्ट वाटरफॉल से सट कर ही बनाए गए हैं, जहां सारी सुविधाएं लॉजिंग बोर्डिंग की उपलब्ध है |
चित्रकूट जलप्रपात किस नदी पर स्थित है –:
चित्रकूट जलप्रपात का निर्माण इंद्रावती नदी करती है इस नदी का उद्गम स्थल उड़ीसा राज्य के कालाहांडी जिले में है, 4000 फीट ऊंची मुंगेर पहाड़ी से यह नदी निकलती है और उड़ीसा से यह नदी पश्चिम दिशा में बहती हुए जगदलपुर से 40 किलोमीटर दूर चित्रकोट जलप्रपात का निर्माण करती है |
इस नदी की कुल लंबाई छत्तीसगढ़ में 264 किलोमीटर है चित्रकूट से आगे यह नदी छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा बनाते हुए भोपालपटनम से दक्षिण की ओर स्थित भद्रकाली के समीप गोदावरी नदी में मिल जाती है,और छत्तीसगढ़ के दक्षिणी भाग के अपवाह तंत्र में यह नदी प्रमुख स्थान रखती है |
चित्र कोट का अस्तित्व खतरे में –:
पर्यावरण विदों के अनुसार आगामी 30 से 40 वर्षों में इस जलप्रपात का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा जिसके निम्न कारण हो सकते हैं |
1) साल दर साल नदी के प्रवाह में कमी आ रही है |
2) इसके उद्गम स्थान उड़ीसा में सिंचाई की सुविधा विस्तार करने के लिए बांधों का निर्माण करके ज्यादा से ज्यादा नदी की प्रवाह को रोका जा रहा है |
3) उड़ीसा और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित जोरा नाला से प्रवाह दो भागों में बटकर इंद्रावती नदी और दूसरी सबरी नदी में परिवर्तित होता है, और प्रवाह का मुख्य भाग सबरी नदी की ओर है जिससे इंद्रावती नदी का प्रवाह कम होता जा रहा है |
कुछ वर्षों पूर्व जोरा नाला पर डिवाइडर बनाकर प्रवाह का कुछ हिस्सा इंद्रावती नदी की ओर मोड़कर इसका अस्तित्व बचाने का तत्कालीन सफल प्रयास किया गया है |
4) पर्यावरण विदों के अनुसार ऐसी प्राकृतिक स्थानों पर स्थाई निर्माण उचित नहीं है एक तो उस स्थान के प्राकृतिक एकांतता नष्ट होती है साथ ही पर्यटन और निवास बढ़ने से प्रदूषण का खतरा भी बढ़ जाता है जिससे वह प्राकृतिक स्थल खतरे में पड़ जाता है |
चित्रकूट के मामले में दुर्भाग्यपूर्ण रवैया यह है कि स्थाई निर्माण को खुद सरकार बढ़ावा दे रही है, जो चित्रकूट का अस्तित्व को खतरे में डालेगा यह स्थाई निर्माण (रिसोर्ट) जलप्रपात से 2 से 4 किलोमीटर दूर कराए जा सकते थे, जिससे इस स्थान की प्राकृतिक सुंदरता बनी रहती और प्रदूषण का खतरा भी नहीं होता |
अप्रैल-मई और जून माह में चित्रकोट जलप्रपात का विजिट आपको निराश कर सकता है, क्योंकि इन महीनों में यह जलप्रपात लगभग सूख जाता है |
चित्रकूट जलप्रपात के समीप अन्य दर्शनीय स्थल
यदि आप चित्र कोट जलप्रपात को देखने आ रहे हैं तो, इस इलाके में चित्रकूट के साथ ही अन्य प्राकृतिक स्थलों का दर्शन कम दूरी पर ही उपलब्ध है, उनमें से प्रमुख निम्न है |
1 तीरथगढ़ जलप्रपात
यह जलप्रपात जगदलपुर से 36 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण दिशा में स्थित है, इस वाटरफॉल की ऊंचाई और विशालता मंत्रमुग्ध कर देती है सैकड़ों फीट की ऊंचाई से जब पानी सीढ़ियों से नीचे गिरता है तो ऐसा लगता है जैसे लाखों लीटर दूध बह रहा है |
यह वॉटरफॉल कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है | इसका पहुंच मार्ग दुर्गम जंगलों से होकर गुजरता है जो मनमोहक और दर्शनीय है |
2 तितली पार्क
