Bhukamp. Bhukamp kya hai

Bhukamp kya hai :–

पृथ्वी की सतह पर किसी अंतर्जात या बाह्य और प्राकृतिक या कृत्रिम कारणों से होने वाला प्रभावी कंपन Bhukamp कहलाता है।

जब भू सतह के नीचे स्थित चट्टाने किसी असंतुलन के प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए अपना स्थान परिवर्तन करती हैं तो भू सतह पर कंपन और भू डोल की स्थिति निर्मित होती है।

इसके प्रभाव से धरातल पर व्यापक विनाशकारी प्रभाव होता है जिससे समस्त जीव जगत प्रभावित होता है इसे ही भूकंप या Earth Quack कहते हैं।

Bhukamp मूल अथवा उत्पत्ति केंद्र(Focus):–

पृथ्वी के धरातल के नीचे जिस स्थान पर भूकंप प्रारंभ होता है उसे भूकंप का उत्पत्ति केंद्र या फिर भूकंप मूल कहा जाता है

Bhukamp अधिकेंद्र (Epicentre):–

भूकंप मूल के ऊपर भू सतह जहां सबसे पहले भूकंपीय तरंगों का आभास होता है उसे ही अधिकेंद्र कहते हैं।

भूकंप का केंद्र धरती के अंदर होता है लेकिन उसका प्रभाव भू सतह पर महसूस किया जाता है इसे ही भूकंप अधिकेंद्र कहते हैं।

भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में अधिकेंद्र ऐसा स्थान है जो भूकंप मूल के सबसे समीप होता है।

Bhukamp kyon aata hai/ कारण :–

Bhukamp आने के कई कारण है जो निम्न है

A )  ज्वालामुखी क्रिया

B ) भू संतुलन से संबंधित

C ) प्लेटो की गतिशीलता

D ) वलन तथा भ्रंशन

E ) भू सतह का संकुचित हो जाना

F ) भूसतह के अंदर पृथ्वी के गर्भ में गैसों की मात्रा में वृद्धि

G ) जलीय भार

H ) पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन

J ) परमाणु बम का परीक्षण और विस्फोट प्रत्यास्थ पुनश्चलन सिद्धांत (Elastic Rebound theory)

प्रत्यास्थ पुनश्चलन सिद्धांत (Elastic Rebound theory):–

इस सिद्धांत का निर्धारण H. F. रीड द्वारा भूपटल भ्रंश को केंद्र में रखकर किया गया है रीड महोदय के अनुसार भूपटल के नीचे स्थित चट्टाने रबर की तरह लचीली होती है और उनमें धीरे-धीरे तनाव और खिंचाव होता रहता है।

तनाव और खिंचाव के कारण यह प्रत्यास्थ या लचीली चट्टाने धीरे-धीरे अपने आकार से बढ़ती जाती है और एक सीमा के बाद रबर की भांति टूट जाती है।

और शीघ्रता से अपने पहले वाले आकार में आने का प्रयास करती है इस खिंचाव और विखंडन के पश्चात अपनी पुरानी स्थिति में आने के प्रयास के कारण ही पृथ्वी में जोरों का कंपन होता है जिसे हम भूकंप के रूप में जानते हैं।

Bhukamp के प्रकार :–

Bhukamp गहराई के आधार पर भूकंप को तीन भागों में बांटा जा सकता है

1 सामान्य Bhukamp (Normal Earthquake)

सामान्य प्रकार के भूकंप भू सतह से नीचे धरातल पर 50 किलोमीटर तक की गहराई में उत्पन्न होते हैं

2 मध्यवर्ती भूकंप (intermediate Earthquake)

यह Bhukamp भू सतह से धरती के अंदर 50 से 250 किलोमीटर तक की गहराई में उत्पन्न होते हैं।

3 गहरे या पातालीय भूकंप (Deep focus Earthquake)

इस तरह के Bhukamp की उत्पत्ति धरातल से अत्यंत गहराई में लगभग 250 से 700 किलोमीटर की बीच होती है

स्थिति के आधार पर Bhukamp

स्थिति के आधार पर भूकंप के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं

1 स्थलीय भूकंप

2 सागरीय भूकंप

जिन भूकंप की उत्पत्ति और प्रभाव स्थल भागों पर होता है उन्हें स्थलीय भूकंप कहते हैं जबकि वे भूकंप जो समुद्र के अंदर उत्पन्न होते हैं और उनका प्रभाव भी समुद्र में व्यापक होता है सागरीय भूकंप कहते हैं।

