नील नदी। उद्गम स्थल, सहायक नदियां,आर्थिक महत्व, डेल्टा, विश्व की सबसे लंबी नदी।

प्राचीन समय से ही मनुष्य जल स्रोतों और नदियों के किनारे अपनी बसाहट बनाता रहा है, और नदियों के किनारे मानव सभ्यता का विकास हुआ है | यदि सभी प्राचीन सभ्यताओं को देखें तो किसी न किसी नदी घाटी में वह फ़ली और फुली है।

मिस्र की महान सभ्यता जिसने महान फेरों राजाओं और उनकी द्वारा बनवाई गई पिरामिड के द्वारा विश्व को आज तक आश्चर्य में डाला हुआ है यह नील नदी का ही प्रभाव था जिससे मिस्र के महान सभ्यताओं का पालन पोषण और विकास हुआ |

विश्व की सबसे लंबी नदी नील घाटी में अनेकों सभ्यताओं का जन्म हुआ और वे विकसित हुई। अफ्रीका महाद्वीप में इस नदी का महत्व इसी बात से लगाया जा सकता है कि विश्व के सबसे बड़े रेगिस्तान (सहारा) में स्थित कुछ देश इस नदी के कारण इस रेगिस्तान के प्रभाव से पूरी तरह से मुक्त हो गए हैं।

नील नदी कहां स्थित है :–

नील नदी का उद्गम तंजानिया और युगांडा की सीमा पर स्थित विक्टोरिया झील से होने के बाद इस नदी का मुख्य प्रवाह युगांडा सूडान और मिस्र देश में होता है।

यह भाग अफ्रीका महाद्वीप उत्तर पूर्वी भाग में स्थित है विक्टोरिया निकलने के बाद नील नदी भ्रंश घाटी में बहते हुए सूडान के सहारा रेगिस्तान में पहुंचती है, वहां से आगे मिस्र के सूखे और रेतीले भाग की ओर प्रवाह करती है, और अंत में भूमध्य सागर के पूर्वी भाग में समुद्र में समा जाती है।

नील नदी

नील नदी का उद्गम स्थल :–

नील नदी का उद्गम अफ्रीका महाद्वीप सबसे बड़े लेक विक्टोरिया से होता है विक्टोरिया लेक तंजानिया और युगांडा के मध्य सीमा बनाती है।

नील नदी का उद्गम लेक विक्टोरिया के उत्तरी छोर से होता है। जो युगांडा देश के अंतर्गत आता है। उद्गम स्थल के समीप सबसे बड़ा नगर युगांडा की राजधानी कंपाला है।

सहायक नदियां :–

नील नदी का उद्गम युगांडा देश में लेक विक्टोरिया से वाइट निल के नाम से होता है आगे प्रवाह मे सूडान की राजधानी खार्तूम में वाइट नील से ब्लू नील

आकर मिलती है। और यहां से आगे इसे नील नदी के नाम से जाना जाता है। ब्लू नील एक का उद्गम लेक ताना से होता है जो इथियोपिया में स्थित है।

इस प्रकार से नील नदी वाइट नील और ब्लू नील के संगम से बनी है।

विश्व की सबसे लंबी नदी :–

युगांडा के लेक विक्टोरिया से उद्गम के बाद नील नदी 6650 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए भूमध्य सागर तक पहुंचती है ।

प्रवाह क्षेत्र में इसकी लंबाई विश्व की सभी नदियों की अपेक्षा अधिक है

कुछ वर्षों पूर्व तक इस नदी की ज्ञात लंबाई 5793 किलोमीटर मानी गई थी किंतु आधुनिक शोध और नए सिरे से गणना के बाद इस नदी की लंबाई 6650 किलोमीटर सुनिश्चित की गई है।

सबसे बड़ी और सबसे लंबी नदी के मध्य अंतर समझना भी आवश्यक है, यदि विश्व की सबसे बड़ी नदी का विचार करें तो वह है अमेजन नदी यहां सबसे बड़ी कहने का तात्पर्य यह है कि यह नदी विश्व के सबसे बड़े अपवाह

