एक अच्छे स्कूल की पहचान कैसे करें । HOW TO IDENTIFY THE BEST SCHOOL FOR YOUR CHILD.

नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत होने वाली है, और बहुतेरे माता-पिता अपने नौनिहालों के लिए एक अच्छे स्कूल की तलाश में होंगे; तो आइए आज इस विषय पर चर्चा करते हैं, कि अपने बच्चों को किसी भी स्कूल में दाखिल करने से पहले हमें किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए।

या हम यह कैसे जाने कि अपने बच्चों के लिए कौन सा स्कूल सर्वोत्तम होगा |इस लेख मे हम जानेगे की एक अच्छे स्कूल की पहचान कैसे करें |

पेरेंट्स अक्सर इस बात को लेकर पशोपेश में होते हैं कि किस स्कूल में बच्चे का दाखिला कराया जाए स्कूल घर के पास हो या दूर; स्कूल बड़ा हो या छोटा; नया हो या पुराना।

तो इन सारे विषयों की चर्चा करने के बाद आप जान जाएंगे अपने बच्चों के लिए स्कूल का चयन कैसे करें या पहले से अध्ययनरत अपने बच्चों को किसी दूसरे स्कूल में एडमिशन करने से पहले किन बातों का ध्यान रखें ।

किसी भी स्कूल के बारे में सबसे पहले उसके फी स्ट्रक्चर या फीस की जानकारी होनी आवश्यक है; क्योंकि स्कूल का फीस आपके बजट के अनुरूप ही होना चाहिए ।

यदि वह आपके बजट के अनुरूप नहीं होगा तो ऐसे स्कूल में अपने बच्चों को लंबे समय तक पढ़ा पाना संभव नहीं होगा |

किसी भी स्कूल की फीस स्ट्रक्चर के बारे में जानने के बाद ही स्कूल के अन्य पक्ष पर ध्यान देना चाहिए, अन्यथा किसी बजट फ्रेंडली स्कूल की ओर रुख करना ही बेहतर है ।

छोटे और बड़े बच्चों के लिए स्कूल के मानदंड (criteria) अलग अलग होते हैं ।

छोटे बच्चों के एडमिशन के समय अलग मानदंडों को ध्यान में रखा जाता है जबकि बड़े बच्चों के लिए अलग, तो सबसे पहले जानते हैं कि छोटे बच्चों के लिए अच्छे स्कूल का चयन करते समय किन मानदडो का ध्यान रखना चाहिए ।

छोटे बच्चों के लिए एक अच्छे स्कूल की पहचान

आज के आधुनिक युग में माता पिता अपने बच्चों को कम उम्र से ही स्कूल में दाखिला कराना चाहते हैं , आमतौर पर छोटे बच्चों की उम्र 3 वर्ष में किंडर गार्टन (kindergarten) एजुकेशनल स्कूल में दाखिला दिया जाता है ।

इस उम्र में बच्चे को स्कूल में एडमिट करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए या निम्न तथ्यों के आधार पर आप जान सकते हैं कि, यह स्कूल आपके बच्चे के लिए कैसा होगा ।

1) बच्चों की कक्षाएं खुली और हवादार होनी चाहिए ।

2)  कक्षा का वातावरण और फर्नीचर बच्चों के अनुरूप होने चाहिए ।

3) किंडर गार्टन  एजुकेशन स्कूल में बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाया और सिखाया जाता है इसके लिए समुचित व्यवस्था स्कूल की ओर से होनी चाहिए  (खिलौने इत्यादि )।

4)  स्कूल की लोकेशन हेवी ट्रेफिक वाली सड़क के किनारे या  शोर-शराबे  वाली नहीं होनी चाहिए ।

5) कक्षाएं भूतल ( ground floor) पर स्थित होनी चाहिए ।

6) स्कूल स्वयं के निवास स्थान से बहुत ज्यादा दूर नहीं होना चाहिए ।

7) स्कूल के पास बच्चों को लाने ले जाने के लिए पर्याप्त वाहन सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए ।

