U.P.S.C. full form :–
U.P.S.C. का full form होता है, “Union Public Service Commission” इसे हिंदी में “संघ लोक सेवा आयोग” कहते हैं।
यह एक संवैधानिक संस्था है जो केंद्रीय स्तर पर कर्मचारियों के भर्ती के लिए परीक्षाओ के आयोजन का कार्य करती है ।
संघ लोक सेवा आयोग क्या है :–
संघ लोक सेवा आयोग भारत में केंद्रीय स्तर पर वर्ग एक और वर्ग दो के शासकीय पदों पर भर्ती करने वाली सबसे बड़ी एजेंसी है।
इसके महत्व और कार्यों को देखते हुए इसे संविधान में स्थान दिया गया है और संविधान के अनुच्छेद 315 से 323 तक इसके संरचना, अधिकार और कार्यों के बारे में विस्तृत प्रावधान किए गए हैं।
संविधान में संघ लोक सेवा आयोग के अतिरिक्त प्रत्येक राज्य में लोक सेवा आयोग तथा दो या दो से अधिक राज्यों के लिए संयुक्त लोक सेवा आयोग का भी प्रावधान है।
राज्यों में लोक सेवा आयोग का गठन संघ लोक सेवा अयोग की ही तरह संविधान द्वारा होता है, परंतु जब संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग के गठन की बात होती है तो राज्यों की विधानसभाओं के अनुरोध पर संसद द्वारा अधिनियम के माध्यम से उसका गठन होता है।
संघ लोक सेवा आयोग, राज्य लोक सेवा आयोग या फिर संयुक्त लोक सेवा आयोग के संबंध में निम्न प्रावधान संविधान में किए गए हैं।
i) अनुच्छेद 315 — संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग का गठन।
ii) अनुच्छेद 316 — लोक सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति और पदावधि ।
iii) अनुच्छेद 317 — लोक सेवा आयोग के सदस्यों को हटाया जाना और निलंबित किया जाना।
iv) अनुच्छेद 318 — लोक सेवा आयोग के सदस्यों और कर्मचारियों की सेवा की शर्तों के बारे में विनियम बनाने की शक्ति।
v) अनुच्छेद 319 — आयोग के सदस्यों का कार्यकाल की समाप्ति के बाद पद पर बने रहने का निषेध।
vi) अनुच्छेद 320 — लोक सेवा आयोग के कार्य ।
vii) अनुच्छेद 321 — लोक सेवा आयोग के कार्य क्षेत्र में विस्तार देने की शक्ति ।
vii) अनुच्छेद 322 — लोक सेवा आयोग के व्यय ।
ix) अनुच्छेद 323 — लोक सेवा आयोग के प्रतिवेदन ।
संघ लोक सेवा आयोग का इतिहास :–
भारत में वर्ष 1919 के भारत सरकार अधिनियम के अधीन सर्वप्रथम 1926 में लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई थी।
लोक सेवा आयोग की स्थापना के लिए 1924 में विधि आयोग ने भी अपनी सिफारिशें दी थी भारत सरकार अधिनियम 1935 के अधीन लोक सेवा आयोग के कार्यों को विस्तार दिया गया था।
आजादी के बाद भारतीय संविधान में लोक सेवा आयोग के महत्व को देखते हुए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 315 में लोक सेवा आयोग के संबंध में यह प्रावधान किया गया है कि संघ सरकार के लिए संघ लोक सेवा आयोग और प्रत्येक राज्य के लिए राज्य लोक सेवा आयोग होगा।
संघ लोक सेवा आयोग संरचना :–
संघ लोक सेवा आयोग में राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त अध्यक्ष और अन्य सदस्य होते हैं संविधान में आयोग के सदस्यों की संख्या का उल्लेख नहीं है। इसका निर्धारण राष्ट्रपति के स्वविवेक पर छोड़ दिया गया है।
इसलिए आयोग की संरचना अर्थात सदस्यों की संख्या का निर्धारण राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। आयोग में अध्यक्ष के अतिरिक्त सामान्यता 9 से 11 सदस्य हो सकते हैं।
संघ लोक सेवा आयोग की स्थिति और आयोग को संवैधानिक संरक्षण :–
संघ लोक सेवा आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया है और इसकी स्थिति सलाहकार निकाय की है।
