संपूर्ण पृथ्वी विशाल भूखंडों और जल राशियों से घिरी हुई है। पृथ्वी पर स्थित बड़े भूभाग को महाद्वीप और बड़े जल राशि वाले क्षेत्रों को महासागर कहा जाता है ।
पृथ्वी की सतह पर स्थित बड़े जल राशि अर्थात महासागर कितने हैं ? यह प्रश्न किया जाए तो उत्तर होगा पृथ्वी पर कुल पांच महासागर है जो अपने आकार के आधार पर अवरोही क्रम ( घटते हुए ) में निम्नलिखित हैं ।
1) प्रशांत महासागर ।
2) अटलांटिक महासागर ।
3) हिन्द महासागर ।
4) अंटार्कटिक महासागर ।
5) आर्कटिक महासागर ।
महासागरों की संख्या और नाम जानने के बाद अब जानते हैं इन महासागरों की विशेषताओं के बारे में ।
हमारे सौरमंडल में मात्र पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जिसमें इतनी अधिक मात्रा में जल उपलब्ध है और यही विशेषता पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाता है। पृथ्वी पर इतनी अधिक मात्रा में पानी होने के कारण ही हमारी
पृथ्वी अंतरिक्ष से नीले रंग की दिखाई देती है और इसी वजह से इसे नीला ग्रह (Blue Planet) की भी संज्ञा दी गई है ।
हमारी संपूर्ण पृथ्वी का क्षेत्रफल 509,700,000 वर्ग किलोमीटर है । इसमें से 71% क्षेत्र पर जलमंडल (महासागर)और 29% क्षेत्र पर स्थल मंडल (महाद्वीप)का विस्तार है।
पृथ्वी के संपूर्ण सतह पर जल मंडल का विस्तार 361,300,000 वर्ग किलोमीटर है। और स्थल भाग का क्षेत्रफल है 148,400,000 वर्ग किलोमीटर।
इस प्रकार समस्त जल मंडल का लगभग 97.3% भाग महासागर एवं अंतर्देशीय समुद्रों से आच्छादित है, जबकि शेष 2.7% भाग पर हिमनद सतही जल के रूप में नदी तालाब झील और भूमिगत जल का क्षेत्र है।
ऐसा वैज्ञानिक प्रमाणों से सिद्ध हो चुका है कि पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत महासागरों से ही हुई शुरुआती जीवन चक्र में एक कोशिकीय जीव समुद्र के अंदर ही विकसित हुए थे।
आज भी महासागर मानव की सभ्यता के विकास में विशेष महत्व रखते हैं । विश्व की लगभग 6% आबादी आर्थिक रूप से समुद्रों पर ही निर्भर है । विश्व के कई बड़े शहर समुद्र के तटों पर ही विकसित हुए और फल फूल रहे हैं ।
महासागरों की संख्या और उनके नाम –:
पृथ्वी पर स्थित पांच महासागरों के आकार या क्षेत्रफल निम्नानुसार हैं ।
S.N. |
Ocean |
Area |
1. |
प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) |
165,723,700 वर्ग किमी |
2. |
अटलांटिक महासागर (Atlantic Ocean) |
82,963,800 वर्ग किमी |
3. |
हिन्द महासागर (Indian Ocean) | 73,425,600 वर्ग किमी |
4. | अंटार्कटिका महासागर (Antarctic Ocean) |
23,860,200 वर्ग किमी |
5. |
आर्कटिक महासागर (Arctic Ocean) |
15,326,700 वर्ग किमी |
Total |
361,300,000 वर्ग किमी |
इस प्रकार उपर्युक्त सारणी की तुलना से ज्ञात होता है कि प्रशांत महासागर एरिया में सबसे बड़ा और आर्कटिक महासागर सबसे छोटा है।
अब जानते हैं इन पांचों महासागरों की क्या प्रमुख विशेषताएं हैं।
प्रशांत महासागर (Pacific Ocean)–:
सबसे बड़ा महासागर है जो ग्लोब के पूर्वी और पश्चिमी दोनों गोलार्ध में फैला हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा इस महासागर से गुजरती है और ग्लोब को पूर्वी और पश्चिमी में बाटती है।
