इस लेख मे —
1 ) ध्रुवीय ज्योति क्या है ?
2 ) ध्रुवीय ज्योति के निर्माण का क्या कारण है ?
3 ) ध्रुवीय ज्योति किन देशों में दिखाई देती है ?
4 ) किस समय दिखाई देती है ध्रुवीय ज्योति ?
5 ) ध्रुवीय ज्योति के विभिन्न नाम |
6 ) वायुमंडल की किस परत में होती है ध्रुवीय ज्योति की घटना ?
ध्रुवीय ज्योति क्या है –:
ध्रुवीय ज्योति या अरेरा ऐसी प्राकृतिक घटना है, जो कुदरत के शानदार नजारों में से एक गिनी जाती है ! प्राचीन समय से ही मनुष्य इस अलौकिक दृश्य को देखकर आश्चर्यचकित होता रहा है की ,यह घटना क्यों और किस कारण से होती है ।
इस लेख में जानने का प्रयास करेंगे कि ध्रुवीय ज्योति क्या है।
अक्सर हम लोगों ने फिल्म. टीवी में इस तरह के दृश्य देखे हैं, जब आकाश में नीली हरी पीली और लाल पट्टीया परदों की तरह लहराती हुई सी दिखती है, और आसमान इन रंगों से सराबोर हो जाता है, इस प्राकृतिक घटना को ही ध्रुवीय ज्योति या अरेरा बोरियालिस कहा जाता है !
ग्लोब के उत्तरी ध्रुव के करीब रहने वाले लोग ही इस प्राकृतिक घटना से परिचित थे, क्योंकि पृथ्वी के अन्य हिस्सों में यह प्राकृतिक घटना दिखाई नहीं देती है, और हमें पता है कि विश्व की ज्यादातर आबादी निम्न अक्षांशों में रहती है, जिन्होंने कभी भी ध्रुवीय ज्योति को अपनी आंखों से नहीं देखा है !
19वीं सदी तक तो विश्व की ज्यादातर आबादी इस प्राकृतिक घटना से अपरिचित ही थी । 20 वी और 21वीं सदी में आधुनिक तकनीक और कैमरे के आविष्कार ने इस प्राकृतिक घटना से विश्व को परिचित कराया ! तभी से मनुष्य द्वारा इस प्राकृतिक घटना की वैज्ञानिक पक्ष या फिर कहें इस प्राकृतिक घटना के कारणों की खोज आरंभ हो गई थी ।
ध्रुवीय ज्योति का क्या कारण है / अरेरा कैसे बनता है –:
ध्रुवीय ज्योति के बनने के कारण पर वैज्ञानिकों ने लंबे समय तक रिसर्च की है ,इस प्राकृतिक घटना के पीछे मुख्यतः सूर्य और पृथ्वी का चुंबकीय प्रभाव है।
आधुनिक वैज्ञानिक खोज से यह ज्ञात हो चुका है कि हमारे सौरमंडल में सर्वाधिक चुंबकीय प्रभाव सूर्य के अंदर पाया जाता है, जो सौर्य मंडल के अन्य ग्रहों पर भी अपना चुंबकीय प्रभाव डालता है ।
सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा किरण विद्युत चुंबकीय प्रभाव से अत्यंत वेग के साथ सौर्य मंडल के अन्य ग्रहों की तरफ गति करती है ।
पृथ्वी के अंदर पाए जाने वाले विभिन्न मिनरल और पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण पृथ्वी पर चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण होता है, जो उत्तर से दक्षिण और दक्षिण से उत्तर की ओर आयनों को प्रवाहित करता है।
इसके कारण पृथ्वी के वायुमंडल आइनोस्फीयर में चुंबकीय प्रभाव से विद्युत चुंबकीय तरंगे उत्पन्न होती हैं, इनकी तीव्रता ध्रुवों पर अपेक्षाकृत अधिक होती है ।
जब सूर्य की विद्युत आवेश की किरणें पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराती है तो ऊर्जा उत्पन्न होती है जो आसमान में विभिन्न रंगों में लहरदार आकृति के रूप में हमें दिखाई देती है इसे ही अरेरा या ध्रुवी ज्योति के नाम से जाना जाता है ।
वायुमंडल की अलग-अलग ऊंचाइयों पर ध्रुवीय ज्योति का रंग और आकार अलग अलग होता है, आइनोस्फीयर के सबसे निचले स्तर पर इसका रंग नीला होता है, वही मध्य में हरा, और सबसे ऊपरी भाग में लाल रंग का होता है ।
किन देशों में यह दुर्लभ प्राकृतिक घटना होती है —:
यह दुर्लभ प्राकृतिक घटना पृथ्वी के कुछ खास हिस्सों में ही घटित होती है, जिनमें पृथ्वी का उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवीय भाग मुख्य है।
उत्तरी ध्रुव पर स्थित वे देश जहां आमतौर पर यह प्राकृतिक घटना देखी जा सकती है, वह है अमेरिका का अलास्का, कनाडा, स्वीडन, डेनमार्क, नार्वे, रूस, आइसलैंड आदि ।
उपरोक्त नामों से स्पष्ट है कि उत्तरी ध्रुव पर यह सारे देश स्थित है जहां यह प्राकृतिक घटना घटित होती है, वहीं दक्षिणी ध्रुव की बात करें तो वहां किसी भी देश का अस्तित्व नहीं है।
दक्षिणी ध्रुव पर कई देशों के वैज्ञानिक दल अस्थाई निवास बनाकर महीनों तक रिसर्च का कार्य करते रहते हैं,पृथ्वी के इस भाग में भी ध्रुवीय ज्योति को आसानी से देखा जा सकता है ।
किस समय दिखाई देती है ध्रुवीय ज्योति –:
आमतौर पर अंधेरा होने के बाद ध्रुव (Pole) (दक्षिणी और उत्तरी) पर इसे आसानी से देखा जा सकता है परंतु सुबह होने से पहले तो पोल में एक लाइट शो जैसा एहसास इस प्राकृतिक घटना से होता है ।
आकाश में होने वाली इस खगोलीय घटना को सूरज ढलने के बाद अंधेरे में साफ-साफ देखा जा सकता है, दिन के उजाले में यह घटना होने के बावजूद दिखाई नहीं देती है ! लेकिन अंधेरे में इसकी प्राकृतिक छटा और खूबसूरती देखते ही बनती है !
