Lhb coach | रेल के आधुनिक LHB कोच की विशेषताएं |

पिछले कुछ वर्षों से भारतीय रेल पुरानी तकनीक से बने R. C. F. कोच के स्थान पर नई तकनीक से बने Lhb coach से बदल रही है; और यह कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है; परंतु भारतीय रेल ऐसा क्यों कर रही है इसके पीछे क्या कारण है ।

               R. C. F.  कोच पुरानी तकनीक से  रेल कोच फैक्ट्री पेरंबूर चेन्नई में तैयार की किए जाते थे; वहीं L. H. B.( लिंक होफमैन बुशमन) जर्मन के नई तकनीक पर आधारित है! भारतीय रेल तेजी से आरसीएफ कोच को एलएचबी कोच से बदल रही है! यह प्रक्रिया आगामी 3 से 5 वर्ष में पूरा होने की संभावना है; इस बदलाव से भविष्य में भारतीय रेल को  कई लाभ मिलेंगे।

              कुल 67500 किलोमीटर लंबे  रेलवे ट्रैक पर रोजाना 231 लाख यात्री और 33 लाख टन माल परिवहन किया जाता है! अनुमानित है कि लगभग 1200 लोकोमोटिव और 74000 यात्री कोच और 12000 यात्री ट्रेन संचालित होती है ।

             इतनी बड़ी व्यवस्था में बदलाव कोई आसान कार्य नहीं है; लेकिन फिर भी रेलवे ऐसा युद्धस्तर क्यों कर रही है; आइए जानते हैं इसका कारण,

(1) पुरानी तकनीक से निर्मित R.C.F.कोच की तुलना में L.H. B.कोच  ज्यादा सुरक्षित है।

(2) नए  L. H. B. कोच का रखरखाव आसान और कम खर्चीला है।

(3) नए L. H. B.  कोच से रेल की औसत रफ्तार और स्पीड को बढ़ाया जा सकता है ।

(4) नए  L.H.B. कोच में ब्रेकिंग पुराने कोच की तुलना में अधिक भरोसेमंद और प्रभावी है।

(5) नए एलएचबी कोच का उत्पादन लागत; पुरानी आरसीएफ कोच की तुलना में कम और अधिक किफायती है ।

(6) नए कोच में पुराने कोच की तुलना में अधिक स्थान (Space) है।

(7) नए कोच में बिजली के उपकरणों के लिए बेहतर व्यवस्था की गई है ।

(8) नए L. H. B. कोच पुराने कोच की तुलना में अधिक आरामदायक है।

(9) नए  L. H. B. कोच पुराने कोच की तुलना में शांत और कम शोर करने वाला है।

नए एलएचबी कोच कि वह विशेषताएं जिनके कारण भारतीय रेलवे पुरानी तकनीक (R.C.F) से इन्हें बदल रही है आइए उनके बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं।

सुरक्षा  (SAFETY)  –; 

नई तकनीक से निर्मित एलएचबी कोच ज्यादा सुरक्षित है; नए कोच कम वजन होने के कारण कम दूरी पर ही रोकने में सक्षम है।

                                पुराने आरसीएफ कोच को नार्मल ड्यूल बफर हुक टाइप कपलिंग से जोड़ा जाता था! जिससे दुर्घटना होने पर कोच एक दूसरे के ऊपर चढ़ जाते थे; जबकि नए एलएचबी कोच को सेंटर बफर कपलिंग से जोड़ा जाता है; जिससे दुर्घटना के समय कुछ ज्यादा स्थिर होते हैं; और एक दूसरे पर नहीं चढ़ते और दुर्घटना में जान माल की हानि कम होती है।

आसान रखरखाव (EASY MAINTENANCE)—;

पुराने आरसीएफ कोच का निर्माण माइल्ड स्टील या लोहे से होता है; इसलिए इनमें जंग (rusting) की समस्या होती है; और कोच के क्षरण के कारण उनका मेंटेनेंस बार-बार करना पड़ता है ।

                  नए एलएचबी कोच का निर्माण stainless-steel से होता है; इनमें क्रोमियम होने के कारण यह नए कोच हल्के होते हैं और जंग (rusting)की समस्या भी नहीं होती है।

औसत रफ्तार (AVERAGE SPEED)—;

वर्षों से भारतीय रेल की औसत रफ्तार 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटा रही है; और समय की मांग है कि रेल की औसत रफ्तार को बढ़ाया जाए पुराने आरसीएफ कोच की अधिकतम रफ्तार 110 किलोमीटर प्रति घंटा है लेकिन सुरक्षा संचालन में इसे अधिकतम 80 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ही चलाया जाता है।

नए एलएचबी कोच की अधिकतम रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा है जिससे रेल की एवरेज स्पीड को बढ़ाया जा सकता है ! भारतीय रेल अपनी औसत रफ्तार को 80 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक करना चाहती है, जिसके लिए यह नए एलएचबी कोच महत्वपूर्ण है।

प्रभावी ब्रेकिंग ( EFFECTIVE BREAKING )—;