8) स्कूल भवन स्कूल की संपत्ति होनी चाहिए स्कूल भवन रेंट पर नहीं होना चाहिए ।

9) शासन के नियमों के अंतर्गत स्कूल मान्यता प्राप्त होना चाहिए ।

10) स्कूल भवन के अंदर पर्याप्त सुरक्षा के इंतजाम होने चाहिए साथ ही सीसीटीवी कैमरे की मदद से सभी कक्षाओं पर नजर रखने की व्यवस्था होनी चाहिए ।

11)  बच्चों के अनुरूप शौचालय की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए ।

 इस प्रकार इन भौतिक पक्ष  के अतिरिक्त स्कूल के मानवीय पक्ष शिक्षकों और उनके सहायको (आया, दीदी) के ऊपर भी ध्यान देने की आवश्यकता है ।

इस उम्र में बच्चे अपने  प्रत्येक क्रिया कलाप के लिए अपने से बड़ों के ऊपर निर्भर होते हैं ऐसी स्थिति में शिक्षकों और आया, दीदी का अनुभवी और वात्सल्य  प्रिय होना  आवश्यक है ।

             शिक्षकों और आया दीदी को अपने बच्चों की समस्याओं के बारे में बता कर; और उनकी बच्चों को

लेकर होने वाली समस्याओं के बारे में पूछ कर; उनकी प्रतिक्रिया के आधार पर आप जान सकते हैं कि वे कितने अनुभवी है और बच्चों का किस तरह से ख्याल रख पाएंगे।

बड़े बच्चों के लिए एक अच्छे स्कूल का चयन करते समय ध्यान रखे जाने वाले महत्वपूर्ण  तथ्य

 बड़े बच्चे अर्थात 10 वर्ष से बड़े बच्चों को स्कूल में दाखिला कराते समय या स्कूल परिवर्तन के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इसके ऊपर चर्चा करते हैं ।

छोटे बच्चों को स्कूल में एडमिट करते समय जिन बातों का ध्यान रखना चाहिए वैसे ही बड़े बच्चों के लिए भी उपर्युक्त सुविधाएं अनिवार्य है ;इसके अतिरिक्त अन्य किन बातों का ध्यान रखना चाहिए वह इस प्रकार हैं ।

1)  बच्चे की संपूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक है कि स्कूल में वेल मेंटेंड कंप्यूटर लैब, लाइब्रेरी ,ऑडिटोरियम ,प्लेग्राउंड, इंडोर गेम, की सुविधा और साथ ही मेडिकल की सुविधा  भी उपलब्ध  होनी चाहिए ।

2) पढ़ाई के साथ ही साथ एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज फॉर फिजिकल एक्सरसाइज ड्रामा म्यूजिक एंटरटेनमेंट डिबेट लेखन क्षमता (कविता कहानियां) आदि की व्यवस्था भी स्कूल में होनी चाहिए ।

3) स्कूल में शिक्षण के आधुनिक उपकरणों की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए जैसे स्मार्ट स्कूल इत्यादि ।

4) ऐसे स्कूलों का चयन करें जहां बहुत ज्यादा भीड़ ना हो अर्थात क्लास में 35 से 40 बच्चों से अधिक की संख्या नहीं होनी चाहिए ।

5) स्कूल राज्य या राष्ट्रीय एजुकेशन बोर्ड से संबंधित और मान्यता प्राप्त होना चाहिए ।

6) ऐसे स्कूलों को प्राथमिकता दें जिनका संचालन कोई समिति या कमिटी करती हो ।

7) आज के आधुनिक दौर में खेलकूद ( sports ) में भी शानदार कैरियर का निर्माण हो रहा है । ऐसी दशा में ऐसे स्कूलों का चयन करना चाहिए जहां पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जाता हो , और जहां फुल टाइम खेल शिक्षक पदस्थ  हो ।

              उपरोक्त भौतिक पक्ष के अतिरिक्त मानवीय पक्ष ( शिक्षक ) पर भी ध्यान देना आवश्यक है ।

एक अच्छे स्कूल का चयन करते समय शिक्षकों के विषय में तीन बातों का विचार किया जाना आवश्यक है

i) स्कूल में शिक्षकों का औसत वेतन ।

ii) स्कूल में शिक्षकों की औसत कार्य अवधि ।

iii) शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता ।

i) शिक्षकों का औसत वेतन–;

