उदयपुर राजस्थान | उदयपुर का मौसम, कृषि, वनस्पति, पर्यटक स्थल और जिले के बारे में |

आज के इस लेख में हम जानने का प्रयास करेंगे कि उदयपुर राजस्थान का इतिहास क्या है जलवायु कैसी है अर्थव्यवस्था यातायात कृषि आदि के बारे में उदयपुर की क्या विशेषताएं हैं ।

उदयपुर एक परिचय

उदयपुर राजस्थान का दक्षिणीतम जिला है, साथ ही यह एक नगर भी है, इसे झीलों की नगरी, पूर्व का वेनिस, राजस्थान का कश्मीर, लेक सिटी ऑफ इंडिया, जिंक नगरी आदि नाम से भी पुकारा जाता है । उदयपुर के

पश्चिमी भाग में अरावली की पहाड़ियां है | वनों से आच्छादित उदयपुर जिला  प्राकृतिक परिदृश्य में खूबसूरती को समेट हुए हैं | शायद इसीलिए यह जगह राजस्थान में ही नहीं भारत के कुछ प्रमुख पर्यटक स्थल में से एक है

|उदयपुर को झीलों का शहर कहते हैं जिसका कारण सात प्रमुख झील है, जो इस प्रकार है पिछोला झील, दूध थाली, गोवर्धन सागर, कुमारी तालाब, रंग सागर झील ,स्वरूप सागर, फतेहसागर झील यहां की प्रमुख सात् झीले हैं |

भारत के पूर्व में स्थित 7 राज्यों की तर्ज पर इन्हें भी सात बहने कहा जाता है जो एक दूसरे से जुड़ी हुई है |

यह झील की उदयपुर के पर्यटन का प्रमुख आकर्षण का केंद्र है |

उदयपुर के उत्तर पश्चिम दिशा में अरावली पर्वतमाला स्थित है जो विश्व की प्राचीनतम पर्वत श्रेणी मानी जाती है |

उदयपुर का इतिहास

उदयपुर में सिंधु घाटी काली सभ्यता के अवशेष साइड नदी के किनारे मिले हैं। खुदाई में सभ्यताओं के बसने और उजड़ ने के प्रमाण भी यहां पाए गए हैं, यहां खुदाई से तांबे के औज़ार और उपकरण प्राप्त हुए हैं जिससे

ऐसा अनुमान है कि यह ताम्र कालीन सभ्यता थी ।

रेखांकित इतिहास आठवीं सताब्दी के बाद का है, जब बप्पा रावल और उन के वंशज ने 15-16 वी शताब्दी तक यहां शासन किया।

अलाउद्दीन खिलजी ने 1303 में गहलोत वंश के राजा रतन सिंह को पराजित करके मेवाड़ (उदयपुर) पर कब्जा जमा लिया था।

सिसोदिया वंश के राजा हमीर देव ने मोहम्मद बिन तुगलक को हराकर पूरे मेवाड़ पर अपना स्वतंत्रा राज्य स्थापित कर लिया था।

इसी वंश के राणा कुंभा ने 1431 में मेवाड़ पर शासन किया था।

इसके बाद राणा सांगा ने (1509-26 )मेवाड़ पर अपना शासन स्थापित किया था।

शुरूआत से ही उदयपुर मेवाड राज्य का हिस्सा रहा था। ऐसा माना जाता है कि, महाराणा प्रताप के पिता महाराणा उदय सिंह ने शहर को बसाया था और उन्हीं के नाम से यह शहर है।

हल्दीघाटी की लड़ाई के बाद महाराणा प्रताप ने चित्तौड़गढ़ को छोड़कर अपनी नई राजधानी चावड़ को बनाया था जो उदयपुर जिले में ही स्थित है।

इस प्रकार उदयपुर का इतिहास समृद्धशाली है उदयपुर महान शासकों के साम्राज्य का प्रत्यक्ष गवाह रहा है।

उदयपुर कहां है

उदयपुर राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित है।

यह जिला राजस्थान का सिमांत जिला है जो अपनी सीमा गुजरात के साथ साझा करता है।

इसके उत्तर में पाली राजसमंद और चित्तौड़गढ़ जिले स्थित है।

पूर्व में प्रतापगढ़ जिला स्थित है।

पश्चिम में सिरोही और दक्षिण में डूंगरपुर जिला स्थित है।

उदयपुर जिले के पश्चिम भाग से सेइ, वकल और साबरमती नदियां बहती है।

दक्षिणपूर्वी भाग में गोमती, सोम और जाखम नदियां बहती है।

जिले के उत्तर पश्चिम में अरावली रेंज स्थित है।

जिले के अपर तंत्र का सबसे बड़ा भाग माही नदी बेसिन का है।

उदयपुर का मौसम

हरे भरे वनों और वनस्पतियों से आच्छादित यह जिला सम मौसम वाला है गर्मियों और सर्दियों में यहां मौसम सम बना रहता है।

