छत्तीसगढ़ के प्रमुख पवित्र और तीर्थ स्थलों में Rajim का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
इस स्थान का छत्तीसगढ़ में वही महत्व है जो उत्तर प्रदेश और बिहार में प्रयागराज का है।
राजिम प्राचीन समय से ही छत्तीसगढ़ की तीर्थ स्थली रही है यहां के प्राचीन मंदिर इस तथ्य के प्रत्यक्ष प्रमाण है।
Rajim संगम :–
Rajim का महत्व प्रयागराज के समान होने का एक प्रमुख कारण यहां तीन नदियों का संगम होना है।
राजिम में महानदी पैरी और सोंडुर नदियों का संगम होता है यहां से महानदी अपने नाम के अनुरूप विशाल रूप धारण करती है।
स्थिति / Raipur to Rajim distance :–
Rajim छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित है, यह स्थान छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से दक्षिण पूर्व दिशा में 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है राजिम एक छोटा कस्बा है प्रशासनिक दृष्टि से राजिम नगर पंचायत है।
Rajim का प्राचीन नाम :–
Rajim प्राचीन काल से ही क्षेत्र में तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात रहा है अलग-अलग कालखंड में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता रहा है।
राजिम के अन्य प्राचीन नाम निम्न है पद्मावतीपुरी, पंचकोशी, छोटीकाशी आदि।
Rajim मेला :–
माघ पूर्णिमा को लगने वाले इस मेले को पुन्नी मेला के नाम से भी जाना जाता है यह मेला छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े और प्रसिद्ध मेले में से एक है।
मेले में मनोरंजन के साधनों के अलावा घरेलू और जरूरत की आवश्यक वस्तुओं की खरीदी बिक्री के साथ ही धार्मिक आयोजन भी होते हैं।
छत्तीसगढ़ के अतिरिक्त देश और विदेश के लाखों पर्यटक इस दौरान इस मेले में आते हैं।
विशेषताएं :–
i) छत्तीसगढ़ का प्रयाग Rajim तीन नदियों के संगम पर बसा हुआ है (महानदी पैरी और सोंढुर)
ii) छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से यह मात्र 1 घंटे की दूरी पर स्थित है।
iii) हिंदू तीर्थ स्थान है इसलिए यहां श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण, पर्व स्नान, अस्थि विसर्जन, दान आदि क्रिया होती है।
iv) प्राचीन मंदिर स्थित है जैसे राजीव लोचन मंदिर कुलेश्वर महादेव मंदिर आदि।
v) प्रतिवर्ष माघ माह में यहां विशाल मेले का आयोजन माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक कुल 15 दिनों के लिए होता है।
vi) जन मान्यता है कि सृष्टि का आरंभ यहीं से हुआ था।
vii) Rajim को छत्तीसगढ़ का प्रयाग और सबसे प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है।
पर्यटन / पहुँच मार्ग :–
Rajim आने का सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर से अप्रैल के मध्य है मई और जून में अत्यधिक धूप और गर्मी की वजह से यहां घूमना कठिन हो जाता है।
वही बरसात के मौसम में संगम स्थल पर बाढ़ आ जाती है इसलिए जुलाई से सितंबर के मध्य यहां आने से बचना चाहिए।
राजिम तक पहुंच मार्ग आसान है और सभी मौसमों में यहां आना सरल है।
सड़क मार्ग
रायपुर से सड़क मार्ग द्वारा प्राइवेट टैक्सी या सार्वजनिक परिवहन के साधन बस आदि से मात्र 1 घंटे में राजिम पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग
सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन रायपुर है जो देश के लगभग सभी बड़े नगरों से जुड़ा हुआ है रेल द्वारा रायपुर और फिर सड़क मार्ग से राजिम तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
वायु मार्ग
सबसे नजदीकी हवाई अड्डा विवेकानंद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा माना है। जहां से सड़क मार्ग द्वारा 1 घंटे में राजिम आसानी से पहुंचा जा सकता है।
राजिम में स्थित प्रमुख मंदिर :–
राजीव लोचन मंदिर
Rajim में त्रिवेणी संगम के निकट राजीव लोचन मंदिर छत्तीसगढ़ के प्राचीन मंदिरों में से एक है।
मंदिर के महा मंडप की बाहरी दीवार पर एक शिलालेख है जिस पर कल्चुरी संवत 896 अंकित है जो की ईसवी सन में 1154 ईसवी है।
इस शिलालेख में कल्चुरी पृथ्वी देव द्वितीय के सेनानी द्वारा तल्हारी मंडल को पराजित करने का वर्णन मिलता है।
दूसरा शिलालेख आठवीं और नौवीं शताब्दी में लिखा गया प्राप्त हुआ है जिसे पढ़ने से पता चलता है कि यह एक विष्णु मंदिर है।
यह मंदिर यहां के मंदिरों में सबसे प्राचीनतम है यह मंदिर अपनी प्रमुखता तथा शिल्पगत विशिष्टता के कारण प्रसिद्ध है, गर्भगृह में काले पत्थर की बनी भगवान विष्णु की चतुर्भुजी मूर्ति है इस राजीव लोचन मंदिर को पांचवा धाम माना गया है।
कुलेश्वर महादेव मंदिर
पंचमुखी महादेव के दर्शन विश्व में गिने-चुने स्थानों पर होते हैं उनमें से एक यह राजीव है जहां पर पंचमुखी कुलेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है।
यह मंदिर महानदी पैरी तथा सुमधुर नदियों के संगम पर स्थित है जनश्रुति के अनुसार भगवान राम सीता जी एवं लक्ष्मण ने वनवास के दिनों में यहां कुछ दिनों के लिए निवास स्थल बनाया था ।
संगम स्थल पर स्थापित कुलेश्वर महादेव का उल्लेख सतयुग की कथाओं में भी मिलता है इसके अलावा यहां महर्षि लोमश ऋषि का आश्रम सोमेश्वर महादेव का मंदिर राजिम आ तेली मंदिर श्री रामचंद्र मंदिर श्री काल भैरव मंदिर श्री गरीब नाथ मंदिर श्री भूतेश्वर महादेव मंदिर श्री पंच ईश्वर महादेव मंदिर जगन्नाथ मंदिर ब्रह्मचर्य आश्रम आदि है।
यहां शिवरात्रि के अवसर पर एक विशेष मेला लगता है इस अवसर पर लाखों की संख्या में लोग त्रिवेणी संगम पर स्नान और ध्यान का लाभ प्राप्त करते हैं
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