क्षेत्र पर अपना नियंत्रण रखती है तथा सर्वाधिक मात्रा में जल बहाकर ले जाती है वही उद्गम स्थल से समुद्र तक की दूरी तय करने की बात हो तो नील नदी सबसे लंबी नदी है।

नील नदी का प्रवाह क्षेत्र :–

नील नदी

नील नदी का प्रवाह या बहाव क्षेत्र इस मामले में अनोखा है कि भूमध्य रेखा के पास से उत्पत्ति के बाद यह भूमध्य रेखीय घने जंगलों से होते हुए उत्तर दिशा में प्रवाहित होती है और

अफ्रीका और विश्व के सबसे बड़े रेगिस्तान सहारा के पूर्वी भाग से प्रवाहित होते हुए भूमध्य सागर में जा मिलती है इस नदी के प्रवाह क्षेत्र में निम्न देश आते हैं कांगो, तंजानिया,

युगांडा, कीनिया,इथियोपिया, सूडान और मिस्र । भूमध्य रेखा से निकलकर यह नदी भूमध्य सागर में जा मिलती है।

नदी घाटी परियोजनाएं :–

नील नदी पर छोटी-छोटी कई सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण किया गया है इनमें से दो बड़ी परियोजनाओं का उल्लेख महत्वपूर्ण है।

आस्वान बांध

नील नदी के वरदान माने जाने वाले मिस्र देश में इसका निर्माण 1960 में प्रारंभ हुआ और लगभग 10 वर्षों के बाद 1970 में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ इस बांध की लंबाई 3.6

किलोमीटर और ऊंचाई लगभग 111 मीटर है। आधार पर चौड़ाई 980 मीटर यानी लगभग 1 किलोमीटर के बराबर है।

बांध के निर्माण से बने झील को नासिर नाम दिया गया है जो, लगभग 500 किलोमीटर लंबी और 15 किलोमीटर चौड़ी है ।

इस बांध पर जल विद्युत उत्पादन के लिए प्लांट का निर्माण किया गया है| अनुमानित है कि 12 मेगावाट विद्युत का उत्पादन यहां होता है।

ग्रैंड रेनेसॉ डेम

इस डैम का निर्माण इथियोपिया द्वारा नील नदी की सहायक ब्लू नील पर किया जा रहा है। इस बांध की लंबाई लगभग 145 मीटर है, इसके निर्माण के पीछे मुख्य उद्देश्य सिंचाई के क्षेत्रों को बढ़ाना और जल विद्युत उत्पादन है ।

ऐसा अनुमान है कि, बांध का निर्माण पूर्ण होने के बाद लगभग 60 मेगावाट विद्युत उत्पादन इस बांध से हो सकेगा।

नील नदी का आर्थिक महत्व :–

नील नदी आर्थिक रूप से पूर्वी अफ्रीका के लगभग सभी देशों को प्रभावित करती है

नील नदी के प्रवाह क्षेत्र में आने वाले सभी देश जैसे युगांडा सूडान इथियोपिया मिस्र ने छोटे बड़े बांध बनाकर सिंचाई की सुविधाओं का विस्तार किया है

श्वेत और ब्लू नील के मध्य दोआब क्षेत्र अल गजीरा का मैदान कपास की खेती हेतु प्रसिद्ध है

।इन देशों में एक बड़ा भाग सहारा रेगिस्तान के अंतर्गत आता है फिर भी नील नदी के कारण इथियोपिया सूडान और मिस्र ने कृषि क्षेत्र में बहुत उन्नति हासिल की है

मिस्र को तो नील नदी का वरदान कहा जाता है और इसका कारण यह है कि नील नदी के कारण मिस्र का रेगिस्तानी भाग उपजाऊ और कृषि के उपयुक्त बन गया है यहां वर्ष भर ऊंचा तापमान बना रहता है और नील नदी