भौगोलिक आधार पर उदयपुर को उष्ण शुष्क जलवायु क्षेत्र अंतर्गत माना जाता है ।

गर्मियों के महीनों मार्च अप्रैल मई जून जुलाई में तापमान 35 से 40 डिग्री के मध्य होता है ।

आमतौर पर बरसात दक्षिण पश्चिम मानसून से जुलाई, अगस्त, सितंबर के महीनों में होती है औसत वार्षिक वर्षा 620 मिली मीटर के आसपास होती है।

ठंड़ीयों के महीने नवंबर दिसंबर और जनवरी है जब यूनतम तापमान 5 से 10 सेंटी ग्रेट तक हो जाता है।

राजस्थान के अन्य जिलों की अपेक्षा यहां का तापमान सम बना रहता है।

वन और वनस्पतियां

उदयपुर राजस्थान की सभी जिलों में सर्वाधिक वन क्षेत्रफल वाला जिला है।

सर्वाधिक सुरक्षित वन क्षेत्रफल उदयपुर जिले के ही अंतर्गत आते हैं ।

वनों में पाए जाने वाले प्रमुख वृक्ष है सिरस, बेल, जामुन, रोहिड़ा, चंदन, सागोन, महुआ, बरगद ,तेंदू और बांस ।

वन अनुसंधान फार्म बाकी (सिसरका) उदयपुर में ही स्थित है।

अर्थव्यवस्था

उदयपुर जिले की अर्थव्यवस्था मुख्य रुप से कृषि और पर्यटन पर निर्भर है, फिर भी उदयपुर अर्थव्यवस्था के मामले में पीछडे जिलों की श्रेणी में आता है इसका मुख्य कारण यहां पर उद्योग धंधों का अभाव है।

उदयपुर खनिज और गैर खनिज संसाधनों के स्रोतों से परिपूर्ण है। यहां मिलने वाले प्रमुख खनिज है तांबा, सीसा, जस्ता और चांदी जबकि गैर खनिज के मामले में रॉक फास्फेट संगमरमर चूना पत्थर मायका आदि प्रमुख है।

उदयपुर में रसायन एस्बेस्टस और चिकनी मिट्टी का उत्पादन होता है। साथ ही कपड़े की कसीदाकारी की हुई वस्तुएं हाथी दांत और लाख के हस्तशिल्प का भी निर्माण होता है ।

पिछले कुछ वर्षों से उदयपुर पर्यटन के मानचित्र पर तेजी से उभरा है, और देश के प्रमुख 10 पर्यटन स्थलो में से इसका नाम सम्मिलित होता है। स्थानीय लोगों की आय का एक प्रमुख साधन अब पर्यटन भी है।

यातायात के साधन

यातायात के पर्याप्त साधन उदयपुर पहुंचने के लिए उपलब्ध है।

हवाई मार्ग

उदयपुर में डबोक हवाई अड्डा शहर से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहां से देश की प्रमुख शहरों (जयपुर, दिल्ली,मुम्बई आगरा )के लिए हवाई यात्रा की सुविधा उपलब्ध है। इसे महाराणा प्रताप हवाई अड्डे के

नाम से भी जाना जाता है।

रेल मार्ग

उदयपुर रेल मार्ग द्वारा राज्य की राजधानी जयपुर और जोधपुर आदि से सीधे जुड़ा हुआ है। रेल द्वारा भी हजारों की संख्या में टूरिस्ट यहां पहुंचते हैं, पश्चिमी रेलवे क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र 9 अक्टूबर 1965 को स्थापित हुआ था

जो उदयपुर में है और यह भारत का सबसे बड़ा रेल मॉडल कक्ष यहां स्थित है।

सड़क मार्ग

राष्ट्रीय राजमार्ग की सर्वाधिक लंबाई उदयपुर में है 48, 58(8) दिल्ली मुम्बई एक्सप्रेस वे ।

इस प्रकार देश के किसी भी हिस्से से उदयपुर पहुंचना बहुत ही आसान है चाहे वह हवाई मार्ग हो रेल मार्ग हो या सड़क मार्ग हो।