इस महासागर की आकृति त्रिभुजाकार एवं क्षेत्रफल संपूर्ण स्थल के क्षेत्रफल से भी अधिक है।
प्रशांत महासागर का शीर्ष बेरिंग जलडमरूमध्य पर तथा आधार अंटार्कटिक महाद्वीप पर है।
भूमध्य रेखा पर महासागर की लंबाई 16000 किलोमीटर से भी अधिक है, प्रवाल वाले अनेक द्वीप इस महासागर में स्थित है।
विश्व का सबसे गहरा महासागर है और औसत गहराई 4000 मीटर है,और विश्व का सबसे गहरा गर्त मेरियाना ट्रेंच(11033 मीटर ) इसी महासागर में स्थित है।
संपूर्ण प्रशांत महासागर को दो भागों में बांटा जा सकता है उत्तरी और दक्षिणी ।
उत्तरी प्रशांत महासागर कनाडा संयुक्त राज्य अमेरिका मेक्सिको कोलंबिया (उत्तरी अमेरिका) के पश्चिम तट से लेकर जापान और इंडोनेशिया के पूर्वी तट तक फैला हुआ है।
दक्षिणी प्रशांत महासागर इक्वाडोर पेरू बोलिविया चिली (दक्षिण अमेरिका)के पश्चिमी तट से शुरू होकर इंडोनेशिया पापुआ न्यू गिनी ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड के पूर्वी तट तक फैला हुआ है।
विश्व में सर्वाधिक द्वीप प्रशांत महासागर में ही स्थित है, सर्वाधिक संख्या में इंडोनेशिया देश के अंतर्गत आते हैं । ऐसा अनुमान है कि लगभग 25000 द्वीप इस महासागर में स्थित है।
प्रशांत महासागर में ही विश्व के प्रमुख बड़े सक्रिय ज्वालामुखी स्थित हैं जैसे अमेरिका के हवाई दीप और जापान इंडोनेशिया के ज्वालामुखी द्वीप।
अटलांटिक महासागर (Atlantic Ocean)–:
प्रशांत महासागर के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा महासागर है।
यह महासागर उत्तरी और दक्षिणी दोनों गोलार्ध में फैला हुआ है।
महासागर की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता मध्य अटलांटिक कटक (Mid-Atlantic Ridge) है यह उत्तर में आइसलैंड से दक्षिण में बोवेट दीप तक लगभग 14000 किलोमीटर लंबा और 4000 मीटर ऊंचा है। यह समुद्र में डूबी हुई एक पर्वत श्रेणी है।
आर्थिक रूप से सर्वाधिक महत्वपूर्ण महासागर है क्योंकि सबसे ज्यादा जल परिवहन इसी महासागर में होता है।
उत्तरी अटलांटिक महासागर यूरोप के इंग्लैंड फ्रांस पुर्तगाल और पश्चिम अफ्रीका से लेकर कनाडा संयुक्त राज्य अमेरिका मेक्सिको (उत्तरी अमेरिका) के पूर्वी भाग तक फैला हुआ है।
दक्षिणी अटलांटिक महासागर अफ्रीका के पश्चिमी तट से लेकर ब्राज़ील उरूग्वे अर्जेंटीना (साउथ अमरीका)के पूर्वी तट तक फैला हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (0 डिग्री देशांतर) इस महासागर के पूर्वी भाग से होकर जाती है।
सर्वाधिक देश अटलांटिक महासागर के किनारे ही स्थित है लगभग 60 की संख्या में।
अटलांटिक महासागर में बरमूडा ट्रायंगल जैसा कुख्यात समुद्री क्षेत्र स्थित है।
सारगैसो सागर ( समुद्री घास )वाला विशिष्ट सागरीय जैव विविधता वाला क्षेत्र भी अटलांटिक महासागर में स्थित है।
विश्व का सबसे बड़ा द्वीप ग्रीनलैंड अटलांटिक महासागर के उत्तरी छोर पर स्थित है।
महाद्वीपों के बीच स्थित होने के कारण सर्वाधिक समुद्री धाराएं इसी महासागर में गतिमान होती है ।
इस महासागर में सबसे गहरा स्थान प्यूतोरिको ट्रेंच है।
हिन्द महासागर (Indian Ocean)–:
प्रशांत और अटलांटिक महासागर के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा महासागर है।
