इस लेख में :-polavaram project की क्षमताpolavaram project की स्थिति/ कहाँ स्थित हैपोलवरम बांध का विस्तार और लंबाईजल विद्युत शक्तिpolavaram project के लाभpolavaram project किस नदी पर हैपहुंच मार्गpolavaram project पर विवाद |
polavaram project का इतिहास आजादी से पूर्व का है जब गोदावरी नदी के जल संसाधनों का दोहन करने के लिए 1941 मद्रास प्रेसीडेंसी के मुख्य इंजीनियर् दीवान बहादुर वेंकट कृष्ण अय्यर के नेतृत्व में परियोजना का पहला सर्वेक्षण किया गया।
सर्वेक्षण के अनुसार बांध के निर्माण के पश्चात 350000 एकड़ भूमि पर सिंचाई सुविधाएं और 40 मेगा वाट के जल विद्युत का उत्पादन की योजन थी | रिपोर्ट वर्ष 1947 में आई और इस योजना कुल लागत 130 करोड रुपए अनुमानित की गई।
भारत में बहुत सारी नदी घाटी बांध परियोजना में लेट लतीफी और विवाद कोई असाधारण घटना नहीं है, लेकिन पोलावरम बांध में लेट लतीफी और विवाद तो जैसे खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है |
पोलावरम बांध वर्षों से सुर्खियों में बना हुआ है, और चर्चा में बने रहने का कारण इस बांध के निर्माण की चुनौतियां और लाभ नहीं है बांध के चर्चा में बने रहने का मुख्य कारण इसको लेकर हो रहे विवाद है। निर्माण को लेकर हो रहे विवाद के अतिरिक्त 2019 में यह बांध उस समय सुर्खियों में आया जब 24 घंटे में बाध निर्माण के लिए 32100 घन मीटर कांक्रीट डालकर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया।
पोलावरम बहुउद्देशीय परियोजना में नदी जोड़ो योजना के अंतर्गत गोदावरी और कृष्णा नदियों को नहरो के माध्यम से जोड़ने की योजना है।
polavaram project की क्षमता :-
अपने निर्माण के चरणों को पूरा करने के बाद इस बाध की कुल जलधारण क्षमता 50 लाख क्यूसेक होगी,और संपूर्ण जल ग्रहण क्ष्रेत्र 306000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ होगा जो आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा का क्षेत्र होगा।
polavaram project की स्थिति/ कहाँ स्थित है
पोलावरम बांध छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सीमा पर स्थित है | आंध्र प्रदेश के जिला एलुरु और ईस्ट गोदावरी में इस बांध का निर्माण किया जा रहा है, छत्तीसगढ़ के सुदूर दक्षिण छोर पर बसे कोंटा तहसील से इस बाध की दूरी लगभग 150 किलोमीटर है, यह स्थान आंध्र प्रदेश छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की सीमा पर स्थित है।
पोलवरम बांध का विस्तार और लंबाई :-
बांध की औसत ऊंचाई 45 मीटर होगी और लंबाई लगभग 2160 मीटर होगी | बाध पर जल निकासी के लिए कुल 48 गेट लगाए जाएंगे इस बाध से आंध्र प्रदेश के 2.91 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की जाएगी।
जल विद्युत शक्ति :-
पोलावरम बांध पर निर्मित जल विधुत ग्रह से 970 मेगावाट बिजली का उत्पादन संभव होगा, उड़ीसा छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश के मध्य विवाद का प्रमुख कारण है, क्योंकि जल विद्युत शक्ति का पूरा उपयोग आंध्र प्रदेश द्वारा किया जाएगा और इसमें अन्य किसी राज्य को हिस्सा नहीं दिया जाएगा।
polavaram project के लाभ :-
इस परियोजना के प्रमुख लाभ सिंचाई सुविधाओं की प्राप्ति और जल विद्युत उत्पादन है परियोजना के प्रमुख लाभ निम्न है
गोदावरी नदी के विशाल जल राशि का उपयोग जो कि व्यर्थ समुद्र में समा जाता है
आंध्र प्रदेश के ईस्ट और वेस्ट गोदावरी, कृष्णा और विशाखापट्टनम जिले में सिंचाई सुविधाओं में व्यापक उन्नति होगी
जल विद्युत शक्ति से आन्ध्र प्रदेश के उद्योगों को बहुत लाभ प्राप्त होने की संभावना है
polavaram project किस नदी पर है :-
