Sukma का इतिहास :–
1000 वर्ष पूर्व से यह बस्तर रियासत के अंतर्गत एक जमीदारी थी कालांतर में जब छत्तीसगढ़ में मराठों का प्रभाव हुआ तो यह मराठों के अधीन हो गया फिर मराठों से सत्ता अंग्रेजों के अधीन हुई तो यह क्षेत्र अंग्रेजों के अधीन हो गया ।
यहां की जमीदारी व्यवस्था निरंतरता में बनी हुई थी शबरी नदी के तट पर जमीदारों के राज महल को आज भी देखा जा सकता है।
स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1952 में बस्तर जिले के अंतर्गत एक उप तहसील बना 4 वर्ष के बाद वर्ष 1956 में इसे तहसील का भी दर्जा प्राप्त हो गया वर्ष 1960 में तहसील मुख्यालय कोंटा को बना दिया गया ।
वर्ष 1976 में कोंटा तहसील का मुख्यालय फिर से Sukma को बनाया गया वर्ष 1998 में जब बस्तर जिले से दंतेवाड़ा जिला का अलग गठन हुआ तो सुकमा दंतेवाड़ा जिले के अंतर्गत आ गया।
वर्ष 2012 में दंतेवाड़ा से अलग Sukma को जिले का दर्जा प्राप्त हुआ।
Sukma स्थिति :–
Sukma जिला छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे दक्षिणी जिला है, जो 3 राज्यों उड़ीसा आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से अपनी सीमा साझा करता है।
सुकमा जिले के पूर्व में उड़ीसा राज्य है दक्षिण में आंध्र प्रदेश और पश्चिम में तेलंगाना राज्य और बीजापुर जिला है जबकि उत्तर में दंतेवाड़ा और बस्तर जिला स्थित है।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 390 किलोमीटर की दूरी पर यह सुकमा जिला स्थित है, राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 30 जो कि रायपुर को तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से जोड़ती है इस सुकमा नगर से होकर जाती है।
बस्तर संभाग के 7 जिलों में से Sukma भी एक है सुकमा दंडकारण्य पठार के दक्षिण में प्रायद्वीपीय भारत के मैदानों में बसा हुआ है यहां दक्षिण भारतीय प्रभाव को स्पष्ट देखा जा सकता है।
सुकमा की नदी :–
Sukma शबरी नदी के तट पर बसा हुआ है। शबरी नदी का उद्गम स्थल उड़ीसा राज्य में है ।यह नदी कुछ स्थानों पर छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की सीमा रेखा बनाती है यह नदी गोदावरी नदी की सहायक नदी है।
गोदावरी नदी पर बने पोलावरम बांध के कारण इस शबरी नदी में बरसात के मौसम में बैकवॉटर से सुकमा जिले में बाढ़ आती है। इसी नदी के कारण उड़ीसा, छत्तीसगढ़, और आंध्र प्रदेश के बीच पोलावरम बांध को लेकर विवाद गहराता जा रहा है।
Sukma जिले के आंकड़े :–
1 |
संभाग | बस्तर |
2 | गठन |
16-1-2012 |
3 |
तहसील | 4 ( ( कोंटा सुकमा छिंदगढ़ गादीरास) |
4 | क्षेत्रफल |
5898 वर्ग किलोमीटर |
5 |
जनसंख्या | 2,70,821 |
6 | नगर पालिका |
1 सुकमा |
7 |
विकासखंड | 3 (कोंटा सुकमा छिंदगढ़ ,) |
8 | ग्राम पंचायत |
146 |
9 |
गांवो की संख्या | 385 |
10 | नगर पंचायत |
3 ( कोंटा छिंदगढ़ गादीरास ) |
11 |
साक्षारता | 29 % |
12 | जन घनत्व |
45 वयक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर |
13 |
लिंगानुपात | 1017 |
14 | विधानसभा |
1 ( आरक्षित S.T. ) |
15 |
भाषा | हिन्दी |
16 | बोली |
गोंडी |
जलवायु और मौसम :–
Sukma जिले की जलवायु उष्ण कटिबंधीय उष्ण जलवायु क्षेत्र के अंतर्गत आती है मार्च से जून के मध्य तक भीषण गर्मी (जो लगभग 42 डिग्री सेंटीग्रेड तक होती है) पड़ती है।
