पिछले 50 वर्षों में मनुष्य ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में इतनी उन्नति की है जितनी मनुष्य की सभ्यता के आरंभ से लगभग 5 हजार वर्षों में भी नहीं हुई थी।
आज मनुष्य ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्य को उजागर करने का प्रयास कर रहा है, आधुनिक दूरबीन और अंतरिक्ष में हो रहे अभियान इस कार्य में लगे हुए हैं, हमने अंतरिक्ष के बहुत से रहस्यों को सुलझा लिया है,
परंतु इतनी वैज्ञानिक उन्नति के बावजूद हमारी पृथ्वी के कई भाग आज भी अनसुलझे और रहस्य से भरे हुए हैं।
इन्हीं में से एक रहस्य जो पृथ्वी पर मौजूद है वह है बरमूडा ट्रायंगल । समुद्र में स्थित यह भाग रहस्य और अनसुलझे प्रश्नों से घिरा हुआ है।
17 वीं शताब्दी में जब विभिन्न महाद्वीपों से अन्य महाद्वीपों में जाने के लिए समुद्री मार्ग का विकास और यात्रा की आवृत्ति बढी तो, मनुष्य ने इन मार्गों का मैप बनाना आरंभ किया विशालकाय समुद्रों में यात्रा करने से प्राचीन नाविक
डरते थे, उनका मानना था कि पृथ्वी चपटी है और पृथ्वी के छोर जहां से खत्म होगा नीचे गिर जाएंगे।
इसी प्रकार के कई अफवाहों और अवैज्ञानिक तथ्यों ने जन्म लिया परंतु 19वीं और 20वीं शताब्दी में प्रसिद्ध कुख्यात बरमूडा ट्रायंगल ऐसे ही नहीं कुख्यात हुआ है।
बरमूडा ट्रायंगल क्या है
i) बरमूडा ट्रायंगल समुद्र में फैला हुआ ऐसा क्षेत्र है, जहां से गुजरने वाले यातायात के साधन दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं चाहे वह छोटे हो या बड़े आकार के जहाज हों या वायुयान आदि।
ii) पिछले 200 वर्षों में सैकड़ों जहाज और वायुयान इस क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं, जिनका अब तक कोई पता नहीं चला इनका मलवा या अवशेष तक नहीं मिल पाया है।
iii) नाम से स्पष्ट है कि अटलांटिक महासागर में स्थित यह समुद्री भाग त्रिभुज के आकार का है, नाविकों और हवाई जहाज के पायलट ने जिन्होंने इस त्रिभुज से होकर यात्रा की है के अनुसार यहां पर कंपास दूरसंचार के
माध्यम और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट या तो काम करना बंद कर देते हैं, या ठीक से काम नहीं करते जिसे दिशा भ्रम की स्थिति का सामना करना पड़ता है।
iv) समुद्र का यह भाग डेविल ट्रायंगल के नाम से कुख्यात हो गया है क्योंकि सैकड़ों जहाज और वायुयान इस क्षेत्र में आकर ऐसे गायब हो गए हैं जैसे गधे की सिर से सिंग।
बरमूडा ट्रायंगल की लोकेशन कहां स्थित है
बरमूडा ट्रायंगल उत्तरी अटलांटिक महासागर में स्थित है। इसके पश्चिमी छोर पर फ्लोरिडा और दक्षिण पूर्वी कोने पर पोर्टो रिको स्थित है
और उत्तर-पूर्वी कोने पर बरमूडा द्वीप स्थित है। कर्क रेखा (Tropic of Cancer) इसके बीच से होकर गुजरती है।
5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले अटलांटिक महासागर की इस भाग की लोकेशन अनोखी है।बरमूडा ट्रायंगल से लगकर ठीक उत्तरमें समुद्री घास का विशेष एरिया जिसे सारगैसो सागर कहा जाता है, स्थित है। यह शांत समुद्री एरिया विशेष प्रकार के बड़े आकार केस मुद्री घास के लिए जाना जाता है।
25 डिग्री से 45 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 55 डिग्री से 85 डिग्री पश्चिम देशांतर के मध्य ट्रायंगल फैला हुआ है।
इस त्रिभुज का फ्लोरिडा से बहामास तक का क्षेत्र अत्यंत संवेदनशील है क्योंकि अभी तक हुई दुर्घटनाओं में अधिकांश इसी भाग में हुई है।
बरमूडा ट्रायंगल का रहस्य /क्यों कुख्यात है
