Mahalekha niyantrak

Mahalekha niyantrak kaun hai :–

वित्त मंत्रालय के उप विभाग के एक भाग के रूप में 1976 में Mahalekha niyantrak के कार्यालय की स्थापना की गई थी।

इसका प्रमुख कार्य केंद्र सरकार के लेख विभागीय कारण से संबंधित मामलों का संचालन करना है वह केंद्र सरकार की नई एकाउंटिंग व्यवस्था का प्रमुख तकनीकी अधिकारी है।

Mahalekha niyantrak ke karya :–

Mahalekha niyantrak के प्रमुख कार्य निम्नलिखित है।

i) लेखा संबंधी प्रपत्र को तय करना।

ii) लेखा क्षेत्र में नियमों और विनियमों का निर्माण करना।

iii) आंतरिक लेखा परीक्षक का कार्य करना।

iv) लेखा संहिताओं और नियमावलियों का प्रकाशन करना।

v) लोकलेखा कार्मिकों के एक कैडर प्रबंधन को स्पष्ट करना।

vi) केंद्र सरकार के मासिक एवं वार्षिक लेखा का संकलन करना।

vii) संविधान की धारा 283 के अधीन नियमों को लागू करना इस धारा का संबंध संचित निधि के संरक्षण और

उसके अन्य पक्षों से आकस्मिकता निधि और सार्वजनिक लेखा में जमा राशियों से है।

viii) केंद्र सरकार के विनियोग लेखा और वित्त लेखा का एक संक्षिप्त प्रपत्र तैयार कर रहा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से लिखा परीक्षण के बाद इनको संसद में प्रस्तुत किया जाता है।

विनियोग लेखा का काम विभिन्न अनुदानों के अंतर्गत हुए वास्तविक खर्च की तुलना पारित अनुदानों की राशि से करना है जैसा कि संसद द्वारा पारित वियोग अधिनियम में दर्शाया गया है।

विनियोग लेखा केंद्र सरकार के लिए वार्षिक प्राप्तियां तथा विधि सम्मत व्यय को प्रदर्शित करता है।

लेखा की रूपरेखा (Structure of accounts) :–

संविधान की धारा 150 के अंतर्गत केंद्र और राज्य सरकारों के लेखा के प्रपत्रों का निर्धारण नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की सलाह पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

लोकसभा की नियम संख्या 204 के अनुसार लोकसभा में बजट वित्त मंत्रालय द्वारा निर्धारित प्रपत्र में प्रस्तुत किया जाएगा व्यवहार में बजट का प्रपत्र लेखा के प्रपत्र से मेल खाने वाला होता है।

लेखा की मौजूद कार्यपद्धती निष्पादन बजट इन की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकी परिणाम स्वरूप प्रबंधन के उद्देश्य तथा वित्तीय नियंत्रण पर जवाबदेही

की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 1974 में केंद्र सरकार ने लिखा निधि के एक संशोधित ढांचे को लागू किया।

इस संशोधित योजना के अनुसार लेख के 5 स्तरीय वर्गीकरण को अपनाया गया है यह निम्न है।

1) क्षेत्रीय (Sectoral)

2) मुख्य शीर्ष (Major head)

3) गौण शीर्ष (Minor head)

4) उप शीर्ष (Sub head)

5) विस्तृत शीर्ष (Detailed head)

मंडलीय वर्गीकरण ने सरकारी कार्यकलापों को तीन क्षेत्रों में बांट दिया है सामान्य सेवाएं (6 उप क्षेत्रों सहित) सामाजिक और सामुदायिक सेवाएं और आर्थिक सेवाएं (7 उप क्षेत्रों सहित) इनके अतिरिक्त एक चौथा क्षेत्र भी है सहायक अनुदान और अंशदान का।

लेखा का मुख्य शीर्ष सरकार के कार्यकलाप उदाहरण स्वरूप कृषि को इंगित करता है जबकि गौण शीर्ष किसी कार्यक्रम जैसे कृषि कार्य को दिया गया है।

उप शीर्ष किसी कार्यक्रम के अंतर्गत योजना को सूचित करता है। जबकि विस्तृत शीर्ष उस खर्च का प्रतिनिधित्व करता है जो वेतन, निवेशो आदि के रूप में उस योजना पर हुए हैं।

नए संशोधित वर्गीकरण में विषय शीर्ष बनाए रखा गया है और इसको अंतिम पंक्ति में स्थान दिया गया है यह खर्च पर मदवार नियंत्रण प्रदान करता है।

मुख्य शीर्ष में किसी भी परिवर्तन के लिए भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की स्वीकृति अनिवार्य है।

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