महाजनपद।16 महाजनपदों का परिचय।

क्या हैं 16 महाजनपद :–

महाजनपद राजनीतिक रूप से एक क्षेत्र विशेष में स्थापित शक्तियां थी, जिसमें स्वतंत्र राज्यों की संख्या 16 थी।

महाजनपदों का क्षेत्र निश्चित नहीं था, कुछ क्षेत्रफल में एक बड़े भूभाग में फैले थे जैसे मगध और कुछ छोटे भूभाग में स्थित थे जैसे वज्जी।

जनपद शब्द का व्यापक प्रभाव आज भी उत्तर प्रदेश बिहार के उन क्षेत्रों में देखा जा सकता है जहां आज भी जिलों को जनपद शब्द से संबोधित किया जाता है।

16 महाजनपदों का परिचय :–

छठी शताब्दी ईसा पूर्व उत्तर भारत में 16 बड़े राज्यों का क्षेत्र अस्तित्व में था जिसे 16 महाजनपदों के नाम से जाना जाता है इन सभी महाजनपदों का उल्लेख अंगुत्तर निकाय नामक बौद्ध ग्रंथ में मिलता है ।

इसके अतिरिक्त भगवती सूत्र नामक जैन ग्रंथ में भी इन 16 महाजनपदों की सूची मिलती है, किंतु उसमे दिए गए नाम कुछ भिन्न प्रकार के हैं ।

16 महाजनपद समस्त उत्तर भारत के क्षेत्र में फैले हुए थे इनमें बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पाकिस्तान के वर्तमान क्षेत्र आते हैं।

महाजनपद दो प्रकार की व्यवस्था में पाए जाते थे। पहला राजतंत्रात्मक राज्य और दूसरा गणतंत्रात्मक राज अंग, मगध, काशी, कौशल, चेदि, वत्स, कुरु, पांचाल, मत्स्य, शूरसेन, अस्मत, अवंती, गांधार, तथा कंबोज राजतंत्रात्मक राज्य थे जबकि वज्जि और मल गणतंत्रात्मक राज्य थे ।

ऐसे राज्य शासन राजा द्वारा ना होकर गण या संघ द्वारा संचालित होता था, आधुनिक काल में गणतंत्र प्रजातंत्र का समानार्थी है किंतु प्राचीन काल में गणतंत्र को आधुनिक अर्थों में कुलीन तंत्र या निरंकुश तंत्र कह सकते हैं,

क्योंकि इसमें शासन की शक्ति संपूर्ण जनता के हाथों में ना होकर किसी कुल विशेष के प्रमुख व्यक्तियों के पास होती है ।

अर्थव्यवस्था :–

महाजनपद काल में लोगों के आय का प्रमुख साधन कृषि और पशुपालन था, कुछ लोग सैनिक संगठन में भी कार्य करते थे राज्य की आय का प्रमुख साधन कृषि पर लगने वाला लगान अथवा कर था जो कुल उपज का एक चौथाई या उससे अधिक भी होता था।

सामाजिक व्यवस्था :–

समाज वर्णों में बटा हुआ था लेकिन किसी भी प्रकार की छुआछूत की जानकारी तत्कालीन ऐतिहासिक स्रोतों से नहीं मिलती है, समाज में ब्राह्मणों की स्थिति सर्वोच्च थी। मूर्ति कारों शिल्पकारों का समाज में सम्मान था।

सैनिक शक्ति :–

सभी जनपदों के पास सैनिक शक्ति विद्यमान थी किसी राज्य के पास बड़ी तो किसी के पास छोटी सेना थी राज्य विस्तार के लिए यह राज्य आपस में संघर्ष करते रहते थे इन सभी जनपदों में सबसे बड़ी और शक्तिशाली सेना मगध राज्य की थी।

बौद्ध साहित्य में उल्लिखित 16 महाजनपदों में मगध व कौशल और अवंती सबसे अधिक शक्तिशाली थे

महाजनपदों के नाम उनकी राजधानी और आधुनिक क्षेत्र जहां यह स्थिति थे, का विवरण निम्न प्रकार है