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ध्रुवीय ज्योति के विभिन्न नाम –:
पृथ्वी के अलग-अलग भागों में, अलग-अलग भाषाओं में, इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है, हिंदी में उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव ज्योति के नाम से पुकारा जाता है ।
इसके अतिरिक्त उत्तरीय ध्रुव ज्योति को सुमेरू ज्योति और दक्षिणी ध्रुव ज्योति को कुमेरू ज्योति भी कहा जाता है ।
प्रचलित नाम लैटिन भाषा का शब्द है जिसमें इसे उत्तरीय ध्रुव पर Aurora Borealis और दक्षिणी ध्रुव पर Aurora australis कहते हैं इंग्लिश में ऐसे Northern light के नाम से पुकारा जाता है ।
वायुमंडल की किस परत में होती है यह घटना –:
वायुमंडल की किस परत में यह घटना होती है, यह जानने से पहले हमें वायुमंडल के बारे में जानना होगा ,पृथ्वी के चारों तरफ लगभग 400 किलोमीटर की ऊंचाई तक हवा का जो आवरण है, वह वायुमंडल कहलाता है इस वायुमंडल में मुख्यतः पांच परतें पाई जाती है जो निम्न है
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छोभ मंडल Troposphere
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समताप मंडल Stratosphere
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मध्य मंडल Mesosphere
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ताप मंडल /आयन मंडल Ionosphere
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बाहय मंडल Exosphere
इसमें ताप मंडल की सबसे निचली परत को आयन मंडल के नाम से जाना जाता है ! वायुमंडल की इस भाग की ऊंचाई 80 से 150 किलोमीटर के मध्य है , इस परत पर विद्युत और चुंबकीय घटनाएं होती हैं,
वायुमंडल की इस परत में ही पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र अपने अधिकतम प्रभाव में होता है, और इसी परत में सूर्य की चुंबकीय और आयनित प्रकाश किरण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से क्रिया करके ध्रुवीय ज्योति जैसे शानदार नजारे का निर्माण करते हैं ।
F.A.Q.
Q. उत्तरी ध्रुवीय ज्योति का क्या कारण है |
Ans. पृथ्वी के अंदर पाए जाने वाले विभिन्न मिनरल और पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण पृथ्वी पर चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण होता है, जो उत्तर से दक्षिण और दक्षिण से उत्तर की ओर आयनों को प्रवाहित करता है, इसके कारण पृथ्वी के वायुमंडल आइनोस्फीयर में चुंबकीय प्रभाव से विद्युत चुंबकीय तरंगे उत्पन्न होती हैं, इनकी तीव्रता ध्रुवों पर अपेक्षाकृत अधिक होती है !
जब सूर्य की विद्युत आवेश की किरणें पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराती है तो ऊर्जा उत्पन्न होती है जो आसमान में विभिन्न रंगों में लहरदार आकृति के रूप में हमें दिखाई देती है इसे ही अरेरा या ध्रुवी ज्योति के नाम से जाना जाता है !
Q. अरेरा की घटना क्या है |
Ans. जब ध्रुवीय क्षेत्रों के आकाश में नीली, हरी, पीली और लाल पट्टीया परदों की तरह लहराती हुई सी दिखती है, और आसमान इन रंगों से सराबोर हो जाता है, इस प्राकृतिक घटना को ही ध्रुवीय ज्योति या अरेरा बोरियालिस कहा जाता है |
Q. अरोरा ऑस्ट्रेलिया कहां पाया जाता है |
Ans. दक्षिणी ध्रुव पर ( South Pole ) |
Q. अरोरा कैसे बनता है |
Ans.जब सूर्य की विद्युत आवेश की किरणें पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराती है तो ऊर्जा उत्पन्न होती है जो आसमान में विभिन्न रंगों में लहरदार आकृति के रूप में हमें दिखाई देती है इसे ही अरेरा या ध्रुवी ज्योति के नाम से जाना जाता है |
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