प्रशांत और अटलांटिक महासागर के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा महासागर Hind Mahasagar है।
हिन्द महासागर (Indian Ocean) का क्षेत्रफल 73,425,600 वर्ग किमी है।
औसत गहराई 3500 मीटर से भी अधिक है। इस महासागर का सबसे गहरा स्थान या गर्त जावा दीप का सुंडा गर्त (8152 मीटर) है।
इस महासागर का नाम भारत (हिंद) देश के कारण पड़ा है।एकमात्र महासागर है जो किसी देश के नाम से पहचाना जाता है।
दक्षिण पूर्वी अफ्रीका के तट पर स्थित मेडागास्कर इस महासागर का सबसे बड़ा द्वीप है।
महासागर की उत्तरी छोर पर एशिया महाद्वीप (भारत) पश्चिमी छोर पर अफ्रीका महादीप और पूर्वी छोर पर ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप और दक्षिणी छोर पर अंटार्कटिक महासागर स्थित है।
एकमात्र Hind Mahasagar ही है जिसमें मानसूनी हवाएं समुद्र से भारतीय उपमहाद्वीप की ओर चलती है जिससे दक्षिण पूर्वी मानसूनी बारिश भारतीय उपमहाद्वीप में होती है।
कोरल रीफ से निर्मित कई दीप हिंद महासागर में स्थित है ।
कर्क रेखा हिंद महासागर की उत्तरी सीमा रेखा है ।
समस्त विश्व को जोड़ने में हिंद महासागर का स्थान अद्वितीय है ।
स्वेज नहर के खुल जाने के बाद यूरोप और दक्षिण एशिया (हिंद महासागर से लगे हुए देश) के मध्य व्यापार का मार्ग छोटा हो गया और हिंद महासागर का महत्व बढ़ गया।
Hind Mahasagar में फैले कोरल द्वीप सारे विश्व के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। हिंद महासागर में स्थित मालदीव देश पूरी तरह से कोरल दीपों से ही मिलकर बना है।
हिंद महासागर से 3 महाद्वीप मिलते हैं एशिया अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया।
Hind Mahasagar में स्थित सबसे बड़े द्वीप मेडागास्कर में ऐसे जीव जंतु पाए जाते हैं जो विश्व में और कहीं भी नहीं है।
Hind Mahasagar के भाग बंगाल की खाड़ी में विश्व का सबसे बड़ा नदी डेल्टा सुंदरवन स्थित है।
हिंद महासागर में विश्व की कुछ सबसे बड़ी नदियां अपना जल गिराती है जिनमें गंगा, इरावदी, ब्रह्मपुत्र, सिंधु, नर्मदा, गोदावरी आदि प्रमुख हैं।
पृथ्वी पर समस्त जल राशि का 20% भाग हिंद महासागर में पाया जाता है।
प्राचीन ग्रंथों में वर्णित रत्नाकर की पहचान हिंद महासागर के रूप में हुई है।
हिंद महासागर की उत्तरी सीमा पर भारत और कर्क रेखा है पूर्वी सीमा पर सुंडा दीप समूह और ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण में अंटार्कटिक महासागर और पश्चिम अफ्रीका महाद्वीप स्थित है।
हिंद महासागर में स्थित अरब सागर स्वेज नहर द्वारा भूमध्य सागर से सीधे जुड़ गया है।
Hind Mahasagar की जलधाराएं –:
किसी भी महासागर में जल धाराओं का वही महत्व है जो मनुष्य शरीर में रक्त परिसंचरण का है।
हिंद महासागर की धाराएं महासागर के आकार के कारण विशिष्ट है अन्य महासागरों की तरह इस महासागर में ठंडी और गर्म दोनों जलधाराएं विद्यमान है।
Hind Mahasagar में ठंडी जलधाराओं की अपेक्षा गर्म जलधाराओं की संख्या अधिक है।
हिंद महासागर की जलधाराएं
S.N. |
धाराएँ |
प्रकृति |
1 |
दक्षिण विश्वत रेखीय जलधारा | गर्म और स्थाई |
2 | मोजांबिक धारा |
गर्म और स्थाई |
3 |
अगुलहास धारा | गर्म और स्थाई |
4 | ग्रीष्मकालीन मानसून प्रवाह |
गर्म और परिवर्तनशील |
5 |
पश्चिम ऑस्ट्रेलिया की धारा | ठंडी और स्थाई |
6 | शीतकालीन मानसून प्रवाह |
ठंडी और परिवर्तनशील |
7 |
दक्षिणी हिंद धारा |
ठंडी |
Hind Mahasagar का व्यापारिक महत्व –:
समस्त विश्व के व्यापारिक समुद्रिक परिवहन में हिंद महासागर का स्थान महत्वपूर्ण है।
भारत चीन जापान जैसे देशों द्वारा उपभोक्ता वस्तुओं का निर्यात हिंद महासागर और स्वेज नहर के द्वारा पश्चिमी देशों और यूरोप को होता है।
स्वेज नहर के अतिरिक्त अफ्रीका के केप आफ गुड होप के मार्ग का भी उपयोग होता है इसमें हिंद महासागर का स्थान महत्वपूर्ण है।