आयोग को कार्यपालिका तथा विधायिका से संरक्षण प्रदान करने के लिए संविधान में कुछ प्रावधान किए गए हैं जो निम्न प्रकार है।
1) आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को केवल राष्ट्रपति द्वारा निम्न आधार पर हटाया जा सकता है।
A) यदि वह दिवालिया हो गया हो।
B) यदि वह अपने कार्यकाल में कोई अन्य संवैधानिक लाभ का पद स्वीकार कर लेता है।
C) यदि वह राष्ट्रपति के विचार में मानसिक या शारीरिक दुर्बलता के कारण अपने पद पर कार्य करने में समर्थ नहीं रह गया हो।
D) यदि वह भारत सरकार या किसी राज्य सरकार द्वारा या इन सरकारों के लिए किए गए किसी संविदा या करार से लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या सदस्य का संबंध हो तो इसे दुराचार माना जाएगा और इस आधार पर उस सदस्य को राष्ट्रपति द्वारा उसके पद से हटाया जा सकेगा।
2) लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के सेवा शर्तों में उनकी नियुक्ति के पश्चात कोई ऐसा परिवर्तन नहीं किया जा सकेगा जो उनके लिए अलाभकारी हो।
3) लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों का वेतन और भत्ते संचित निधि पर भारीत होते हैं, इसलिए इस व्यय को संसद में पारित कराने की आवश्यकता नहीं होती है।
4) लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या सदस्य सेवा मुक्त होने के बाद केंद्र या राज्य सरकार के अधीन कोई पद नहीं धारण करेंगे।
संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों की पदावधि :–
राज्य संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों का कार्यकाल पद ग्रहण करने की तिथि से 6 वर्ष तक अथवा 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक जो भी पहले हो, होता है।
राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष यह सदस्य राज्यपाल को तथा संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्य राष्ट्रपति को त्यागपत्र देकर पद मुक्त हो सकते हैं ।
इन दोनों आयोगों के अध्यक्ष तथा सदस्यों को राष्ट्रपति साबित नियम विरुद्ध कार्यों तथा असमर्थता के आधार पर पद मुक्त कर सकता है।
राज्यपाल को राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों को केवल निलंबित करने की शक्ति है।
संघ लोक सेवा आयोग के कार्य :–
संघ तथा राज्य या संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग के निम्न प्रमुख कार्य हैं।
1) संघ /राज्यों की सेवाओं में नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का आयोजन करना।
2) निम्नलिखित मामलों पर केंद्र या राज्य सरकार को सलाह देना।
i) सार्वजनिक लोक सेवाओं में भर्ती के तरीके के बारे में सभी मामलों पर सुझाव।
ii) सार्वजनिक लोक सेवाओं में नियुक्ति और पदों के लिए अपनाए जाने वाले सिद्धांतों पर और एक सेवा से दूसरी सेवा में स्थानांतरण तथा पदोन्नति के मामलों पर सुझाव।
iii) अनुशासनात्मक मामलों पर सरकार को सुझाव।
iv) कानूनी खर्च के प्रतिकार पर सुझाव।
v) शासकीय सेवा में कार्य के दौरान घायल हो जाने के कारण पेंशन देने के मामले में सुझाव।
संघ लोक सेवा आयोग के कार्यों के संबंध में चार स्रोत निर्धारित होते हैं।
संविधान संसदीय अधिनियम कार्यपालिका के नियम और आदेश तथा परंपरा संघ लोक सेवा आयोग के इन कार्यों को तीन श्रेणियां में वर्गीकृत किया जा सकता है कार्यपालिका, विनियामक और अर्ध विधायी।
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