बरमूडा ट्रायंगल का सबसे पहला उल्लेख क्रिस्टोफर कोलंबस ने किया था, उन्होंने अपनी यात्रा वृतांत में लिखा था कि, जब बरमूडा ट्रायंगल से गुजर रहे थे, तो उन्होंने एक बड़े से आग के गोले को आसमान से आकर समुद्रमें गिरते हुए देखा था।
साथ ही उन्होंने इस स्थान पर अपने कंपास के खराब होने और ठीक से काम नहीं करने का भी उल्लेख किया था।
बीसवीं सदी में जब वायु और जल परिवहन का विकास हुआ और लोग विभिन्न महाद्वीपों तक कम समय में पहुंचने लगे और संचार के साधनों का भी साथ में विकास होता गया तब बहुत सारी घटनाएं इस स्थान से जुड़ी हुई लोगों के सामने आने लगी, जिससे यह स्थान डेविल ट्रायंगल के रूप में कुख्यात हो गया।
इस स्थान से जुड़ी हुई कुछ प्रमुख घटनाएं निम्न है।
1) वर्ष 1945 में 5 दिसंबर को संयुक्त राज्य अमेरिका के नेवी के पांच बॉम्बर विमान सामान्य रूटीन उड़ान पर फ्लोरिडा से पूर्व दिशा में उड़े जिनका नेतृत्व लेफ्टिनेंट चार्ज टेलर कर रहे थे।
इस मिशन में कुल 14 क्रू मेंबर थे उड़ान भरने के कुछ समय बाद इन सभी विमानों के कंपास में खराबी आ गई शाम की 8 बजे आखरी रेडियो मैसेज के बाद आज तक इन विमानों का कुछ पता नहीं चला।
2) इन 5 लापता मुंबई विमानों को ढूंढने के लिए एक मरीन एयरक्राफ्ट भेजा गया, जिसमें 13 लोगों का ग्रुप मेंबर था यह विमान भी उसी तरह से गायब हो गया जैसे पहले के विमान हुए थे और इस विमान का भी आज तक कुछ अता पता नहीं चला।
3) बरमूडा त्रिभुज में घटी सबसे अजीब मिस्ट्री में से एक है ना मेरी शैलेश जहाज की मिस्ट्री यह जहाज जिनेवा से न्यूयॉर्क जा रहा था। नवंबर माह वर्ष 1872
यह जहाज अचानक बरमूडा त्रिभुज में गुम हो गया गुम हो जाने की 1 माह के बाद यह जहाज बरमूडा त्रिभुज के छोर पर सही सलामत मिला परंतु उसमें कोई भी नहीं था सारे क्रू मेंबर कहां चले गए यह रहस्य अभी अनसुलझा ही है।
4) अमेरिकी जहाज एसएस सैंड्रा 1950 में अपनी रूटीन यात्रा पर था बरमूडा ट्रायंगल में घुसने से पहले उसने सामान सिग्नल कंट्रोल रूम को दिए उसके कुछ समय बाद ही इस जहाज का संपर्क कंट्रोल रूम से टूट गया।
, उसके बाद यह जहाज कहां गया इसका आज तक पता नहीं चला, इस जहाज के क्रू मेंबर और संपूर्ण जहाज रहस्यमई ढंग से आज तक गायब है।
5) वर्ष 1952 में ब्रिटिश जहाज अटलांटिक 33 क्रू मेंबर और बहुत सारा माल लेकर अमेरिका की ओर रवाना हुआ था बरमूडा ट्रायंगल में पहुंचने के बाद यह जहाज भी रहस्यमई ढंग से आज तक गायब है उसके क्रू मेंबर और जहाज का क्या हुआ आज तक अज्ञात है
6) बरमूडा ट्रायंगल से जुड़ी हुई अगली घटना अमेरिकी सेना के टैंकर प्लेन के बी 50 से संबंधित है वर्ष 1962 में जब यह प्ले अपनी रूटीन उड़ान पर था तो बरमूडा त्रिकोण में पहुंचते ही इसका संपर्क कंट्रोल रूम से खत्म हो गया और बाद में इसे ढूंढने के बहुत प्रयास अमेरिकी सेना द्वारा किए गए लेकिन इस प्लेन का भी आज तक कुछ पता नहीं चला है
7) वर्ष 1972 में जर्मनी का विशालकाय जहाज जिसका वजन 20000 टन से भी अधिक था इस डेविल ट्रायंगल में लापता हो गया जिसका आज तक पता नहीं चला है।
इस प्रकार इस कुख्यात बरमूडा ट्रायंगल में अनेकों दुर्घटनाएं हो चुकी है और दुर्घटना के शिकार होने वाले ना सिर्फ पानी के जहाज से अपितु परमाणु चालित पनडुब्बी ऊंचे आकाश में उड़ने वाले छोटे बड़े जहाज आदि।
सभी इस दुर्घटना का शिकार होकर लापता हो गए जिनका मलवा भी आज तक नहीं मिला है एक अनुमान के मुताबिक इस डेविल ट्रायंगल में 100 से अधिक हवाई जहाज और 50 से अधिक पानी के जहाज लापता हुए हैं।
