Pahadi maina. छत्तीसगढ़ का राज्य पक्षी

Pahadi maina एक पक्षी है जिसे छत्तीसगढ़ का राज्य पक्षी घोषित किया गया है और इस घोषणा का प्रमुख उद्देश्य इस पक्षी का संरक्षण करना है, क्योंकि पहाड़ी मैना की आबादी लगातार घटती जा रही है और इसके विलुप्त होने का खतरा बढ़ता जा रहा है।

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने जुलाई 2001 में बस्तरिया Pahadi maina को राज्य पक्षी घोषित किया था और इसके संरक्षण के विशेष उपायों को लागू किया गया है।

Pahadi maina की विशेषता :–

यह पक्षी हूबहू मनुष्यों के आवाज की नकल कर सकती है और इसी कारण से इस पक्षी को कैद करके पालने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है।

मनुष्यों की आवाज की नकल तो तोता भी कर लेता है और उसे पालतू बनाना भी आसान है तो लोग पहाड़ी मैना को प्राथमिकता क्यों दे रहे हैं तो, इसका मुख्य कारण है हूबहू मनुष्यों की आवाज की नकल।

तोता के आवाज से हम पहचान सकते हैं कि वह एक पक्षी बोल रहा है लेकिन, पहाड़ी मैना हुबहू मनुष्यों के आवाज की नकल करने में सक्षम है।

Pahadi maina ka vaigyanik naam :–

प्राणी शास्त्र में चार प्रकार की पहाड़ी मैना का उल्लेख मिलता है।

1) उत्तरी मैना (ग्रेकुला रिलिजियोसा )

2) दक्षिणी मैना (ग्रेकुला इंटरमीजिया)

3) पूर्वी मैना (ग्रेटी पेनिन्सुलेरिस)

4) अंडमान हिल मैना (ग्रेटी अंडमाने)

छत्तीसगढ़ के बस्तर में पाई जाने वाली Pahadi maina का वैज्ञानिक नाम ग्रेटी पेनिन्सुलेरिस है।

Pahadi maina का शारीरिक आकार प्रकार :–

दूर से कौवे की तरह दिखने वाले इस पक्षी के पंख काले होते हैं पखों के छोर सफेद होते हैं चोच् गुलाबी और गर्दन पीले रंग की होती है और पैर भी पीले रंग का होता है।

Pahadi maina

Pahadi maina का  आवास क्षेत्र :–

घने वन क्षेत्रों में यह पक्षी पेड़ों के सबसे ऊपरी भाग में निवास करता है बस्तर संभाग के कांगेर घाटी नेशनल पार्क, अबूझमाड़, छोटे डोंगर, तिरिया, बेची, बारसूर और बैलाडीला पहाड़ियों के घने जंगलों में इसका निवास है।

मार्च-अप्रैल के महीनों में ऊंचे वृक्ष के तने और कोटरों में अंडे देती है और मई जून माह में उनसे Pahadi maina के बच्चे निकलते हैं।

Pahadi maina  संकटग्रस्त पक्षी :–

इस पक्षी की संख्या में लगातार कमी होने के पीछे का मुख्य कारण जंगलों से इन्हें पकड़कर पिंजरे में कैद करना है तस्कर बड़ी संख्या में Pahadi maina के बच्चों को उनके घोसले से निकालकर बाजारों में बेच देते हैं।

संरक्षण के लिए इनके आवास क्षेत्रों में मनुष्यों की घुसपैठ पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है साथ ही इनके पिंजरे में कैद करके व्यक्तिगत रूप से पाले जाने पर पूर्ण प्रतिबंध के वर्तमान कानूनी प्रावधान को अधिक कठोरता और कुशलता से लागू करने की भी आवश्यकता है।

Pahadi maina के संरक्षण के उपाय :–

Pahadi maina के संरक्षण के उपाय की नई नई योजनाएं राज्य सरकार ने बनाई है और साथ ही करोड़ों रुपए का व्यय भी इस कार्य पर हो रहा है।

जगदलपुर स्थित वन विद्यालय के एक बड़े आकार का पिंजरा बनाया गया है इस पिजड़े का आकार का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस पिंजड़े में लगभग 40 से 50 फीट की ऊंचाई के 10 पेड़ स्थित हैं।

नियंत्रित माहौल में इस पिंजरे में Pahadi maina की वंश वृद्धि के लिए जंगलों से ला कर रखा गया था लेकिन अब तक के सभी प्रयास असफल ही सिद्ध हुए हैं।

F.A.Q.

Q.1 –  पहाड़ी मैना कहां पाया जाता है।
Ans. – पहाड़ी मैना भारत के कई हिस्सों में पाई जाती है छत्तीसगढ़ में यह पक्षी दक्षिणी भाग विशेष कर बस्तर संभाग में पाई जाती है।

Q.2 – पहाड़ी मैना क्या खाती है।
Ans. – अन्य अपनी ही प्रकार के पक्षियों की तरह पहाड़ी मैना भी सर्वाहारी होती है जो छोटे कीड़े मकोड़े के अलावा अनाज के दाने और जंगल में पाए जाने वाले फलों को खाती है।

Q.3 – पहाड़ी मैना की उम्र कितनी होती है।
Ans. – औसत रूप से जंगलों में पाई जाने वाली पहाड़ी मैना की उम्र 10 से 15 वर्ष तक हो सकती है।

Q. 4 – क्या मैना नकल कर सकती है।
Ans. – मैना पक्षी मनुष्यों की आवाज की हुबहू नकल करने के लिए प्रसिद्ध है और यही एक कारण इसके लुप्त होने की भी है।

Q.5 – छत्तीसगढ़ का राज्य पक्षी कौन है

Ans. – छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने जुलाई 2001 में बस्तरिया Pahadi maina को राज्य पक्षी घोषित किया था और इसके संरक्षण के विशेष उपायों को लागू किया गया है।

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