मध्य जून से सितंबर तक मानसूनी बारिश पर्याप्त मात्रा में होती है, लगभग 1150 मिलीमीटर अक्टूबर से फरवरी तक सामान्य शीत ऋतु होती है ठंड का प्रभाव कम ही होता है।
प्राकृतिक वनस्पति :–
संपूर्ण बस्तर को साल वनों का द्वीप कहा जाता है Sukma जिले में भी साल के वृक्ष पाए जाते हैं, लेकिन यदि सुकमा को सागौन वनों का द्वीप कहें तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी।
सागौन और साल के अतिरिक्त तेंदू, हर्रा ,चार, इमली धावड़ा, बास, ताड़ छिंद (देसी खजूर) आदि के वृक्ष बहुतायत में पाए जाते हैं।
संपूर्ण जिला वनों से आच्छादित है, जिले के कुल क्षेत्रफल का 65% वनों से ढका हुआ है।
कृषि :–
कृषि के मामले में Sukma सर्वाधिक पिछड़ा हुआ जिला है जिले में लाल दोमट मिट्टी और पथरीली भूमि के कारण कम उपजाऊ जमीन पर मानसून के दौरान धान मक्का और मिलेट की फसलों का उत्पादन न्यून मात्रा में होता है।
सिंचाई की सुविधाएं ना के बराबर ही उपलब्ध है जबकि पोलावरम बांध यहां से अधिक दूरी पर नहीं है।
पहुंच मार्ग यातायात के साधन :–
Sukma जिले में यातायात का एकमात्र साधन सड़क मार्ग उपलब्ध है इस जिले में रेल और हवाई मार्ग का सर्वथा अभाव है।
सबसे करीबी हवाई अड्डा 90 किलोमीटर दूर जगदलपुर है, और सबसे करीबी रेलवे स्टेशन 50 किलोमीटर दूर दंतेवाड़ा है।
रायपुर से सड़क मार्ग द्वारा 390 किलोमीटर की यात्रा के बाद यहां पहुंचा जा सकता है राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 30 में दो प्रमुख घाटियों को सड़क मार्ग से पार करना होगा पहला केशकाल घाटी और दूसरी है कांगेर घाटी।
इसके अतिरिक्त तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद भी राष्ट्रीय राजमार्ग 30 द्वारा यहां तक पहुंचा जा सकता है।
जगदलपुर से विजयवाड़ा और राजमुंद्री के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है जो Sukma से होकर ही जाती है।
उद्योग :–
सुकमा उद्योग धंधों के मामले में सर्वाधिक पिछड़ा हुआ जिला है सुकमा नगर में कुछ शा मिल है जहां इमारती लकड़ी की चिराई की जाती है ।
वनोपज का उत्पादन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार है जिले में तेंदूपत्ता चार चिरौंजी महुआ इमली धूप जंगली कंदमूल का उत्पादन होता है ।
तेंदूपत्ता को राज्य सरकार समर्थन मूल्य पर क्रय करती है अन्य वनोपज स्थानीय हाट बाजारों में ग्रामीणों द्वारा विक्रय किए जाते हैं।
खनिज :–
सुकमा जिला टिन के उत्पादन में प्रमुख स्थान रखता है जंगलों के अंदर टिन के भंडार फैले हुए हैं । घने जंगलों में पाया जाता है, साथ ही सरकार की खनन नीति के अभाव मे इस खनिज की तस्करी व्यापक मात्रा में होती है।
इनके अलावा कोरंडम भी एक ऐसा खनिज है जिसकी व्यापक तस्करी होती है।
अभ्रक चुना पत्थर भी जिले में पाए जाते हैं इन सब खनिजों के अलावा यहां से बहने वाली नदी शबरी के रेत में सोने के कण पाए जाते हैं।
सरकार द्वारा अधिकृत रूप से इन खनिजों का खनन नहीं होने के कारण यहां के लोगों को इसका कोई विशेष लाभ नहीं मिल पाता है।
जनजातियां :–
सुकमा जनजाति बाहुल्य वाला जिला है जिले के 85% आबादी अनुसूचित जनजाति वर्ग (S.T.) के अंतर्गत आती है।