बरमूडा ट्रायंगल का रहस्य/ दुर्घटनाओं का कारण
जब से यह क्षेत्र दुर्घटनाओं के लिए कुख्यात हुआ है तभी से इन दुर्घटनाओं के कारणों को जानने का प्रयास किया जा रहा है वहीं बहुत से अनुत्तरित प्रश्नों के लिए अनुमान या हाइपोथेटिकल थ्योरी का जन्म भी हुआ है
दुर्घटनाओं के कारणों पर अब तक दिए गए तर्कों को दो भागों में बांटा जा सकता है
1 Predictive theory अनुमानित सिद्धान्त
2 Scientific theory वैज्ञानिक सिद्धान्त
1 Predictive theory अनुमानित सिद्धान्त
इन सिद्धांतों को हम मनुष्य की कल्पना कह सकते हैं क्योंकि इन सिद्धांतों का कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं है और यह अनुमान और कल्पना के योग से बने हो सकते हैं
i) बरमूडा ट्रायंगल में होने वाली दुर्घटनाओं के संबंध में दिलचस्प और संभावनाओं से भरे इस सिद्धांत के अनुसार बरमूडा त्रिकोण के नीचे और ऊपर एलियन का अड्डा है और परग्रही क्षेत्र में होने वाले परिवहन को अपने क्षेत्र का अतिक्रमण मानते हैं और समुद्र में या आकाश में यहां से गुजरने वाले जहाजों को गायब कर देते हैं।
लेकिन इस क्षेत्र में किसी भी परग्रही प्राणियों या गतिविधियों की पुष्टि अब तक नहीं हुई है।
ii) बरमूडा ट्रायंगल में हो रही दुर्घटनाओं के संबंध में सबसे ज्यादा काल्पनिक इस सिद्धांत के अनुसार एक बहुत बड़ा सी मॉन्स्टर इस क्षेत्र में रहता है जो कुछ ऑक्टोपस की तरह दिखाई देता है।
इसका आकार इतना विशाल है कि यह पानी में तैरने वाले बड़े से बड़े जहाज को डुबो सकता है और तो और आकाश में उड़ने वाले एरोप्लेन को भी समुद्र में खींच सकता है इसके ऊपर डॉक्यूमेंट्री और फिल्मों का भी निर्माण किया जा चुका है।
iii) इस सिद्धांत के अनुसार अटलांटिक महासागर के इस स्थान पर विशालकाय समुद्री भंवर का निर्माण होता है जिससे जहाज इस में फस कर डूब जाते हैं
यह सिद्धांत एरोप्लेन की दुर्घटनाओं के संबंध में मौन है साथ ही बरमूडा ट्रायंगल के क्षेत्र में अभी तक विशालकाय ऐसे भंवर नहीं देखे गए हैं जो बड़े आकार के जहाजों को डूबा सकें।
iv)एक अन्य काल्पनिक सिद्धांत के अनुसार बरमूडा त्रिकोण टाइम जोन का एक छोर है जिससे इस स्थान पर ब्रह्मांड के एक आयाम से दूसरे आयाम् में जाया जा सकता है और बहुत सारे जहाज इसी प्रकार से ब्रह्मांड के एक आयाम से दूसरे आयाम में चले गए और उनका कुछ भी पता नहीं चला।
अभी तक की ज्ञात वैज्ञानिक शोधों से इस तरह के किसी भी टाइम जोन का प्रमाण नहीं मिला है तो यह सोच या सिद्धांत भी काल्पनिक ही कही जाएगी
2 Scientific theory वैज्ञानिक सिद्धान्त
बरमूडा ट्रायंगल में होने वाली दुर्घटनाओं विज्ञान के माध्यम से समझने का प्रयास इन सिद्धांतों में किया गया है लेकिन यह सिद्धांत भी अनुमान ही है क्योंकि इन सिद्धांतों में भी कई प्रश्नों के उत्तर अनुत्तरित ही हैं
A) शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र
यहां से गुजरने वाले जहाजों के कैप्टन और पायलटों के अनुसार बरमूडा ट्रायंगल पर से गुजरते समय उनका केंपस और इलेक्ट्रॉनिक दूरसंचार के उपकरण और नेविगेशन से संबंधित अन्य उपकरण रडार रेडियो कंपास या तो काम करना बंद कर देते हैं या उनकी रीडिंग सही नहीं रहती जिससे दिशा भ्रम की स्थिति निर्मित हो जाती है ।
इस संबंध में हुए वैज्ञानिक शोधों से यह पता चला है कि, वास्तविक पोल और ज्योग्राफिकल पोल में अंतर है कंपास मैग्नेटिक नॉर्थ पोल की ओर इंगित करता है। जोकि ज्योग्राफिकल नार्थ पोल से कुछ दूरी पर स्थित है