महाजनपद
राजधानी
              क्षेत्र ( आधुनिक स्थान)

1

मगध गिरिब्रज / राजगृह पटना गया ( बिहार)
2 कौशल श्रावस्ती

फैजाबाद   (उत्तर प्रदेश)

3

अवन्ति उज्जैन /महिष्मति मालवा  ( मध्य प्रदेश )
4 अंग चंपा

भागलपुर मुंगेर  (बिहार)

5

काशी वाराणसी वाराणसी एवं उसके निकटवर्ती क्षेत्र (उत्तर प्रदेश)
6 वज्जि वैशाली

मुजफ्फरपुर और दरभंगा के आसपास का क्षेत्र

7

मल्ल कुशावती / कुशीनारा देवरिया एवं गोरखपुर क्षेत्र (उत्तर प्रदेश)
8 चेदि शक्तिमती

बुंदेलखंड (उत्तर प्रदेश)

9

वत्स कौशांबी प्रयागराज के आसपास का क्षेत्र  (उत्तर प्रदेश)
10 कुरु इंद्रप्रस्थ

वर्तमान दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्र

11

पांचाल अहिच्छत्र /कामपील्य बरेली बदायूं और फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)
12 मत्स्य विराटनगर

जयपुर शहर के समीपवर्ती क्षेत्र (राजस्थान)

13

शूरसेन मथुरा मथुरा (उत्तर प्रदेश)
14 अश्मक पोतन

गोदावरी नदी के क्षेत्र में स्थित

15

गांधार तक्षशिला रावलपिंडी और पेशावर (पाकिस्तान)
16 कम्बोज हाटक

राजौरी एवं हजारा के क्षेत्र  (उत्तर प्रदेश)

इस 16 महाजनपदों का परिचय निम्न प्रकार है ।

1) मगध :–

बिहार राज्य के आधुनिक पटना शहर और उसके आसपास के क्षेत्र मगध राज्य के अंतर्गत आते थे संभवत 16 महाजनपदों में सर्वाधिक शक्तिशाली मगध राज्य ही था। मगध राज्य के सर्वाधिक शक्तिशाली राजाओं में बिंबिसार अजातशत्रु शिशुनाग आदि प्रमुख थे।

मगध राज्य की प्रारंभिक राजधानी गिरी ब्रिज थी इसके बाद राजा उदायिन ने नई राजधानी पाटलिपुत्र को बनाया था।

2) कोशल :–

उत्तर प्रदेश की वर्तमान फैजाबाद जिले में यह महाजनपद स्थित था उत्तर में नेपाल दक्षिण में सई नदी और पश्चिम में पांचवाल एवं पूर्व में गंडक नदी तक यह महाजनपद फैला हुआ था, इसकी राजधानी श्रावस्ती थी

बुद्ध के समय यह महाजनपद दो भागों में विभाजित हो गया था, उत्तरी भाग की राजधानी साकेत और दक्षिणी भाग की राजधानी श्रावस्ती थी, बुद्ध के समय में प्रसिद्ध हुए 6 नगरों में कौशल भी एक् था।

कौशल को सरयू नदी दो भागों में बांटती थी उत्तर कौशल और दक्षिण कौशल उत्तर कौशल की प्रारंभिक राजधानी श्रावस्ती और बाद में अयोध्या या साकेत में स्थापित की गई दक्षिण कौशल की राजधानी कुशावती थी।

कौशल को भी मगध साम्राज्यवाद का शिकार बनना पड़ा था अजातशत्रु ने अपने पराक्रम से कौशल को भी मगध में मिला लिया इसी राज्य के अंतर्गत साथियो का गणतंत्र भी था ।

3) अवन्ति :–

वर्तमान मालवा का क्षेत्र ही प्राचीन अवंती महाजनपद का क्षेत्र विस्तार था यह महाजनपद दो भागों में बटा हुआ था उत्तरी अवंति और दक्षिणी अवंती उत्तरी अवंति की राजधानी उज्जैन एवं दक्षिणी अवंति की राजधानी