औसत गहराई 3500 मीटर से भी अधिक है। इस महासागर का सबसे गहरा स्थान या गर्त जावा दीप का सुंडा गर्त (8152 मीटर) है।
इस महासागर का नाम भारत देश के कारण पड़ा है।
दक्षिण पूर्वी अफ्रीका के तट पर स्थित मेडागास्कर इस महासागर का सबसे बड़ा द्वीप है।
महासागर की उत्तरी छोर पर एशिया महाद्वीप (भारत) पश्चिमी छोर पर अफ्रीका महादीप और पूर्वी छोर पर ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप और दक्षिणी छोर पर अंटार्कटिक महासागर स्थित है।
एकमात्र हिंद महासागर ही है जिसमें मानसूनी हवाएं समुद्र से भारतीय उपमहाद्वीप की ओर चलती है जिससे दक्षिण पूर्वी मानसूनी बारिश भारतीय उपमहाद्वीप में होती है।
कोरल रीफ से निर्मित कई दीप हिंद महासागर में स्थित है ।
कर्क रेखा हिंद महासागर की उत्तरी सीमा रेखा है ।
अंटार्कटिक महासागर (Antarctica Ocean)–:
प्रशांत महासागर अटलांटिक महासागर और हिंद महासागर के बाद यह चौथा सबसे बड़ा महासागर है।
पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव पर चारों तरफ गोलाई में फैला हुआ है ।
किस महासागर का ज्यादातर हिस्सा बर्फ से जमा हुआ है।
इसे बर्फ का रेगिस्तान कहा जा सकता है जहां रेत के रेगिस्तान से भी कम वनस्पतियां यहां पर उगती है।
इस महाद्वीप में किसी भी देश का अधिकार नहीं है आपसी समझौते द्वारा यहां पर विभिन्न देशों ने अपने रिसर्च स्टेशन स्थापित किए हैं।
इस महाद्वीप में व्हेल, पेंग्विन और सी लायन जैसे जीव पाए जाते हैं।
इस महाद्वीप में मनुष्यों की आबादी न्यूनतम है।
इस महासागर की औसत गहराई 3000 मीटर से अधिक है, वहीं अधिकतम गहरा स्थान सैंडविच गर्त है जो 7500 मीटर गहरा है।
आर्कटिक महासागर (Arctic Ocean)–:
यह विश्व का पांचवा स्थान का सबसे छोटा महासागर है।
यह महासागर पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव पर चारों ओर गोलाई में फैला हुआ है आर्कटिक महासागर की तरह यह अंटार्कटिक महासागर भी वर्ष भर बर्फ से ढका रहता है ।
आर्टिक महासागर से लगने वाला सबसे बड़ा देश रूस है जबकि यूरोप महाद्वीप के देश नार्वे, आइसलैंड, ग्रीनलैंड और उत्तरी अमेरिका के देश संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा की सीमा भी इस महासागर से मिलती है ।
यहां पर 6 महीने के दिन और 6 महीने की रातें होती है।
यह महासागर अंटार्कटिक की ही तरह एक बर्फीला रेगिस्तान है ।
विश्व का न्यूनतम तापमान इसी महासागर में रिकॉर्ड किया गया है।
इस प्रकार हमने देखा कि पृथ्वी पर पांच महासागरों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं जो पृथ्वी के अस्तित्व में अपना विशिष्ट स्थान रखती है।
महासागरों की उत्पत्ति कैसे हुई –:
महाद्वीप और महासागरों की उत्पत्ति के संबंध में कुछ विद्वानों ने अपने परिकल्पित सिद्धांत दिए हैं जिनमें से प्रमुख है लॉर्ड केल्विन लैपवर्थ और लव, लेथियन ग्रीन का चतुर्थ फलक सिद्धांत(Tetrahedral Hypothesis)
एफ बी टेलर का महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत(Continental drift theory ) वेगनर का महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत (Continental drift theory) ग्रेगरी और जेफरीज का इसका स्थल सेतु सिद्धांत (Land Bridge