पोलावरम बांध का निर्माण गोदावरी नदी पर किया जा रहा है यह नदी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी है |
गोदावरी नदी का उद्गम 1067 मीटर की ऊंचाई पर पश्चिमी घाट में स्थित महाराष्ट्र के नाशिक जिले में त्रिम्बकेश्वर के पास से होता है |
यह नदी दक्षिण पूर्व दिशा में बहते हुए 1465 कीलोमिटर की दूरी तय करती है और आंध्र प्रदेश के समुद्री तट से बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है |
पहुंच मार्ग :-
आंध्र प्रदेश के तटीय हिस्से में स्थित बांध तक पहुंचने के लिए सड़क रेल और वायु मार्ग उपलब्ध है | वैसे यह डैम निर्माणाधीन होने के कारण पर्यटन सुविधाओं का विकास अभी तक नहीं हुआ है |
सड़क मार्ग
यह बांध निर्माण स्थल विशाखापट्टनम हैदराबाद द्वारा राजमुंद्री से जुड़ा हुआ है राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 9 और हैदराबाद की ओर से राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 5 द्वारा विशाखापट्टनम से राजमुंदरी तक जाया जा सकता है |
रेल मार्ग
सड़क मार्ग की ही तरह रेल मार्ग से भी राजमुंदरी हैदराबाद और विशाखापट्टनम से जुड़ा हुआ है | विशाखापट्टनम से हैदराबाद जाने वाली बहुत सी ट्रेन राजमेहन्द्री शहर से होकर ही जाती है, और राजमुंद्री से इस बांध की दूरी मात्र 25 किलोमीटर है |
हवाई मार्ग
बांध निर्माण स्थल से सर्वाधिक नजदीकी हवाई अड्डा राजमुंद्री का ही है जहां से अंतर्देशीय उड़ानों की सुविधा उपलब्ध है |
polavaram project पर विवाद :-
बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं में विवाद आम है परंतु पोलावरम परियोजना में तो विवाद जैसे थमने का नाम ही नहीं ले रहा है |
प्रमुख विवाद छत्तीसगढ़, उड़ीसा और आंध्रप्रदेश राज्यों के मध्य है |
इन राज्यों के मध्य विवाद का प्रमुख कारण बांध से मिलने वाले लाभ के बंटवारे का है |
छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के बड़े भूभाग डूबान क्षेत्र में आ रहे हैं, इसलिए इन राज्यों द्वारा बांध की ऊंचाई कम करने की मांग लगातार की जा रही है और मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है |
यहां बड़ा सवाल यह भी है कि छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की सीमा से 100 किलोमीटर से भी अधिक दूरी पर पूरी तरह से आंध्र प्रदेश में निर्मित बांध पर इन दो राज्यों की आपत्ति क्यों और कैसे है |
तो छत्तीसगढ़ और उड़ीसा राज्य की आपत्ति की पृष्ठभूमि में एक नदी है, जिसका नाम “सबरी” है जो छत्तीसगढ़ के दक्षिणी हिस्से में छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के मध्य सीमा बनाती है, आंध्र प्रदेश में जिस स्थान पर यह
नदी गोदावरी से मिलती है, उससे कुछ दूरी पर ही पोलावरम बांध का निर्माण किया जा रहा है |
बांध निर्माण के बाद शबरी नदी का बैक वाटर उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के एक बड़े भूभाग को डुबो देगा |
छत्तीसगढ़ और उड़ीसा का यह भाग जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है, और कृषि का विकास ना के बराबर है, इसलिए सिंचाई की सुविधाओं का विशेष लाभ इन दोनों राज्यों को नहीं प्राप्त होने वाला है |
जल विद्युत के संपूर्ण उत्पादन पर आंध्र प्रदेश में अपना दावा प्रस्तुत किया है |
छत्तीसगढ़ के कोंटा तहसील के 2475 हेक्टेयर का भूभाग क्षेत्र इस बांध के डूबान क्षेत्र में आ जाएगा और इससे 9 गांव और दोरला जनजाति प्रभावित होंगे |
उड़ीसा राज्य में इस बांध के निर्माण के औचित्य पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं, और उनका कहना है कि उड़ीसा राज्य को जब इस बांध से कोई लाभ ही नहीं है तो इसका निर्माण ही नहीं होना चाहिए |
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