महिष्मति थी, बौद्ध धर्म से प्रभावित इस महाजनपद को शिशुनाग ने मगध राज्य में मिला लिया था।

4) अंग :–

उत्तरी बिहार का आधुनिक भागलपुर तथा मुंगेर जिला इसके अंतर्गत आते थे, इसकी राजधानी चंपा थी चंपा का प्राचीन नाम मालिनी था, इसकी गणना बुद्ध कालीन 6 बड़े नगरों में की जाती थी।

यहां का शासक ब्रह्मदत्त तथा कालांतर में बिंदुसार ने अंग को जीतकर मगध साम्राज्य का अंग बना लिया था, अजातशत्रु वहां पर बिंदुसार के प्रतिनिधि के रूप में शासन करता था ऐसा बौद्ध ग्रंथों से ज्ञात होता है।

5) काशी :–

नाम से ही स्पष्ट है कि आधुनिक बनारस या वाराणसी एवं उसके निकटवर्ती क्षेत्रों को काशी महाजनपद कहा गया है वरुणा एवं असी नदियों के मध्य स्थित था।

वाराणसी इस महाजनपद की राजधानी थी बनारस का नामकरण वहां के राजा वानर के नाम पर हुआ है, खुदाई उसे पता चला है कि वहां पर सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व से ही जनजीवन स्थापित हो चुका था छठी शताब्दी ईसा पूर्व में वाराणसी मिट्टी के दीवारों से घिरी हुई एक नगरी थी

संप्रभुता के लिए इस राज्य का कौशल के राज्य के साथ बराबर संघर्ष होता रहता था, अंत तक इसे मगध साम्राज्य का शिकार बनना पड़ा अजातशत्रु के शासनकाल में इसे मगध में मिला दिया गया था।

6) वज्जी :–

मगध से जुड़ा हुआ राज्य वज्जि था। वज्जि महाजनपद 8 कुल्ल का एक संघ था इसके अंतर्गत विदेह लिच्छवि कार्तिक एवं वज्जि प्रमुख थे, वज्जि संघ की राजधानी विदेह और मिथिला थी लिक्षवीयों की राजधानी वैशाली थी जो अपने समय का एक महत्वपूर्ण नगर था गौतम बुद्ध ने अपने जीवन का एक लंबा समय वैशाली में ही बिताया था यहां की प्रसिद्ध नर्तकी आम्रपाली को उन्होंने बौद्ध धर्म में दीक्षित किया था।

कालांतर में आपसी वैमनस्य के कारण लिछियों की एकता एवं शक्ति नष्ट हो गई। अजातशत्रु ने वैशाली पर अधिकार कर इसे मगध साम्राज्य का भाग बना लिया।

7) मल्ल :–

उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिले देवरिया एवं गोरखपुर क्षेत्र में स्थित मल्ल क्षेत्र दो भागों में बटा हुआ था, जिसमें से एक की राजधानी कुशावती अथवा कुशीनारा एवं दूसरे की राजधानी पावा थी कुशीनारा में महात्मा बुद्ध का महापरिनिर्वाण एवं पावा में महावीर को निर्वाण प्राप्त हुआ।

मल्ल की वीरता की प्रशंसा साहित्यिक ग्रंथों में की गई है, आपसी संघर्षों से मल्लो की स्थिति कमजोर हो गई थी, इसका लाभ उठाकर मगध राज्य ने इसे अपने साम्राज्य में मिला दिया था।

8) चेदि :–

वर्तमान बुंदेलखंड का पूर्वी भाग एवं उसके निकटवर्ती भाग प्राचीन चेदि महाजनपद के अंतर्गत आते थे, शक्तिमती चेदि महाजनपद की राजधानी थी।

महाभारत काल यहां का शासक शिशुपाल था चेतीय जातक मैं यहां के एक राजा का नाम उपचार मिलता है, कलिंग (उड़ीसा) के चेदि भी संभवत इन्हीं चेदियों से संबंधित थे।