जिससे भ्रम की स्थिति हो सकती है, लेकिन जानकार और अनुभवी नाविक सटीक गणना के द्वारा अपनी स्थिति का ज्ञान कर लेते हैं, लेकिन कुछ जगहों पर जहां कंपास मैग्नेटिक नॉर्थ पोल और ज्योग्राफिकल नॉर्थ पोल को एक ही दिशा में इंगित करता है उसे एगोनिक लाइन कहते हैं ।
यह Agonic line मेक्सिको की खाड़ी के पास बरमूडा ट्रायंगल से हो कर जाती है, जिससे कंपास को लेकर नाविकों और विमान चालकों में भ्रम की स्थिति हो सकती है।
B) उथला समुद्री भाग
बरमूडा ट्रायंगल का समुद्री इलाका उथला समुद्री क्षेत्र है यहां पर समुद्र की गहराई न्यूनतम है और फ्लोरिडा से लगने वाले क्षेत्र में यह उथला समुद्री भाग आसानी से दिखाई दे जाता है।
कुछ समुद्रिक विशेषज्ञों का मानना है कि, इस क्षेत्र में बड़े जहाज आकर फस सकते हैं और ऐसा हुआ होगा तो वह दुर्घटनाओं का शिकार हो गए होंगे।
C) भीषण चक्रवतों का इलाका
अमेरिका के तट के इस हिस्से में उठने वाले चक्रवाती तूफानों को हेरीकेन के नाम से जाना जाता है, और बरमूडा ट्रायंगल को इस क्षेत्र में बड़े आकार के हरिकेन आते हैं, इन चक्रवातो से तेज हवाएं बारिश या ओलावृष्टि हो
सकती है । बरमूडा ट्रायंगल के क्षेत्र में बड़े जहाज इन हेरीकेन में फस कर डूब सकते हैं ऐसा अनुमान कुछ विशेषज्ञों का है।
D) मीथेन हाइड्रेट
समुद्र के अंदर ज्वालामुखी क्रिया या समुद्री रंध्रों से मीथेन हाइड्रेट निकलती है ।यह गैस, पानी के घनत्व को इतना कम कर सकती है कि बड़े आकार के जहाज इस में आसानी से डूब जाए कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि
बरमूडा ट्रायंगल के समुद्री ताल में ऐसे रंध्र हैं जहां से मीथेन हाइड्रेट निकलती है और उनकी वजह से बड़े जहाज समुद्र में समा जाते हैं।
यह सिद्धांत एरोप्लेन के डूबने और गायब होने के बारे में मौन हैं साथ ही आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध से मीथेन हाइड्रेट से जल का घनत्व कम होने की पुष्टि हुई है लेकिन बड़े-बड़े जहाजों को डूबा देने की
क्षमता रखने वाले गैस की उत्पत्ति के संबंध में संशय बना हुआ है।
E) Hexagonal cloud
कुछ नाविकों और पायलटों के अनुसार जब इस क्षेत्र से गुजर रहे थे तो उन्होंने अजीब से हेक्सागोनल आकार के बादलों को आसमान में बनते हुए देखा और उसके बाद ही तेज गड़गड़ाहट के साथ हवाएं बहुत तेज रफ्तार से
इस क्षेत्र में चलने लगी ।
कुछ लोगों का मानना है कि इस क्षेत्र में हेक्सागोनल बादलों के कारण कुछ समय के लिए वायुमंडल मे झंझावात सा मौसम बन जाता है जिसमें बहुत तेज हवाएं चलती है और उनकी ऊंची समुद्री लहरें उठती है।
जिससे समुद्री जहाज या हवाई जहाज दुर्घटना का शिकार हो जाते है
F) बारंबारता भ्रम
यह मानवीय सोच उस समय भ्रम का रूप ले लेती है, जब हम किसी वस्तु या घटना के बारे में बहुत ज्यादा सोचने और उसके बारे में हर तरफ चर्चा होते हुए सुनते हैं बरमूडा ट्रायंगल में हुई दुर्घटनाएं सामान्य समुद्रों में हुई
दुर्घटनाओं से अलग नहीं है, लेकिन उनके बारे में शुरुआती दौर में रहस्य और परग्रही घटनाओं से जुड़ने के कारण यह भ्रम उत्पन्न हो गया कि यह स्थान श्रापित और रहस्यों से भरा हुआ है।
बीसवीं सदी के शुरुआत में बहुत सारे लेखकों ने विभिन्न लेखों के माध्यम से इसे डेविल ट्रायंगल सिद्ध करने का प्रयास किया जिससे इस स्थान को लेकर एक भ्रम उत्पन्न हो गया है जिसे फ्रीक्वेंसी एलूशन कहा जाता है।
2 thoughts on “बरमूडा ट्रायंगल । बरमूडा ट्रायंगल क्या है, बरमूडा ट्रायंगल की लोकेशन, कहां स्थित है ।”