आधुनिक युग में वेतन योग्यता का आईना है! अच्छा वेतन और स्कूल की ओर से मिलने वाली अन्य सुविधाओं से एक योग्य शिक्षक आकर्षित होता है । ऐसे ही स्कूल का चयन करना चाहिए जहां शिक्षकों का औसत वेतन जीवन स्तर के अनुरूप हो ।

ii) स्कूल में शिक्षकों की औसत कार्य अवधि –;

एक अनुभवी शिक्षक किसी भी स्कूल की संपत्ति होता है जो अपने अनुभव से बच्चों की शैक्षणिक उन्नति आसान बना देता है।

प्राइवेट स्कूलों में आमतौर पर शिक्षकों की औसत कार्य अवधि कम होती है, अर्थात शिक्षक बदलते रहते हैं परंतु जिस स्कूल का 50% शिक्षक वर्ग प्रत्येक वर्ष बदल जाए तो ऐसी दशा में ऐसे स्कूल से दूरी बना लेनी चाहिए ।

iii) शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता–; 

निम्न प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की कक्षाओं की अपेक्षा उच्च  कक्षाओं में शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता महत्वपूर्ण होती है ! पर्याप्त शैक्षणिक योग्यता रखने वाले शिक्षकों के स्कूल को प्राथमिकता देनी चाहिए ।

               उपरोक्त  तथ्यों का अध्ययन करने के बाद बहुत सारे पेरेंट्स का यह विचार होगा की उपरोक्त स्कूल से संबंधित महत्वपूर्ण और गुप्त जानकारी कहां से मिलेगी ।

इसके लिए आप अपने आसपास के शिक्षकों  या परिचित शिक्षकों से इस विषय में चर्चा  कर  उनकी राय ले सकते  हैं; किंतु ध्यान रहे कोई भी निर्णय किसी एक व्यक्ति की सलाह पर नहीं लेनी चाहिए,।

1 से अधिक लोगों या शिक्षकों से बात करने के बाद आप  बहुमत या अपने स्वविवेक से कोई भी निर्णय ले सकते हैं ।

कई स्कूल अपनी सुविधा के अनुसार वेबसाइट का निर्माण करते हैं ;और उसमें अपने स्कूल की सारी विशेषताओं का बखान भी करते हैं; ऐसी परिस्थिति में वेबसाइट में दी गई जानकारी का स्कूल की वास्तविकता से मिलान करके भी उस स्कूल की वास्तविक स्थिति का ज्ञान हो सकता है ।

              किसी भी स्कूल का रिजल्ट उसके बेहतर होने की कसौटी हो सकता है। किंतु यह रिजल्ट बोर्ड परीक्षाओं का होना चाहिए ।

            ट्यूशन क्लासेस या ट्यूटर के लिए कभी भी उस स्कूल के शिक्षक का चयन नहीं करना चाहिए; जहां वह छात्र अध्ययनरत है, अन्यथा आपके बच्चे का सही एसेसमेंट नहीं हो पाएगा ।

दो अलग-अलग शिक्षकों से पढ़ने पर छात्र की वास्तविक शैक्षणिक क्षमता और स्थिति का ज्ञान पेरेंट्स को हो पाएगा ।

            बच्चों के लिए मां बाप से बड़ा मेंटोर (mentor ) कोई दूसरा नहीं होता ; शाम को या होमवर्क के समय बच्चों से उनके स्कूल; दोस्तों और उनके टीचरों के बारे में बात कीजिए और उनसे जानने की कोशिश कीजिए की , उन्हें स्कूल में कैसा लगता है; किन चीजों को लेकर उन्हें परेशानी है ;और किन चीजों से वे प्रभावित हो रहे हैं ।

              इस प्रकार उपरोक्त जानकारी के आधार पर आप अपने बच्चों के लिए एक उपयुक्त स्कूल की पहचान कर सकते हैं, किंतु यहां हमें  एक तथ्य का और ध्यान रखना होगा और वह यह है कि कोई भी स्कूल सुविधाओं के मामले में संपूर्ण नहीं हो सकता इसलिए हमें अपनी आवश्यकता और बच्चों की जरूरतों के अनुरूप ही स्कूल का चयन करना चाहिए ।

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