9) वत्स :–

यमुना नदी के किनारे वत्स महाजनपद वर्तमान प्रयागराज एवं कौशांबी जिले के अंतर्गत आता था, इसकी राजधानी कौशांबी थी, यहां प्रसिद्ध शासक उदयन भास के स्वप्र्रवासवदत्तम का नायक था।

कथा सरित सागर के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है कि, उदयन पांडव परिवार से संबंधित था, बाढ़ के कारण जब कुरुओ की राजधानी हस्तिनापुर नष्ट हो गई तब नीचछु नामक राजा ने कौशांबी में राजधानी स्थापित की।

कौशांबी से श्रेष्ठी घोषित द्वारा निर्मित बिहार तथा उदयन के राज्य प्रसाद के अवशेष पुरातत्व विभाग को प्राप्त हुए हैं।

10) कुरु :–

वर्तमान दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्र ही प्राचीन कुरु प्रदेश के अंतर्गत आते थे, कुरु महाजनपद की राजधानी इंद्रप्रस्थ थी जिसका उल्लेख महाभारत में भी मिलता है, बुद्ध के समय यहां का राजा कोरव्य था पहले यहां राजतंत्र का बाद में गणतंत्र की स्थापना हो गई।

11) पांचाल :–

वर्तमान के रूहेलखंड के बरेली, बदायूं और फर्रुखाबाद जिले को मिलाकर ही प्राचीन पांचाल महाजनपद का निर्माण होता था, गंगा नदी इस महाजनपद को दो भागों में बांटती है, उत्तरी पांचाल और दक्षिणी पांचाल उत्तरी

पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र एवं दक्षिणी पांचाल की राजधानी कामपील्य थी, काव्य कुंज का प्रसिद्ध नगर इसी राज्य में स्थित था द्रोपदी इसी राज्य की राजकुमारी थी।

12) मत्स्य :–

वर्तमान में राजस्थान के जयपुर शहर के समीपवर्ती क्षेत्र मत्स्य महाजनपद के अंतर्गत आते थे, इस महाजनपद की राजधानी विराटनगर थी, जिसकी स्थापना राजा विराट ने की थी, अन्य महाजनपदों की तरह ही यह मत्स्य जनपद भी बाद में मगध साम्राज्य का अंग बन गया।

13) शुरसेन :–

आधुनिक मथुरा क्षेत्र में प्राचीन शूरसेन महाजनपद स्थित था, इसकी राजधानी मथुरा थी बुद्ध के समय में यहां का राजा अवंती पुत्र था जो बुद्ध के उपदेशों से प्रभावित होकर बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था।

14) अश्मक :–

प्राचीन अश्मक गोदावरी नदी के दक्षिणी तट पर स्थित था इसकी राजधानी पोतन या पोटली थी बुद्ध के काल में अवंती राज्य में अश्मक को जीतकर अपने राज्य में मिला लिया था।

15) गांधार :–

यह क्षेत्र वर्तमान में पाकिस्तान के रावलपिंडी और पेशावर में स्थित था पाणिनि के अनुसार इस का प्राचीन नाम गांधारी था इसकी राजधानी तक्षशिला थी, यहां के शासक पुष्कर सरिता था। इसके अलावा महाभारत में

उल्लेखित कोरवों की माता गांधारी इसी राज्य से थी।

16) कम्बोज :–

आधुनिक समय के राजौरी एवं हजारा के क्षेत्र में ही प्राचीन कम्बोज महाजनपद का क्षेत्र था इसकी राजधानी हाटक की कौटिल्य ने कम्बोज राज्य को वार्ताशस्त्रोपजीवी कहा है,कम्बोज राज श्रेष्ठ घोड़ों के लिए प्रसिद्ध था।

साहित्य स्रोतों में यहां के दो प्रमुख राजाओं चंद्रवर्मन और सुदक्षिण का उल्लेख मिलता है, प्रारंभ में यहां राजतंत्र था बाद में गणतंत्र स्थापित हो गया।

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