के पानी से भरपूर सिंचाई की जाती है और फसलों का व्यापक उत्पादन होता है।

नील नदी के मुहाने पर मिस्र का सिकंदरिया बंदरगाह है जहां से सारे विश्व में व्यापार के लिए जहाजों का आवागमन होता है और यह बंदरगाह मिस्र की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा योगदान देता है।

नील नदी परियोजनाओं पर विवाद :–

इथियोपिया द्वारा ब्लू नील के ऊपर बांध का निर्माण किया जा रहा है जिससे इथियोपिया मिस्र और सूडान के मध्य विवाद उत्पन्न हो गया है |

ब्लू नील, नील की प्रमुख सहायक नदी है मिस्र के अनुसार यदि इस पर बांध बनाया गया और वह इथियोपिया की योजना अनुरूप हुआ तो मिस्र में नील नदी के प्रवाह में कमी आ जाएगी साथ ही जल स्तर में भी गिरावट आने की संभावना है

संपूर्ण मिस्र नील नदी के ऊपर ही निर्भर है जिससे कृषि क्षेत्रों में सिंचाई के लिए जल की कमी का सामना मिस्र को करना पड़ सकता है

इथियोपिया इस बांध के निर्माण को अपनी आर्थिक उन्नति का प्रमुख राह बता रहा है बाध् से इथोपिया को कृषि के लिए व्यापक जल और विद्युत प्राप्त होगा सूडान को भी नील नदी के जल स्तर में गिरावट की आशंका है जिससे वह इस बांध का विरोध कर रहा है

हाल ही में तीनों देशों के प्रतिनिधियों ने अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में विवाद को हल करने के लिए साउथ अफ्रीका में बैठक की है और विवादों के समाधान की दिशा में पॉजिटिव संकेत दिए हैं।

नील नदी डेल्टा :–

नदियों द्वारा निर्मित विशिष्ट स्थलाकृति जिसे Δ डेल्टा शब्द से संबोधित किया जाता है | नामकरण नील नदी के डेल्टा के आकार पर ही रखा गया है यदि हम नील नदी के डेल्टा का एरियल व्यू देखें तो वह Δ के आकार का दिखाई देता है ।

भूमध्य सागर में मिलने से पहले कैरों में नील नदी मुख्यतः दो धाराओं में बट जाती है। दाएं तरफ की धारा मंजाला झील की ओर चली जाती है जिसके मुहाने पर स्वेज नहर का पोर्ट सईद स्थित है |

दूसरी तरफ वाली धारा अलेक्जेंड्रिया की ओर चली जाती है इन्हीं दोनों धाराओं के बीच नील नदी का विशालकाय डेल्टा स्थित है |

कैरों से आगे यह नदी और भी कई छोटी-छोटी धाराओं में बट जाती है नदी के मुहाने पर दो झीलों का निर्माण हुआ है 1) दुरुलस झील और 2) मंजाला झील।

F.A.Q.

Q 1–    नील नदी कौन से देश में स्थित है

Ans — नील नदी का उद्गम तंजानिया और युगांडा की सीमा पर स्थित विक्टोरिया झील से होने के बाद इस नदी का मुख्य                      प्रवाह युगांडा सूडान और मिस्र देश में होता है।

Q 2–    नील नदी क्यों प्रसिद्ध है

Ans — युगांडा के लेक विक्टोरिया से उद्गम के बाद नील नदी 6650 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए भूमध्य सागर तक                      पहुंचती है । प्रवाह क्षेत्र में इसकी लंबाई विश्व की सभी नदियों की अपेक्षा अधिक है इस प्रकार नील नदी विश्व की                         सबसे लंबी नदी है और यही इसकी प्रसिद्धि का भी कारण है

Q 3–   नील नदी कहां से निकलती है

Ans —   नील नदी का उद्गम अफ्रीका महाद्वीप सबसे बड़े लेक विक्टोरिया से होता है विक्टोरिया लेक तंजानिया और                            युगांडा के मध्य सीमा बनाती है। नील नदी का उद्गम लेक विक्टोरिया के उत्तरी छोर से होता है। जो युगांडा देश                         के  अंतर्गत आता है।

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