तीरथगढ़ वॉटरफॉल के मार्ग में घने जंगलों के बीच यह तितली पार्क बनाया गया है, इस पार्क में हजारों प्रकार की लाखों तितलियों के दर्शन आसानी से हो जाते हैं, उल्लेखनीय है कि देश में मात्र दो तितली पार्क हैं जिनमें से एक बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क कर्नाटक में और दूसरा यहां कांगेर घाटी नेशनल पार्क में स्थित है |
3 चित्र धारा
चित्रकोट वाटरफॉल के मार्ग में जगदलपुर से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह वाटरफॉल चित्रकूट जितना विशाल तो नहीं है लेकिन इसकी खूबसूरती मन मोह लेती है |
4 फूल पहाड़ी
यह स्थान भी चित्रकूट जलप्रपात के मार्ग में ही स्थित है, चित्र कोट वाटरफॉल से 15 किलोमीटर पहले पहाड़ियों पर स्थित, यह स्थान आपको प्रकृति के बेहद समीप महसूस कराएगा , पहाड़ी के ऊपर कई प्रकार के जंगली फूल बहुतायत में देखने को मिलते हैं |
5 कुटुमसर गुफा
तीरथगढ़ वॉटरफॉल से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर यह मशहूर प्राकृतिक गुफा स्थित है, यह गुफा कांगेर घाटी नेशनल पार्क में ही स्थित है, यह स्थान सुदूर घने जंगलों में स्थित है, प्रकृति प्रेमियों के लिए यह स्थान स्वर्ग से कम नहीं है |
गुफा के अंदर चुना पत्थर से बनी हुई झाड़ फानूस की आकृतियां अत्यंत मनमोहक है, चुने से बनी हुई यह आकृतियां प्रकाश पडते ही जगमगा जाती हैं, मानो इन को किसी ने पेंट किया है।
इसके अलावा गुफा में अंधी मछलियां भी पाई जाती है, दिन में भी इस गुफा में रात का अंधेरा होता है, टॉर्च और फ्लैशलाइट की सहायता से ही इन गुफाओं के अंदर जाया जा सकता है |
6 कैलाश गुफा
यह स्थान भी जगदलपुर से 30 किलोमीटर की दूरी पर कांगेर घाटी नेशनल पार्क के अंदर स्थित है, यहां भी कुटुमसर गुफा की तरह ही झाड़ फानूस की आकृतियां दिखाई देती है ।
इसके अतिरिक्त इस गुफा के बाहर कुछ ऐसे पत्थर हैं जिनको आपस में ठोकने से वाद्य यंत्रों की आवाज सुनाई देती है |
7 तामड़ा घूमर/ मेंद्री घूमर
यह भी एक वाटरफॉल ही है जो चित्रकूट से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, बरसात के मौसम में यह जलप्रपात बेहद तेज आवाज के साथ लाखों गैलन पानी 260 मीटर नीचे गिरता है |
सावधानियां –:
इन प्राकृतिक स्थानों पर जाने से पहले कुछ सावधानियों के बारे में विचार अवश्य कर लेना चाहिए ,क्योंकि लापरवाही के कारण प्रत्येक वर्ष लोग ऐसे स्थानों पर गहरी मुसीबत में फंस चुके हैं या मारे गए हैं, तो इन स्थानों पर विजिट के समय किन सावधानियों को अमल में लाना है उस पर विचार करते हैं |
1) चित्रकूट और तीरथगढ़ वॉटरफॉल की ऊंचाई बेहद ज्यादा है इसलिए पानी जिस स्थान से ऊपर से गिर रहा है, उस जगह से थोड़ी दूरी आवश्यक है, साथ ही पत्थरों पर काई जमी होने से पैर फिसलने की संभावना होती है
2) यदि आप तैरना जानते हैं तो भी इन जगहों पर पानी में उतरना खतरनाक हो सकता है, कई पर्यटक पानी के अंदर पत्थरों के बीच फंसकर दुर्घटना के शिकार हो चुके हैं या तेज प्रवाह में तैर नहीं पाने के कारण मुश्किल में फस चुके हैं |
3) चित्रकूट वाटरफॉल पर नौका विहार का अपना ही आनंद है लेकिन नौका बिहार के समय लाइफ जैकेट अवश्य पहने |
4) इन स्थानों पर प्रशासन द्वारा दिए गए निर्देश या अंकित निर्देशों को कभी भी नजरअंदाज ना करें और समस्त निर्देशों का पालन अवश्य करें |
इस प्रकार उपरोक्त सावधानियां बरतकर आप इन प्राकृतिक स्थानों का भरपूर आनंद उठा सकते हैं |
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