उदयपुर में कृषि

कृषि के मामले में उदयपुर जिला पिछड़ा हुआ माना जाता है, ज्यादातर कृषि मानसून बारिश पर ही निर्भर होती है।

प्रमुख फसलें निम्न है।

खरीफ– मक्का, दलहन, ज्वार

रवि– गेंहू, चना, जौ

जायद– पोस्ता, सफेद मूसली, गन्ना

नारायण सेवा संस्थान उदयपुर

यह संस्थान पोलियो रोगियों के सेवार्थ कार्य करता है,

देश के सबसे बड़े गैर लाभिक (non-profit)संगठनों में इसकी गिनती की जाती है।

नारायण सेवा संस्था उदयपुर द्वारा पोलियो रोगियों और दिव्यांगों के लिए सर्जरी वैशाखी आदि की व्यवस्था की जाती है । ताकि वे अपने दैनिक जीवन में सामान्य जीवन जी सकें और गतिविधियां कर सकें।

नारायण सेवा संस्थान की स्थापना 1985 में पद्मश्री कैलाश चंद्र अग्रवाल द्वारा की गई थी

नारायण सेवा संस्थान उदयपुर के सेक्टर 5 पूजा नगर हिरण मगरी में स्थित है।

सिटी पैलेस उदयपुर/ उदयपुर का किला

यह किला राजस्थान का सबसे बड़ा महल है।

इस महल का निर्माण महाराणा उदय सिंह द्वारा कराया गया था।

महाराणा उदय सिंह के बाद कुल 22 राजाओं ने इस महल के निर्माण में अपना योगदान दिया था।

इस् महल में हुआ नवनिर्माण महल की वास्तुकला के साथ ऐसा घुलमिल गया है कि ,नए निर्माण को पहचान पाना आसान नहीं है।

इस महल का मुख्य प्रवेश द्वार त्रिपोलिया गेट भव्य और विशाल है जिसमें 7 आर्क बने हुए हैं।

इस महल में एक संग्रहालय भी स्थित है।

यह पैलेस पिछोला झील के पूर्व में एक चोटी पर बनाया गया है।

यह पैलेस अत्यंत भव्य और विशाल है जहां घूमने और देखने के लिए अनेक स्थान है।

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उदयपुर के टूरिस्ट प्लेस

उदयपुर में टूरिस्ट स्थानों की भरमार है जहां साल के किसी भी महीने में घूमने जाया जा सकता है।

पिछोला झील

मानव निर्मित कृत्रिम झील है।

झील उदयपुर की सबसे पुरानी बड़ी और मीठे पानी की झील है।

पिछोला झील में नौका बिहार की पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध है।

झील में 2 द्वीप बनाए गए हैं। 1) जग निवास जो अब लेक पैलेस होटल बन चुका है और 2) जगमंदिर महल

जगदीश मंदिर

भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर है।

उदयपुर शहर के मध्य में स्थित होने के कारण यह प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।

मंदिर मारु गुजरात स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।

मंदिर में पत्थरों पर बारीक शानदार नक्काशी की गई है जो मंदिर की भव्यता को और बढ़ाते हैं।

सज्जनगढ़ पैलेस

उदयपुर शहर के बाहरी छोर पर यह विशाल महल स्थित है।

इस महल की स्थापना इसके नाम से ही स्पष्ट होती है जो कि महाराणा सज्जन सिंह ने की थी।

यह महल अरावली की पहाड़ियों पर ऊंचाई पर बनाया गया है।

इस महल के ऊपर से उदयपुर शहर का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है।

इस महल को मानसून महल के नाम से भी जाना जाता है।

फतेहसागर झील

झीलों के शहर उदयपुर की यह दूसरी सबसे बड़ी झील है।

पहाड़ियों के तल पर स्थित यह झील प्राकृतिक दृश्यों की मनमोहक छटा से परिपूर्ण है।

झील में वोटिंग करने की सुविधाएं उपलब्ध है जो प्रमुख पर्यटक आकर्षण भी है।

उपर्युक्त पर्यटक स्थलों के अतिरिक्त अन्य भी कई स्थान उदयपुर में घूमने और देखने योग्य हैं जिनमें से प्रमुख निम्न है विंटेज कार म्यूजियम, दूध तलाई ,म्यूजिकल गार्डन, जयसमंद झील, गुलाब बाग व जू, सहेलियों की बाड़ी, एकलिंग जी मंदिर, नाथद्वारा मंदिर, जगमंदिर पैलेस, महाराणा प्रताप स्मारक, शिल्पग्राम आदि।

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