सुनामी (Tsunamis):–

समुद्र के अंदर उत्पन्न होने वाले भूकंप के प्रभाव से सुनामी उत्पन्न होती है सुनामी उन सागर की जल लहरों को कहा जाता है।

जिनकी ऊंचाई बहुत ज्यादा होती है और यह बहुत तीव्र गति से समुद्र तटों की ओर गतिमान होती है इन लहरों से समुद्र के अंदर किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है परंतु जब यह तीव्र गति से समुद्र तटों पर पहुंचती है तो इनसे व्यापक जन धन हानी होती है

भूकंपीय लहरें (seismic Waves):–

भूकंप की उत्पत्ति के समय भूकंप मूल या केंद्र से उठने वाली लहरों को भूकंपीय लहरें कहा जाता है यह लहरें सबसे पहले भूकंप मूल के ठीक ऊपर भूत सतह पर स्थित अधिकेंद्र या Epicentre पर पहुंचती है।

समघात रेखाएं (Isooseismal lines):–

भूकंप की लहरों द्वारा उत्पन्न समान आघात क्षेत्रों को मिलाने वाली रेखा समघात रेखाओं के नाम से जाना जाता है यह रेखाएं अधिकेंद्र से प्राय: वृत्ताकार होती है।

भूकंपीय लहरों की दशाए (Phases):–

आमतौर पर भूकंपीय लहरों की तीन दशाए पाई जाती है

1) सबसे क्षीण या प्राथमिक कंपन

2) प्रथम कंपन के बाद उसकी अपेक्षा अधिक तीव्रता वाला दूसरा कंपन होता है और

3) अंत में प्रधान या सर्वाधिक तीव्र कम्पन होता है।

भुकम्पो का वेश्विक विस्तार :–

विश्व में भूकंप का वितरण असमान है भूकंप के प्रमुख क्षेत्र निम्न प्रकार है।

i) नवीन मोड़ दार वलित पर्वतो का क्षेत्र

ii) महाद्वीपीय तथा महासागरीय मिलन का क्षेत्र

iii) विश्व की ज्वालामुखी क्षेत्र दरार एवं

iv) भूपटल भ्रंश की क्रिया वाले क्षेत्र

निम्न आधार पर विश्व के समस्त भागों को भूकंप की कुछ विस्तृत पेटियां में बांटा जा सकता है

1) प्रशांत महासागरीय तटीय पेटी

इस भाग में संपूर्ण पृथ्वी के 68 % भूकंप आते हैं प्रशांत महासागर की इस विस्तृत क्षेत्र को अग्नि वलय ( Fire ring) के नाम से जाना जाता है

इसके अंतर्गत 3 प्रमुख क्षेत्र सम्मिलित हैं

i) जल और स्थल भाग के संधी स्थल

ii) नवीन मोड़दार पहाड़ों वाले क्षेत्र

iii) ज्वालामुखी क्षेत्र

इस प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में चिली, कैलिफोर्निया, अलास्का, जापान, फिलिपिंस, न्यूजीलैंड तथा मध्य महासागरीय भागों में Bhukamp और ज्वालामुखी के विशाल क्षेत्र सम्मिलित है।

मध्य महाद्वीपीय पेटी

इसके अंतर्गत समस्त पृथ्वी के 21% भूकंप आते हैं यह भाग मेक्सिको से शुरू होकर अटलांटिक महासागर भूमध्य सागर और ऑलप्स् काकेशस जैसे नवीन वलित पर्वत श्रेणियों से होती हुई हिमालय पर्वत तथा उसके समीपवर्ती क्षेत्रों तक फैली हुई है।

यह पेटी विषुवत रेखा के लगभग समानांतर है इस में आने वाले अधिकांश भूकंप संतुलन मुलक् तथा भ्रंश मुलक् भूकंप है।

भारत का भूकंप क्षेत्र इसी पेटी के अंतर्गत आता है भारत के भूकंप मुख्यता हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र में या पर्वतों के निचले भागों तक ही सीमित है।

मध्य अटलंटिक पेटी

इसके अंतर्गत मध्य अटलांटिक कटक के सहारे विस्तृत क्षेत्र है इसमें भूमध्य रेखा के समीपवर्ती क्षेत्रों में सबसे अधिक Bhukamp के झटके महसूस किए जाते हैं।

अन्य क्षेत्र

विश्व में Bhukamp के निम्न अन्य क्षेत्र हैं

i) नील नदी के समानांतर संपूर्ण अफ्रीका का पूर्वी भाग

ii) अदन की खाड़ी से अरब सागर तक का विस्तृत क्षेत्र

iii) हिंद महासागरीय क्षेत्र

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