प्रमुख जनजातियां हैं गोंड, दोरला, मुरिया, मारिया, धुर्वा, हलवा आदि हैं। इन सभी आदिवासी समुदायों पर आंध्रप्रदेश का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
पर्यटन स्थल :–
सुकमा और उसके आस पास बहुत सारे पर्यटक स्थल मौजूद है इनमें से प्रमुख कुछ निम्न है
सबरी नदी
सुकमा नगर की पूर्वी सीमा बनाने वाली इस नदी में वर्ष भर पानी रहता है । पथरीले किनारे नदी को घेरे हुए हैं वहीं नदी के बीच बीच में भी बड़े-बड़े चट्टानों को देखा जा सकता है। नदी में नौका विहार की सुविधा उपलब्ध है
घने जंगलों के बीच से बहने वाली यह नदी बरसात के दिनों में रौद्र रूप धारण कर लेती है। पोलावरम बांध के निर्माण के बाद शबरी नदी के बैक वाटर से इस क्षेत्र में बाढ़ आती है।
तुंगल बांध
सुकमा नगर से 3 किलोमीटर की दूरी पर इसे इको टूरिज्म सेंटर की स्थापना की गई है यहां बोट और नौका चालन की सुविधा और पर्यटक मनोरंजन की व्यवस्था की गई है।
स्थानी पर्यटक यहां इस स्थान पर मनोरंजन के लिए पहुंचते हैं।
दोरनापाल पुल
सुकमा नगर से 37 किलोमीटर की दूरी पर शबरी नदी के ऊपर यह पुल सुकमा और उड़ीसा राज्य के मलकानगिरी जिले को आपस में जोड़ता है।
इस पुल के बन जाने से उड़ीसा जाने के लिए अब कम दूरी तय करनी पड़ती है।
मेले मड़ई :–
बस्तर क्षेत्र मेले मडई को लेकर विश्व विख्यात है सुकमा जिला भी इसका अपवाद नहीं है।
रामा राम मेला
सुकमा नगर से 12 किलोमीटर दूर कोंटा मार्ग पर माता रामारामीन का मंदिर है जहां प्रत्येक वर्ष फरवरी में मेला लगता है सुकमा के राजवाड़ा से माता की डोली को पैदल रामाराम तक ले जाया जाता है।
मेले में जिले के सभी भागों से ग्रामीण माता का दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने यहां आते हैं।
गादीरास मेला
क्षेत्र के सबसे बड़े मेले में से एक यह मेला गादीरास नगर में दिसंबर जनवरी माह में आयोजित किया जाता है मेले में आदिवासी संस्कृति की झलक दिखाई देती है।
इस मेले में सम्मिलित होने के लिए आसपास के जिले जैसे दंतेवाड़ा बीजापुर और बस्तर से भी लोग आते हैं यह सुकमा जिले का सबसे बड़ा मेला कहा जा सकता है।
सुकमा का उर्स मेला
सुकमा नगर के दक्षिणी छोर पर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 30 जो एक छोटी सी पहाड़ी के ऊपर से गुजरती है जिसे स्थानीय भाषा में कोंटा डेंग कहा जाता है ।
राजमार्ग क्रमांक 30 के दोनों तरफ वन विभाग का लॉग डिपो स्थित है इसी डिपो में एक मजार है ( कमली शाह बाबा का )जहां नवंबर माह के प्रथम सप्ताह में उर्स का आयोजन किया जाता है बड़ी संख्या में मुस्लिम और अन्य समुदायों के लोगों का जमावड़ा यहां लगता है।
नक्सल समस्या :–
80-90 के दशक से यह भाग नक्सल गतिविधियों का केंद्र रहा है यदि हम यह कहें कि पूरे देश में सर्वाधिक नक्सल गतिविधियों से प्रभावित यह जिला है तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी।
जिले में नक्सलवाद पनपने के प्रमुख कारणों में इस क्षेत्र के दुर्गम पहाड़ी और जंगली इलाके हैं।
नक्सली वारदात के बाद घने जंगलों में जाकर छुप जाते हैं जिससे सुरक्षाबलों को इनसे निपटने में बहुत ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है नक्सली वारदातों को लेकर यह जिला पूरे देश में कुख्यात है।
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