दिल्ली अभी दूर है किसने कहा ?

हम सभी ने कहावत दिल्ली दूर है, कभी न कभी अवश्य सुना है, या प्रयोग किया है, चलिए जानते हैं इस कहावत (दिल्ली अभी दूर है किसने कहा) का प्रयोग सबसे पहले किसने, कब, और क्यों किया था।
          प्रत्येक किस्से या कहावत का संबंध इतिहास से है, तो दिल्ली दूर है का इतिहास लगभग 700 वर्ष पूर्व का है। जब दिल्ली में तुगलक वंश का शासन था, और गयासुद्दीन तुगलक सुल्तान था, और उसका पुत्र जूना खान या मोहम्मद बिन तुगलक था।
 1325 गयासुद्दीन तुगलक बंगाल विजय के लिए, अपनी सेना लेकर बंगाल की ओर कूच कर गया। उसी समय दिल्ली में सूफी संत  निजामुद्दीन औलिया का व्यापक प्रभाव था, और मोहम्मद बिन तुगलक उनका शिष्य बन गया | इसकी सूचना जब गयासुद्दीन तुगलक को लगी तो उसने सोचा निजामुद्दीन औलिया उसके पुत्र को बहका रहा है। तो उसने औलिया को धमकी दी कि वह दिल्ली वापस आकर उसे देख लेगा। इसके जवाब में ही निजामुद्दीन औलिया ने कहा था, हुनुज  दिल्ली दूर अस्त, यानी कि दिल्ली अभी बहुत दूर है। और यह बात सच भी साबित हुई, और यहीं से किसी भी कठिन या दुष्कर कार्य के लिए इस कहावत का प्रयोग आम हो गया।
                                                             बंगाल के अभियान से लौटते समय, तुगलकाबाद के समीप, अफगान पुर में मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा, बनाए गए लकड़ी के महल के गिरने से उसमें दबकर गयासुद्दीन तुगलक की मौत 1325 ईसवी में हो गई, और वह कभी भी दिल्ली नहीं पहुंच पाया | और निजामुद्दीन औलिया की भविष्यवाणी के अनुरूप मोहम्मद बिन तुगलक सुल्तान बन गया |
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