theory) हैरी हैस का प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत(Plate Tectonic theory) आदि महत्वपूर्ण है।
उपरोक्त सिद्धांतों का अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि, इन सभी सिद्धांत महासागरों की उत्पत्ति के संबंध में यह बताते हैं कि जब पृथ्वी गर्म से ठंडी हुई तो भूपर्पटी पर सिकुड़न पैदा होने से
कुछ भाग गहरे हो गए और कुछ ऊपर उठ गए जिससे महासागरों और महाद्वीपों का निर्माण हुआ।
इस सिद्धांतों में से सर्वाधिक मान्य एक सिद्धांत जिसे वेगनर का महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत के नाम से जाना जाता है के अनुसार कार्बनिफेरस युग में विश्व के सभी भूभाग या महाद्वीप एक साथ जुड़े हुए थे जिसे
पेन्जिया कहा जाता था । इस विशाल स्थल खंड के चारों ओर फैले विशाल जल राशि को पैथालासा के नाम से जाना जाता था।
विशाल पेन्जिया कालांतर में कई भागों में टूटकर अलग हो गया और यह भाग अलग-अलग दिशाओं में गतिमान है जिन्हें हम महाद्वीपों के नाम से जानते हैं ।
इस प्रकार वर्तमान में दिखाई देने वाले महाद्वीप और महासागरों का निर्माण हुआ है।
निष्कर्ष –:
निश्चित रूप से समस्त सौर्य मंडल के ग्रहों में सिर्फ पृथ्वी पर जीवन संभव होने का प्रमुख कारण पानी और महासागर ही है, किंतु आज महासागर खतरे में है, जिसका प्रमुख कारण मनुष्य है । मनुष्यों की आर्थिक
गतिविधियों के कारण महासागरों में प्रदूषण की रफ्तार कई गुना बढ़ चुकी है ।
महासागरों के पारिस्थितिक तंत्र के प्रमुख जीव व्हेल और शार्क का अंधाधुन शिकार किया जा रहा है । पृथ्वी पर ग्रीन हाउस इफेक्ट के कारण अंटार्कटिक और आर्टिक महासागर लगातार पिघल रहे हैं ।
बड़े-बड़े जहाजों के द्वारा क्रूड आयल का परिवहन महासागरों के माध्यम से ही होता है, कभी दुर्घटना बस यह जहाज जब महासागरों में डूबते हैं तो लाखों गैलन क्रूड आयल महासागरों की सतह पर फैल जाता है, जिससे
प्रदूषण तो बढ़ता ही है साथ ही समुद्री जीवो का जीवन भी खतरे में पड़ जाता है ।
इस प्रकार अब समय आ चुका है कि, मनुष्य जागरूक हो और विचार करें कि क्या हमें पृथ्वी और महासागर चाहिए या प्रदूषण और सभ्यता का अंत।
F.A.Q.
Q 1. – विश्व के 7 महासागर कौन से हैं।
Ans. – विश्व के पटल पर स्थित महासागरों की संख्या 7 नहीं है यह संख्या 5 है जो निम्नलिखित है।
1) प्रशांत महासागर | 2) अटलांटिक महासागर | 3) हिन्द महासागर | 4) अंटार्कटिक महासागर |
5) आर्कटिक महासागर |
Q 2. – विश्व में कुल कितने महासागर हैं।
Ans. – विश्व में कुल महासागरों की संख्या 5 है।
Q 3. – 5 या 7 कितने महासागर है ।
Ans. – पृथ्वी पर स्थित सभी महासागरों की संख्या 5 है।
Q 4. – सबसे छोटा महासागर कौन सा है।
Ans. – सभी 5 महासागरों में सबसे छोटा महासागर आर्कटिक महासागर है।
Q 5. – संसार का सबसे बड़ा समुद्र कौन सा है।
Ans. – पृथ्वी के पश्चिमी गोलार्ध में उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक फैले विशाल महासागर या समुद्र का नाम प्रशांत महासागर है जो संसार का सबसे बड़ा समुद्र है।
Very nice
Very nice geography sir aap se padana hai