indravati dam या जिसे खातीगुडा बांध के नाम से भी जाना जाता है का लाभ विशेष रूप से उड़ीसा राज्य को हुआ है, इस बाध के परिणाम स्वरूप न सिर्फ सिंचाई सुविधाओं का विस्तार हुआ है बल्कि जल विद्युत शक्ति के उत्पादन का भी लाभ उड़ीसा राज्य को प्राप्त हो रहा है।
उड़ीसा राज्य के लिए indravati dam सिर्फ इंद्रावती बांध न होकर एक परियोजना का रूप ले चुका है। इसके अंतर्गत इंद्रावती और उसकी सहायक नदियों जैसे तेलंगीरी और भस्केल आदि पर भी बांध का निर्माण किया गया है।
indravati dam इतिहास –:
आजादी से पूर्व इस परियोजना की परिकल्पना सबसे पहले स्वर्गीय पी के देव ने की थी। जब परियोजना को मूर्त रूप दिया गया तो उसमें भी इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया था।
परिकल्पना के बाद इसके निर्माण प्रारंभ होने में लंबा समय लग गया था।
विश्व बैंक की सहायता से वर्ष 1978 में इस बांध का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ और वर्ष 2001 में यह बाध पूरी तरह से निर्मित हो गया था।
indravati dam स्थिति /कहां स्थित है –:
यह बांध उड़ीसा राज्य के नोवरंगपुर जिले के खाती गुड़ा गांव के समीप स्थित है, इसलिए इसे खाती गुडा डैम के नाम से भी जाना जाता है।
यह स्थान छत्तीसगढ़ और उड़ीसा राज्य की सीमा पर स्थित है।
उड़ीसा राज्य के बड़े शहर भवानीपटना से यह बांध 90 किलोमीटर दूर स्थित है, वहीं यदि छत्तीसगढ़ से देखें तो यह छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर से 70 किलोमीटर दूर स्थित है।
indravati dam किस नदी पर स्थित है –:
यह डैम इंद्रावती नदी पर स्थित है। यह नदी उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के दक्षिण भाग में प्रवाहित होती है, इस नदी का उद्गम उड़ीसा राज्य के कालाहांडी जिले के धर्मजयगढ़ तहसील में स्थित मुंगेर की पहाड़ी से होता है।
यह नदी पश्चिम दिशा में प्रवाहित होते हुए छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग को बीच से बांटती हुई प्रवाहित होती है, फिर दक्षिण दिशा में मुड़कर छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के मध्य सीमा का निर्माण भी करती है, और छत्तीसगढ़
के भोपालपटनम के समीप गोदावरी नदी में मिल जाती है। छत्तीसगढ़ में इस नदी की लंबाई 264 किलोमीटर है, वहीं यदि इस नदी की संपूर्ण लंबाई देखें तो वह 438 किलोमीटर है।
इंद्रावती बांध का विस्तार –:
इस बांध को एक बड़े बांध की श्रेणी में रखा जा सकता है, जिसकी ऊंचाई 45 मीटर अर्थात 148 फीट और लंबाई 339 मीटर अर्थात 1768 फीट है। इस प्रकार ऊंचाई और लंबाई में यह एक बड़े बांध की श्रेणी में आता है।
इस बांध का कुल जल ग्रहण क्षेत्र 2630 वर्ग किलोमीटर है और 91 टीएमसी पानी का भंडारण इस बांध से होता है।
जल विद्युत शक्ति –:
इस बाध पर जल विद्युत उत्पादन भी किया जाता है, कुल चार जलविद्युत यूनिट स्थित है, प्रत्येक यूनिट की कुल क्षमता 150 मेगावाट है।
इस प्रकार इस बांध की कुल जल विद्युत उत्पादन क्षमता 600 मेगावाट है।(150 x 4)।
जल विद्युत यूनिट की स्थापना फूजी इलेक्ट्रिक कंपनी जापान की सहायता से किया गया है, और यह जल विद्युत संयंत्र बड़े संयंत्रों में से एक है।
बांध के लाभ –:
इस बाध से सिंचाई सुविधा हो अथवा जल विद्युत उत्पादन सभी का लाभ उड़ीसा राज्य को ही प्राप्त होता है। इस प्रकार इस बांध से उड़ीसा राज्य को निम्नलिखित प्रमुख लाभ प्राप्त हो रहे हैं।
i) उड़ीसा राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में एक बड़े भूभाग में सिंचाई की सुविधाओं का विस्तार इस बांध के परिणाम स्वरूप हुआ है।
ii) जल विद्युत उत्पादन से उड़ीसा राज्य के उद्योगों और घरेलू उपयोग के लिए बड़ी मात्रा में जल विद्युत का लाभ इस बांध से प्राप्त हो रहा है।
iii) क्षेत्र में बरसात के मौसम में होने वाली बाढ़ की समस्या समाप्त हो गई है।
iv) इस बाध से उड़ीसा राज्य के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के साधनों का विकास हुआ है।
पहुंच मार्ग –:
इंद्रावती बांध के आसपास का एरिया प्राकृतिक रूप से दर्शनीय है। बांध का निर्माण पहाड़ और जंगलों से घिरे हुए क्षेत्र में हुआ है।
क्षेत्र में पर्यटन बहुत ज्यादा विकसित तो नहीं है फिर भी अक्टूबर से अप्रैल के मध्य इस स्थान पर जाया जा सकता है, और कुछ संख्या में उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के पर्यटक यहां पहुंचते हैं।
यहां विजिट करने के लिए सड़क, रेल और वायु मार्ग उपलब्ध है।
सड़क मार्ग
सड़क मार्ग से इस स्थान पर उड़ीसा हो या फिर छत्तीसगढ़ की ओर से आसानी से पहुंचा जा सकता है। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर से यह स्थान 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।
जगदलपुर से नोवरंगपुर होते हुए इस स्थान पर आया जा सकता है। उड़ीसा की ओर से आने पर भवानी पटनम से यहां सड़क मार्ग द्वारा 90 किलोमीटर की दूरी तय करके पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग –:
रेल मार्ग द्वारा इस बांध तक सीधे नहीं पहुंचा जा सकता है फिर भी विशाखापट्टनम से रेल मार्ग द्वारा जगदलपुर पहुंचने के बाद सड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है।
वायु मार्ग –:
सबसे करीब हवाई अड्डा बस्तर संभाग का मुख्यालय जगदलपुर में स्थित है, जहां रायपुर और हैदराबाद से सीधे हवाई मार्ग से पहुंचा जा सकता है। फिर जगदलपुर से सड़क मार्ग उपलब्ध है।
बांध को लेकर विवाद –:
इस बांध को छत्तीसगढ़ के बस्तर का शोक कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि, जहां इस बांध से सिंचाई सुविधाओं का लाभ हो या जलविद्युत, बस्तर के हिस्से में कुछ भी नहीं आता और तो इस बांध के निर्माण से बस्तर की जीवनदायिनी नदी इंद्रावती का अस्तित्व अब खतरे में है।
इस बांध के कारण गर्मियों में इंद्रावती नदी में पानी लगभग सूख जाता है वही बरसात में इस बांध से पानी छोड़ने के कारण छत्तीसगढ़ के इस भाग में भयंकर बाढ़ आती है जिसका सामना क्षेत्र प्रतिवर्ष कर रहा है।
इंद्रावती और महानदी के जल बंटवारे को लेकर उड़ीसा और छत्तीसगढ़ राज्य के मध्य विवाद बढ़ता ही जा रहा है।
उड़ीसा से निकलने वाली इंद्रावती हो या छत्तीसगढ़ से निकलने वाली महानदी इन पर बांध निर्माण का लाभ उड़ीसा को ही प्राप्त हो रहा है।
अब तो उड़ीसा में इंद्रावती की सहायक नदियों जैसे तिलंगिरी और भस्केल पर भी बांध का निर्माण करके इंद्रावती नदी का प्रवाह और कम कर दिया है।
इन नदियों पर जल बंटवारे को लेकर हो रहे विवाद के भविष्य में और बढ़ने की संभावना है।