एलएचबी कोच में डिस्क ब्रेक सिस्टम पुराने R.C.F. कोच में ब्रेकिंग सिस्टम इतनी प्रभावशाली नहीं थी; ट्रेनों को रोकने के लिए 1200 मीटर से 1500 मीटर की दूरी तय करनी होती थी; जिससे ट्रेन ड्राइवर के द्वारा दुर्घटना की संभावना का ज्ञान होने के बावजूद ट्रेन को समय पर रोक पाना संभव नहीं था; वहीं नए एलएचबी कोच में

डिस्क ब्रेक की सहायता से ट्रेन को  कम  दूरी पर और शीघ्रता से रोकना अब आसान हो गया है।

कम उत्पादन लागत (LOW PRODUCTION COST )—;

नए एलएचबी कोच का उत्पादन लागत 2 करोड़ रुपए से कम है;  जो आरसीएफ कोच की तुलना में बहुत कम और अधिक किफायती है क्योंकि नए कोच का रखरखाव कम खर्चीला है!

यात्रियों के लिए ज्यादा जगह ( MORE SPACE )—;

नए कोच में पुराने कोच की तुलना में अधिक स्थान है भारत जैसे जनसंख्या वाले देश में यह महत्वपूर्ण है । क्योंकि देश की बड़ी आबादी के लिए ट्रेन एकमात्र आवागमन का साधन है; ट्रेन में अधिक स्थान होने से ज्यादा से ज्यादा लोगों का यात्रा कर पाना संभव होगा, पुराने कोच में औसतन 72 बर्थ होते थे जबकि नए कोच में 81 बर्थ है।

बिजली (ELECTRICITY) —;

नए एलएचबी कोच में बिजली के लिए डायनेमो का उपयोग नहीं होता; इन कोच में विद्युत की उपलब्धता के लिए जनरेटर लगाया जाता है।जिससे सारी ट्रेन में विद्युत की सप्लाई की जाती है! पुराने सिस्टम से बने डिब्बों में डायनेमो के रखरखाव में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना रेल प्रशासन को करना पड़ता था।

आरामदायक (MORE COMFORTABLE )—;

नए एलएचबी कोच पुराने की तुलना में कहीं ज्यादा आरामदायक है इसके पीछे मुख्यतः दो कारण है (I) कुशन वाले नए डिजाइनर सीट (II) बेहतर सस्पेंशन सिस्टम

(I) नए एलएचबी कोच में सीट को रीडिजाइन करके पहले से ज्यादा आरामदायक बनाया गया है साथ ही गर्मियों में सीट ज्यादा गर्म ना हो इसके लिए बेहतर क्वालिटी के रेगजीन का इस्तेमाल किया जा रहा है।

(II)एलएचबी कोच में नई डिजाइन वाले सस्पेंशन सिस्टम लगाए गए हैं; जो पुराने से कई गुना बेहतर है; पुराने कोच में सिर्फ स्प्रिंग सिस्टम पर आधारित सस्पेंशन का प्रयोग किया जाता था; जबकि एलएचबी कोच में हाइड्रोलिक सस्पेंशन का प्रयोग किया जाता है! वही दाएं बाएं मूवमेंट के लिए भी सस्पेंशन का प्रयोग किया गया है; जिससे ऊपर नीचे के साथ-साथ दाएं बाएं भी कम मूवमेंट होने के कारण सफर आरामदायक हो जाता है ।

कम शोर ( LESS NOISE )—;

नए एलएचबी कोच कम शोर मचाने वाले होते हैं! पुराने कोच में शोर का स्तर 100 डेसीबल या उससे अधिक होता है; वहीं  एलएचबी कोच में 40 डेसीबल का ही शोर होता है! जिससे सफर ज्यादा आरामदायक हो जाता है ।

 इस प्रकार उपरोक्त कारणों से ही भारतीय रेलवे पुराने R.C.F.कोच के स्थान पर नए L.H.B. कोच को प्रयोग में ला रही है।

बड़ी संख्या में सेवा से हटाए जा रहे पुराने R.C.F. कोच का क्या होगा—:

यहां पर एक बड़ा प्रश्न यह है कि पुराने कोच को सेवा से यदि इतनी तेजी से हटाया जाएगा तो पुराने आरसीएफ कोच का क्या होगा; जो बड़ी संख्या में रिटायर हो रहे हैं ।

        इसका आसान हल रेलवे ने निकाल लिया है; और वह यह है कि पुराने आरसीएफ कोच को अब एलएचबी में बदला जा रहा है।इसके लिए रेलवे ने कोच के पुराने बर्थ को हटाकर उसकी जगह हल्के और ज्यादा आरामदायक बर्थ लगाए हैं; साथ ही नए सस्पेंशन सिस्टम को भी इंस्टॉल किया जा रहा है। और कोच का वजन कम करने के लिए फ्लोर और शौचालय  को भी नया बनाया गया है; इस प्रकार  पुराने आरसीएफ कोच को मॉडिफाई करके एलएचबी कोच में बदला जा रहा है।

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